भारतीय रेल (पत्रिका)

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चित्र:indian rail patrika1.jpg
“भारतीय रेल” का मुखपृष्ठ

भारतीय रेल पत्रिका रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) द्वारा प्रकाशित मासिक हिंदी पत्रिका है। इस पत्रिका का पहला अंक १५ अगस्त १९६० को प्रकाशित हुआ था और इस पत्रिका की शुरूआत के पीछे तत्कालीन रेल मंत्री स्व.श्री लाल बहादुर शास्त्री तथा बाबू जगजीवन राम का विशेष प्रयास था। इस पत्रिका का उद्देश्य भारतीय रेलवे में कार्यरत लोगों में साहित्य के प्रति रुचि बढ़ाना, लेखकों को प्रोत्साहित करना, भारतीय रेल से संबंधित जानकारी और सूचनाओं का प्रकाशन करना तथा हिंदी का विकास करना था। इस वर्ष २००९ में यह पत्रिका अपनी गौरवशाली यात्रा के स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश कर रही है। बीते पांच दशकों में इस पत्रिका ने रेल कर्मियों के साथ अन्य पाठक वर्ग में भी अपनी एक विशिष्ट पहचान कायम की है। इसकी साज-सज्जा, विषय सामग्री और मुद्रण में भी निखार आया है। इसके पाठकों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि हुई है। रेलों में हिंदी के प्रचार-प्रसार में इस पत्रिका का ऐतिहासिक योगदान रहा है। रेल प्रशासन, रेलकर्मियों और रेल उपयोगकर्ताओं के बीच भारतीय रेल पत्रिका एक मजबूत संपर्क-सूत्र का काम कर रही है।[१] भारतीय रेल पत्रिका तथा उसके संपादकों को पत्रकारिता और साहित्य में विशेष योगदान के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान तथा हिंदी अकादमी, दिल्ली समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।[२]

इस पत्रिका के प्रतिष्ठित लेखकों में स्व.श्री विष्णु प्रभाकर, श्री कमलेश्वर, डॉ॰प्रभाकर माचवे, श्री पुरुषोत्तम दास टंडन, श्री रतनलाल शर्मा, श्री श्रीनाथ सिंह, श्री रामदरश मिश्र, डॉ॰शंकर दयाल सिंह, श्री विष्णु स्वरूप सक्सेना, डॉ॰ महीप सिंह, श्री यशपाल जैन, सुश्री आशारानी व्होरा, श्री शैलेन चटर्जी, श्री लल्लन प्रसाद व्यास, श्री शेर बहादुर विमलेश, श्री अक्षय कुमार जैन, श्री प्रेमपाल शर्मा, श्री आर.के. पचौरी, डॉ॰ दिनेश कुमार शुक्ल, श्री उदय नारायण सिंह, श्री अरविंद घोष, श्री देवेंद्र उपाध्याय, श्री कौटिल्य उदियानी, श्री देवकृष्ण व्यास, शार्दूल विक्रम गुप्त, लक्ष्मीशंकर व्यास, मंजु नागौरी से लेकर हिंदी के कई विद्वान लेखक और पत्रकार जुड़े रहे हैं। भारतीय रेल में १९६० के बाद के सारे रेल बजट तथा उन पर सारगर्भित समीक्षाएं विस्तार से प्रकाशित हुई हैं। इस दौर की सभी प्रमुख रेल परियोजनाओं, खास निर्णयों और महत्वपूर्ण घटनाओं को भारतीय रेल में प्रमुखता से कवरेज दिया गया। इसी नाते खास तौर पर अध्येताओं तथा अनुसंधानकर्ताओं के लिए यह पत्रिका एक अनिवार्य संदर्भ भी बन गयी है।[३] पत्रिका का संपादकीय कार्यालय आरंभ में १६५ पी.ब्लाक रायसीना रोड, नयी दिल्ली था। उस समय रेल भवन का निर्माण पूरा नहीं हुआ था। ३० दिसंबर १९६० को जब रेल भवन का उद्‍घाटन हुआ उस समय तक भारतीय रेल पत्रिका के पांच अंक प्रकाशित हो चुके थे। रेल भवन बन जाने के बाद भारतीय रेल का संपादकीय पता बदल कर ३६९, रेल भवन हो गया।

सन्दर्भ