कोटा
साँचा:if empty Kota | |
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कोटा के दृश्य कोटा के दृश्य | |
साँचा:location map | |
निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
प्रान्त | राजस्थान |
ज़िला | कोटा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | १०,०१,६९४ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषा | |
• प्रचलित | राजस्थानी, हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
कोटा (Kota) भारत के राजस्थान राज्य के कोटा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह चम्बल नदी के किनारे, राज्य की राजधानी, जयपुर, से 240 किमी दक्षिण में बसा हुआ है। यह कोटा ज़िले का मुख्यालय है। जयपुर और जोधपुर के बाद यह राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है।[१][२]
विवरण
कोटा राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक शैक्षणिक शहर है। यह नगर राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर स्थित है। दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित कोटा उन शहरों में है, जहां औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है। यह शहर नवीनता और प्राचीनता का अनूठा मिश्रण है। जहां एक तरफ शहर के स्मारक प्राचीनता का बोध कराते हैं वहीं चंबल नदी पर बना हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लान्ट और मल्टी मेटल उद्योग आधुनिकता का अहसास कराते हैं। ये शहर हाल ही में वर्ल्ड ट्रेड फोरम की सूची में दुनिया का सातवां सबसे ज्यादा भीड-भाड़ वाला शहर बना है। कोटा अपने बागों के लिये भी प्रसिद्ध है। कोटा को देश की शिक्षा नगरी के रूप में भी पहचाना जाता है।
भूगोल
कोटा चम्बल नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। यह राजस्थान के दक्षिणी भाग में आता है। यहां का भूगोलिक निर्देशांक साँचा:coord है। यहाँ की औसत ऊंचाई 271 मीटर (889 फीट) है। कोटा जिले के उपखण्ड मुख्यालय सांगोद, दीगोद, रामगंजमंडी, लाडपुरा, कनवास व इटावा मुख्य उपकेंद्र है
परिधान
कोटा की विशेष सूती व कोटा डोरीया साड़ियां,कोटा स्टोन,कचोरी के लिए प्रसिद्ध हैं। कोटा को शिक्षा नगरी के नाम से भी जाना जाता हे।
इतिहास
कोटा का इतिहास राजा कोटिया भील से शुरू होता है , इन्होंने कोटा में नीलकंठ महादेव मंदिर स्थापित किया, जेत सिंह से युद्ध करते हुए वे शहिद हुए। कोटा कभी बूंदी राज्य का एक हिस्सा था। मुगल शासक जहांगीर ने जब बूंदी के शासकों को पराजित किया तो कोटा 1624 ई. में एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित हुआ। राव माधो सिंह यहां के प्रथम स्वतंत्र शासक के रूप में गद्दी पर बैठे। 1818 ई. में कोटा ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया।[३]
Princely City: कोटा | |
क्षेत्र | हाड़ौती |
ध्वज 19वीं शती | |
स्वतंत्र: | बूंदी राज्य |
रियासत का अस्तित्व: | 1579-1949 |
राजवंश | भील |
राजधानीrnodiya | कोटा |
प्रमुख आकर्षण
सिटी फोर्ट पैलेस
चंबल नदी के पूर्वी तट पर 17 वीं शताब्दी में बना यह किला कोटा का मुख्य आकर्षण है। इस किले का परिसर राजस्थान के सबसे विशाल किले परिसरों में से एक है। 17 वीं शताब्दी में बना हाथी पोल किले में प्रवेश का खूबसूरत प्रवेश द्वार है। किले के बुर्ज, बालकनी, गुम्बद, परकोटे बेहद आकर्षक है।[४]
राव माधो सिंह संग्रहालय
यह संग्रहालय पुराने महल में स्थित है और इसे राजस्थान के सबसे बेहतरीन संग्रहालयों में से एक माना जाता है। कोटा राज्य के प्रथम शासक राव माधो सिंह के नाम पर संग्रहालय का नाम रखा गया है। संग्रहालय में कोटा की खूबसूरत पेटिन्ग, मूर्तियों, तस्वीरें, हथियारों और शाही वंश से संबंधित अनेक वस्तुएं देखी जा सकती हैं।
जगमंदिर महल
यह महल कोटा की एक रानी द्वारा 1740 ई. में बनवाया गया था। खूबसूरत किशोर सागर झील के मध्य बना यह महल राजाओं के आमोद प्रमोद का स्थान था। झील के पारदर्शी जल में महल का प्रतिबिम्ब बेहद सुन्दर लगता है। किशोर सागर झील बूंदी के राजकुमार धी देह ने 1346 ई. में बनवाई थी। झील में नौकायन का आनन्द भी लिया जा सकता है।
