महाराजा शालिन्दर

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महाराजा शालिंदर (४०९ ईस्वी), ५वीं शताब्दी ईस्वी में शालपुर (वर्तमान पाकिस्तान में सियालकोट ) के क्षेत्रों के एक तक्षक जाट शासक थे। [१] [२] पाँचवीं शताब्दी की शुरुआत में, हम जाट शासक महाराजा शालिन्दर को पाते हैं, जिनका शासन पंजाब से लेकर मालवा और राजस्थान तक फैला हुआथा। [३] [४]

हूणों के आक्रमण के कारण शालिन्दर का राज्य गिर गया और वंशज मालवा चले गए। 540AD में वीर चंद्र के पुत्शाली चंद्र ने तवेली नदी के तट पर कांसवा गांव में एक मंदिर बनवाया। इस मंदिर में उनके शासन की स्मृति में एक शिलालेख है। [५] कोटा के दक्षिण में चंबल नदी के पास एक कुएं से मिले कंस्वा के शिलालेख के अनुसार, राजा शालिन्दर खुद को सौरा जाति का कहते हैं।  और तक्षक कबीले। शिलालेख में लिखा है कि शाही परिवार के पूर्वज राजा जाट शालिन्दर भी तक्षक वंशी थे।


शालिन्दर के उत्तराधिकारी

शालिंद्र (४०९ ईस्वी) → देवंगली → सांबुका → देगल्ली (यदु पत्नियाँ) → वीर नरेंद्र → वीर चंद्र → शाली चंद्र (540 ईस्वी)

संदर्भ

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