मुजरिम
मुजरिम | |
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चित्र:mujrim 1989 big.jpg मुजरिम का पोस्टर | |
निर्देशक | उमेश मेहरा |
निर्माता | परवेश मेहरा |
लेखक |
पी डी मेहरा विनय शुक्ला |
अभिनेता |
मिथुन चक्रवर्ती, माधुरी दीक्षित, सुरेश ओबेरॉय, शक्ति कपूर, अमरीश पुरी, नूतन |
संगीतकार | अनु मलिक |
प्रदर्शन साँचा:nowrap | 28 जून, 1989 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
मुजरिम 1989 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन उमेश मेहरा ने किया है और मिथुन चक्रवर्ती, माधुरी दीक्षित और नूतन मुख्य भूमिकाओं में है।
संक्षेप
शंकर (मिथुन चक्रवर्ती) 13 साल की उम्र में जेल चला जाता है, क्योंकि वो उसकी माँ को बेचने की कोशिश करने वाले एक अमीर आदमी, खान (अमरीश पुरी) को मार देता है। उसे दस साल की सजा मिलती है। जब वो जेल से छूट कर वापस आता है तो वो अपनी माँ और बहन को गरीबी स्थिति में देखता है, लेकिन वो उनके लिए कुछ कर नहीं पाता है, क्योंकि लोग उसे मुजरिम के रूप में जानने लगते हैं। इस कारण उसके पास अपराधियों के साथ मिलने और अपराध करने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है। वो मलिक (शरत सक्सेना) के गैंग से जुड़ जाता है। लेकिन उसकी ईमानदार माँ उसके इस तरह से कमाए पैसों की मदद लेने से इंकार कर देती है। उसकी मुलाक़ात मलिक की बेटी, सोनिया (माधुरी दीक्षित) से होती है और दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। मलिक उसकी वफादारी और कार्य की तारीफ करता है और उसे अपना उत्तराधिकारी बना लेता है। मलिक के मौत के बाद सारा व्यापार शंकर के हाथों आ जाता है। शंकर और सोनिया की शादी हो जाती है और वे दोनों नए घर चले जाते हैं। शंकर का बस यही सपना रहता है कि वो अपनी माँ के साथ पूरे परिवार को एक कर ले, पर उसकी माँ इससे इंकार कर देती है और उसे अपराध की दुनिया को छोड़ने की बात कहती है।
मामला और भी पेचीदा हो जाता है, जब पुलिस के साथ लड़ाई में एक के बाद एक शंकर के सारे दोस्त मर जाते हैं। सोनिया को पता चलता है कि वो माँ बनने वाली है, वो शंकर का घर छोड़ कर यशोदा के साथ रहने चले जाती है। अकेला और अलग-थलग पड़ा शंकर वापस घर आ जाता है, लेकिन उसकी पिछली ज़िंदगी उसे तंग करना नहीं छोड़ती। उसके किस्मत में क्या लिखा है?
मुख्य कलाकार
- मिथुन चक्रवर्ती - शंकर बोस
- माधुरी दीक्षित - सोनिया
- सुरेश ओबेरॉय - पुलिस इंस्पेक्टर गोखले
- शक्ति कपूर - चंदन
- पल्लवी जोशी - सुनंदा
- गुलशन ग्रोवर - नागारजन
- अमरीश पुरी - ख़ान
- नूतन - यशोदा बोस
- जगदीप - लखपती
- शरत सक्सेना - मलिक
- रूपेश कुमार - गुलाटी
- गुड्डी मारुति - सुनंदा की दोस्त
- तेज सप्रू - लकी
- जॉनी लीवर - लखपति
- अवतार गिल - पुलिस कमिश्नर
संगीत
अनु मलिक द्वारा संगीत। समीर, इंदीवर और बृज बिहारी द्वारा गीत।
- दाता प्यार दे - साधना सरगम
- कुडुक्कू आई लव यू -
- मुजरिम न कहना मुझे - मोहम्मद अज़ीज़
- नइयो जीना तेरे बिना - मोहम्मद अज़ीज़, साधना सरगम
- रात के बारह बजे - अमित कुमार, अलका याज्ञनिक, अनु मलिक
- बूम बूम लका लका बूम - मोहम्मद अज़ीज़, अनु मलिक