सरकारी संग्रहालय
किशोर सागर झील के समीप किशोर बाग में बने ब्रिजविलास महल में यह संग्रहालय स्थित है। संग्रहालय में दुर्लभ सिक्कों, हस्तलिपियों और चुनिन्दा हडोटी मूर्तियों का विस्तृत संग्रह है। यहां बरोली के मंदिरों से कुछ आकक और ऐतिहासिक मूर्तियां लाकर रखी गई हैं। शुक्रवार और राष्ट्रीय अवकाश के दिन संग्रहालय बन्द रहता है।[५]
चम्बल गार्डन
यह एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है और यहां मगरमच्छों का तालाब देखा जा सकता है। यह गार्डन चम्बल नदी और अमर निवास के समीप स्थित है।[६]
देवताजी की हवेली
देवताजी की हवेली राजस्थान के सबसे सुन्दर भवनों में से एक है। कोटा की यह हवेली अनोखे भित्तिचित्रों और चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है।[७]
गणेश उद्यान (खड़े गणेश जी)
गणेश उद्यान कोटा का दूसरा सबसे मुख्य उद्यान है। यह उद्यान खड़े गणेश जी मंदिर के पास ही है। इसमे गणेश पवर्त भी है।[८]
सी. वी गार्डन
यह कोटा का ऐतिहासिक गार्डन है, यहाँआज भी कोटा के ऐतिहासिक सौंदर्य को महसूस किया जा सकता है।[९]
निकटवर्ती स्थल
दरा वन्य जीव अभयारण्य
साँचा:main कोटा से 50 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य है जो घड़ियालों और पतले मुंह वाले मगरमच्छों के लिए बहुत लोकप्रिय है। यहां चीते, वाइल्डबोर, तेंदुए और हिरन भी पाए जाते हैं। बहुत कम जगह दिखाई देने वाला दुर्लभ कराकल भी यहां देखा जा सकता है।[१०]
केशव राय पाटन
साँचा:main श्री केशव राय जी हडोती और हाडा के शासकों के इष्टदेव हैं। केशोरईपाटन भगवान श्री केशव का निवास स्थल है। श्री केशव का मध्यकालीन मंदिर चंबल नदी के किनारे स्थित है। नदी की ओर वाली मंदिर की दीवार किले की दीवार के समान है। कार्तिक माह में आयोजित होने वाले मेले में यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। इस अवसर पर भक्तजन चम्बल नदी में डुबकी लगाते हैं और श्री कृष्ण के आशीर्वाद की कामना करते हैं। केशव राय पाटन कोटा से 22 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में स्थित है।[११]
गेपरनाथ मंदिर
कोटा से 22 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में शिव को समर्पित गेपरनाथ मंदिर चम्बल नदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर 1569 ई. में बना था। यह स्थान प्राचीन काल से शिवभक्तों का प्रमुख तीर्थस्थल रहा है। यहां कुछ प्राचीन अभिलेख प्राप्त हुए हैं जो इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। सन् 2008 में एक बङी ही विस्मयी घटना ने समस्त कोटा वासीयो का दिल दहला दिया। करीब 250 व्यक्ति जो कि शिव मन्दिर में दर्शन करने वास्ते गये थे वो सीढिया टुट जाने बाबत् अन्दर ही फस गये। प्रशासन ने 2 दिन में कङी मेहनत कर उन्हे बाहर निकाला। गेपरनाथ में करीब 470 सीढिया है। करीब 350 मीटर की गहरी खाई है।[१२]
बाड़ोली
यहां 9 वीं और 12 वीं शताब्दी के बीच बने अनेक प्राचीन मंदिर है। यह स्थान कदम, आम, जामुन और पीपल के पेड़ों से घिरा हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक स्थल है। घाटेश्वर यहां का मुख्य मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के सभा मंडप विशेषकर स्तम्भों में आकर्षक नक्काशियां की गई हैं। महिषासुरमर्दिनी और त्रिदेव मंदिर अन्य दो प्रमुख मंदिर है। इन मंदिरों की कुछ प्रतिमाएं कोटा के सरकारी संग्रहालय में रखी गई हैं।[१३]
शिक्षा
कोटा की ख़ास पहचान यहां के कोचिंग संस्थान हैं। कोटा को भारत की "कोचिंग राजधानी" भी कहा जाता है।[१४] हर साल इस शहर में लाखों विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए आते हैं। पिछले कुछ सालों में कोटा एक प्रसिद्ध कोचिंग नगरी के रूप में उभरा है। शहर का शैक्षणिक क्षेत्र यहां की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है। यहां कई कोचिंग संस्थान है जो विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे कि IIT और NEET की तैयारी करवाते हैं।[१५][१६]
