म्यूनिख नरसंहार

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१९७२ म्यूनिख नरसंहार
Map of West Germany (the Federal Republic of Germany between 1949 and 1990)
Locator dot
म्यूनिख
स्थान म्यूनिख, पश्चिम जर्मनी
निर्देशांक साँचा:coord
तिथि ५-६ सितम्बर १९७२
लक्ष्य इज़राइली ओलम्पिक टीम
हमले का प्रकार साँचा:unbulleted list
मृत्यु

कुल १७ (अपराधी मिलाकर)

  • ६ इज़राइली प्रशिक्षक
  • ५ इज़राइली खिलाड़ी
  • ५ ब्लैक सितंबर सदस्य
  • १ जर्मन पुलिस अधिकारी
अपराधी ब्लैक सितंबर
उद्देश्य इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष

म्यूनिख नरसंहार पश्चिम जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित १९७२ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक के दौरान हुआ था जिसमे ग्यारह इज़राइल के ओलम्पिक टीम के सदस्यों को बंधक बना लिया गया और अंततः मार दिया गया था।[१] साथ ही, एक जर्मन पुलिस अधिकारी को भी मारा गया था। यह आतंकवादी हमला फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ब्लैक सितंबर ने किया था।[२]

हमला शुरू होने के कुछ ही समय बाद, आतंकवादीयों ने इज़राइल में बंदी २३४ कैदियों को जेल से रिहा करने की मांग की और लाल सेना गुट के संस्थापक एंड्रियास बादेर और उल्रीके मीनहोफ जो जर्मनी में बंदी थे उन्हे भी रिहा करने की मांग की।

घटना

१९७२ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक का उद्घाटन समारोह २६ अगस्त को हुआ। ४ सितम्बर की शाम को इज़राइली खिलाड़ी फिडलर ऑन द रूफ के नाट्यप्रयोग को गए और रात को ओलम्पियापार्क पहुचे जहॉं खिलाड़ीओं की रहने की सुवीधा थी। सुबह ४:३० बजे (स्थानीय समय, ५ सितम्बर) को फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के गुट ब्लैक सितंबर के सदस्य एकेएम राइफल, टीटी पिस्तोल, हथगोले ले कर ज़ंजीर से बंधी बाड़ पार कर अन्दर आए। माना जाता था कि इस में कुछ अमरिकी खिलाड़ीओं का उन्हे सहयोग मिला। २०१२ में खुलासा हुआ के सहयोग देनेवाले कनाडा के खिलाड़ी थे।[३]

प्रतिलिपि चांबियों की मदद से आतंकवादियों ने अपार्टमेंट १ में प्रवेश किया। तब कुश्ती के रेफ़री योसेफ गुटफ़्रुंड की निंद खुली और बंदूकों के साथ नकाबपोशों को देख उन्होने शोर मचाया, और पास रख १३५ किलो का वजन फेक कर माराने का असफल प्रयास किया। गुटफ़्रुंड के अन्य साथी उठ गए और कुश्ती प्रशिक्षक मोशे वेनबर्ग घुसपैठियों से लड़े, जिन्होंने उसे गाल में गोली मार दी और फिर उन्हे अन्य बंधकों को ढूंढने में मदद करने के लिए मजबूर किया। वेनबर्ग घुसपैठियों को अपार्टमेंट ३ की तरफ ले गए और झूठ बताया कि अपार्टमेंट २ में इज़राइली नहीं थे। अपार्टमेंट ३ में घुसपैठियों ने छह पहलवानों और भारोत्तोलकों को बन्दी बनाया। वेनबर्ग सोचते थे कि ये खिलाड़ी शायद सही आक्रमण कर सके पर वो निंद में होने के कारण कुछ कर ना सके। अपार्टमेंट १ में लौटते समय वेनबर्ग ने फिर से हमला किया जिस कारण पहलवान गाद त्सोबारी भाग सके। भारोत्तोटर योसेफ रोमानो, जो पहले छः दिन के युद्ध में भाग ले चुके थे, एक घुसपैठि को घायल कर सके पर आखीर गोली से मारे गए। बंदूकधारियों के पास नौ बंधक थे; योसेफ गुटफ़्रुंड, तेजतर्रार निशानेबाज़ी के प्रशिक्षक केहत शोर, खेल कूद के प्रशिक्षक अमीतजुर शपीरा, तलवारबाजी के खिलाडी आंद्रे स्पिट्जर, भारोत्तोलन के पंच याकोव स्प्रिंगर, पहलवान एलीज़र हाल्फिन और मार्क स्लेविन, और भारोत्तोलक डेविड बर्जर और जेव फ्राइडमैन[४]