प्रमुख विश्वविद्यालय और कॉलेज
- राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय, कोटा
- राजकीय महाविद्यालय, कोटा
- राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा
- जानकी देवी बजाज कन्या महाविद्यालय, कोटा
- गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोटा
- संस्कृत पीजी कॉलेज, कोटा
- राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, कोटा
- राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा
- वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा
- कोटा विश्वविद्यालय, कोटा
- कोटा कृषि विश्वविद्यालय, कोटा
- आईआईआईटी, कोटा
- कैरियर प्वाइंट विश्वविद्यालय, कोटा
- जय मीनेश राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, कोटा
प्रमुख कोचिंग संस्थान
- एलेन करियर इंस्टिट्यूट
- मोशन एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड[१७]
- रेजोनेंस कोटा
- करियर पॉइंट
- बंसल क्लासेज
- आकाश इंस्टिट्यूट
- वाइब्रेंट अकादमी
- सर्वोत्तम इंस्टिट्यूट
आत्महत्याएं
पिछले कुछ वर्षों में, शहर में छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें बढ़ी हैं। रिपोर्टों के अनुसार, छात्रों को तनाव महसूस होता है और अपने लक्षित प्रतियोगी परीक्षा को क्रैक करने के लिए उन पर दबाव पड़ता है। २०१४ के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, शहर में छात्रों के ४५ आत्महत्या के मामले सामने आए। साल २०१५ में इस तरह के १७ मामले पाए गए थे। इसी कारण से, कई कोचिंग सेंटरों ने काउंसलर भी नियुक्त किए हैं और छात्रों की मदद के लिए मनोरंजक गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं।[१८]
आवागमन
वायु मार्ग
नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर का सांगानेर विमानक्षेत्र है जो कोटा से 240 किलोमीटर दूर है। भारत के महानगरों से संगनेर के लिए प्रतिदिन उड़ानों की व्यवस्था है। वैसे कोटा में भी हवाईअड़ा है, किंतु वहां हाल में ही जयपुर के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं। कोटा से जयपुर के लिए नियमित उड़ाने शुरू हो चुकी है।[१२]
रेल मार्ग
कोटा जंक्शन भारतीय रेलवे की पश्चिम मध्य रेलवे इकाई के कोटा संभाग का संभागीय मुख्यालय है। कोटा सेन्ट्रल रेलवे हे निजामुद्दीन-उदयपुर एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों के माध्यम से दिल्ली से जुड़ा हुआ है। मुम्बई अगस्त क्रान्ति और त्रिवेन्द्रम राजधानी सुपरफास्ट ट्रेनों से भी कोटा पहुंचा जा सकता है। जयपुर से जयपुर-कोटा फास्ट पेसेन्जर और जयपुर- बॉम्बे सेन्ट्रल सुपरफास्ट ट्रैनों से कोटा जाया जा सकता है। कोटा ट्रेन रूट से दो रेलवे लाइन निकलती हे। चितौड़ के लिए एक भोपाल जबलपुर के लिए।[१९]
सड़क मार्ग
जयपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 12 से टोंक, देवली और बूंदी होते हुए कोटा पहुंचा जा सकता है। मुम्बई से राष्ट्रीय राजमार्ग 8 और 76 से चित्तौड़गढ़, भातेश्वर, भदौरा, बिचोर और बिलोजियां होते हुए कोटा पहुंचा जा सकता है।[१९]
समाचार पत्र
- राजस्थान पत्रिका
- दैनिक भास्कर
- दैनिक नवज्योति
- पंजाब केसरी
- देश कि धरती
- जाँबाज पत्रिका
- कोटा ब्यूरो
- दैनिक राष्ट्रदूत
- दैनिक जननायक
- दैनिक चंबल संदेश
टीवी चैनल
रेडियो
कोटा में कुल पाँच रेडियो स्टेशन हैं, जिनमें से चार का प्रसारण आवृत्ति मॉड्यूलेशन (एफएम) बैंड पर होता है और एक आकाशवाणी स्टेशन जो कि एम्प्लीट्यूड मोड्यूलेशन बैंड पर प्रासारित होता है।
- बिग एफएम (92.7 MHz)
- माय एफएम (94.3 MHz)
- एफएम तड़का (95.0 MHz)
- आकाशवाणी (102.0 MHz)
- रेडियो सिटी (91.1 MHz)
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- कोटा जिले की आधिकारिक जालस्थल
- राजस्थान पर्यटन
- कोटा - विस्तारित जानकारी
- कोटा सूचना
- एक पर्यटक द्वारा कोटा का वर्णन।
- साँचा:wikivoyage
सन्दर्भ
- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990
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