असफल बचाव प्रयास

उल्रीके मीनहोफ को रिहा करने की मांग हुई थी

आतंकवादीयों ने इज़राइल में बंदी २३४ कैदियों को जेल से रिहा करने की मांग की और लाल सेना गुट के संस्थापक एंड्रियास बादेर और उल्रीके मीनहोफ जो जर्मनी में बंदी थे उन्हे भी रिहा करने की मांग की। कई जर्मन अधिकारियों ने आतंकवादीयों से बातचीत शुरू रखी जब की इज़राइल का धोरण बातचीत को बढावा दे कर आगे के हमलों को प्रोत्साहित देना होगा एसा रहा। शाम ४:३० बजे म्यूनिख पुलिस पहुंचे और "सनशाईन" का संकेत सुनने के लिए इंतजार करते रहे। उन्होने वेंटिलेशन शाफ्ट के माध्यम से इमारत में प्रवेश करने और आतंकवादियों पर हमला करने की योजना बनाई थी। पर तब तक जर्मन अपार्टमेंट में कई संवाददाताओं ने स्तिथी का प्रसारण शुरू किया था जिस कारण आतंकवादीयों को इस निती का पता चल गया।[५][६]

आतंकवादीयों की मांग पर उन्हे फ़र्स्टेनफेल्डबर्क एयर बेस तक ले जाने के लिए दो हेलीकॉप्टर लाए गए। वहाँ से वे हवाई जहाज में बैठ कर मिस्र जाने की योजना बना रहे थे। हवाई अड्डे पर जर्मन के कई फ़ौजीयो ने हमला बोला, पर अनुभवहीन कर्मियों, खराब रोशनी और अनुचित नियोजन के कारण आतंकवादीयों ने सारे बंधकोंको मार डाला। आखीर सभी आतंकवादी भी मारे गए, सिवाय तीन के और साथही एक जर्मन पुलिस अधिकारी भी मारा गया।[६]

परिणाम

६ सितम्बर को ओलम्पिक खेलों में मृत खिलाड़ियों को श्रद्धांजलि अर्पित हुई। कुश्ती प्रशिक्षक मोशे वेनबर्ग की बहन कारमेल एलियैश को तभी दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। ओलम्पिक का ध्वज आधा मस्तूल पर लहराया गया और साथ कई देशों के ध्वज भी; पर दस अरब देशों के विरोध के बाद उनके ध्वज बहाल कर दिए गए।[७][८]

८ सितम्बर १९७२ को इज़राइल ने फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के सीरिया और लेबनान में स्थित दस अड्डों पर हवाई हमला कर तकरिबन २०० लोगोंको मार गिराया। तीन आतंकवादी जो पकडे गए थे उन्हे म्यूनिख के कारागार में बंद किया था। २९ अक्टुबर १९७२ को लुफ़्थान्सा उड़ान ६१५ का अपहरण कर लिया गया और परीणाम में ये आतंकवादी रिहा हो गए। इनमें से दो आतंकवादीयों को इज़राइल की खुफिया एजेन्सी मोसाद ने मार दिया; जो ऑपरेशन "रेथ ऑफ गाड" का हिस्सा था। इज़राइल की चौथी प्रधानमन्त्री गोल्डा मेयर ने इस ऑपरेशन को हरी झंडी दिखाई।[९]

चित्रदीर्घा

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