बुद्धि लब्धि
बुद्धि लब्धि या इंटेलिजेंस कोशेंट (Intelligence quotient / IQ) कई अलग मानकीकृत परीक्षणों से प्राप्त एक गणना है जिससे बुद्धि का आकलन किया जाता है। "IQ" पद की उत्पत्ति जर्मन शब्द Intelligenz-Quotient से हुई है जिसका पहली बार प्रयोग जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम स्टर्न ने 1912[१] में 20वीं सदी की शुरुआत में अल्फ्रेड बाईनेट और थेओडोर सिमोन द्वारा प्रस्तावित पद्धतियों के लिए किया, जो आधुनिक बच्चों के बौद्धिक परीक्षण के लिए अपनाया गया था।[२] हालांकि "IQ" शब्द का उपयोग आमतौर पर अब भी होता है किन्तु, अब वेचस्लेर एडल्ट इंटेलिजेंस स्केल जैसी पद्धतियों का उपयोग आधुनिक बौद्धिक स्तर (IQ) परीक्षण में किया जाता है जो गौस्सियन बेल कर्व (Gaussian bell curve) किसी विषय के प्रति झुकाव पर नापे गये रैंक के आधार पर किया जाता है, जिसमें केन्द्रीय मान (औसत IQ)100 होता है और मानक विचलन 15 होता है। हालांकि विभिन्न परीक्षणों में मानक विचलन अलग-अलग हो सकते हैं।
बौद्धिक स्तर (IQ) की गणना को रुग्णता और मृत्यु दर[३], अभिभावकों की सामाजिक स्थिति[४] और काफी हद तक पैतृक बौद्धिक स्तर (IQ) जैसे कारकों के साथ जोड़कर देखा जाता है। जबकि उसकी विरासत लगभग एक सदी से जांची जा चुकी है फिर भी इस बात को लेकर विवाद बना हुआ है कि उसकी कितनी विरासत ग्राह्य है और विरासत के तंत्र अभी भी बहस के विषय बने हुए हैं.[५]
IQ की गणनाएं कई संदर्भों में प्रयुक्त की जाती है: शैक्षणिक उपलब्धियों अथवा विशेष जरूरतों से जुड़े भविष्यवक्ताओं, लोगों में IQ स्तर के अध्ययन तथा IQ के स्कोर तथा अन्य परिवर्तनों के बीच के सम्बंध का अध्ययन करने वाले समाज विज्ञानियों और किये गये कार्य और उससे हुई आय का भविष्यफल बताने वाले लोगों द्वारा किया जाता है।
कई समुदायों का औसत IQ स्कोर 20 वीं सदी के पहले दशकों में प्रति दशक तीन अंक के दर से बढ़ा है जिसमें से ज्यादातर वृद्धि IQ रेंज के उत्तरार्द्ध में हुई, जिसे फ्लीन इफेक्ट कहते हैं। यह विवाद का विषय है कि अंकों में यह परिवर्तन बौद्धिक क्षमता की वास्तविकता को दर्शाते हैं या फिर यह महज अतीत या वर्तमान के परीक्षण की सिलसिलेवार समस्याएं हैं।
इतिहास
आधुनिक IQ (बौद्धिक स्तर) के अंक जो एक सामान्य दृष्टांत के अंक के रैंक पर आधारित हैं, वे कुल प्राप्तांक के गणितीय रूपांतर हैं।[६] आधुनिक अंक कई बार "डेविएंस (विचलन) IQ" के रूप में संदर्भित होते रहे हैं, जबकि पुरानी पद्धति में उम्र विशेष से सम्बंधित अंकों को "अनुपातिक IQ." के रूप में संदर्भित किया जाता रहा है।
बेल कर्व के बीच के पास दो तरीकों के परिणाम एक जैसे निकलते हैं, लेकिन बौद्धिक उपहार को पुराने IQ अनुपात में अधिक अंक मिलते थे। उदाहरण के तौर पर पर मर्लिन वोस सावंत को लिया जा सकता है, जो गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में दिखाई दिये, उन्हें IQ अनुपात में 240 अंक प्राप्त हुए थे।
हालांकि यह अंक निकालने के लिए का मतलब है बिनेट फार्मूला का प्रयोग किया गया था जिसमें मानसिक उम्र और वास्तविक उम्र का अनुपात निकाला गया था (और वह भी सिर्फ एक बच्चे के लिए).गौससियन कर्वे मॉडल में यह 7.9 स्तर का विचलन एक अपवाद है और यह उच्चता एक बड़ी संख्या वाले जनसमुदाय के ज्यादातर लोगों के लिए असंभव है, जिनका IQ सामान्य वितरण वाला है। (देखें सामान्य वितरण) इसके अतिरिक्त, वेचस्लेर जैसे IQ परीक्षण IQ के 145 अंकों से बाहर जाकर अन्तर को दृढ़ता से प्रकट नहीं करते हैं, जिसकी उच्चतम सीमा का प्रभाव चिंता का विषय बना हआ है।
वेचस्लेर का एडल्ट इंटेलिजेंस स्केल (WAIS) के प्रकाशन के बाद से लगभग सभी बौद्धिकता मानकों ने अंकों के आबंटन के लिए सामान्य वितरण प्रणाली को अपनाया है। सामान्य अंक आबंटन विधि के लिए "बौद्धिक स्तर" शब्द का इस्तेमाल बैद्धिकता की माप का अशुद्ध विवरण और एक त्रुटिपूर्ण गणितीय कथ्य बनाता है, लेकिन "I.Q." शब्द का अब भी बोलचाल में प्रचलन है और उसका इस्तेमाल वर्तमान में उपयोग में आने वाले सभी बौद्धिक पैमानों के लिए होता है।
आनुवांशिकता
जीनोटाइप (आनुवांशिकता सम्बंधी) और पर्यावरण की भूमिका (प्रकृति और पोषण) IQ के निर्धारण में क्या होती है इसकी समीक्षा प्लोमिन एट अल में की गयी है।
(2001, 2003)[७] साँचा:fix हाल के समय तक आनुवांशिकता (आनुवांशिकता) का अधिकतर अध्ययन बच्चों में किया जाता था। विभिन्न अध्ययनों से संयुक्त राज्य अमरीका में IQ आनुवांशिकता 0.4 और 0.8 के बीच पायी गयी।[८][९][१०] यह एक अध्ययन पर आधारित है, जिसमें आधे से थोड़ा कम या वास्तव में आधे से अधिक IQ विविधता उन बच्चों के अध्ययन में पायी गयी जिनमें परिवर्तन के लिए जीनोटाइप का बदलाव जिम्मेदार है। बाकी की वजह पर्यावरण परिवर्तन और माप की त्रुटियां हैं। इसका मतलब यह निकला कि आनुवांशिकता की रेंज 0.8 से 0.4 अंक है और IQ के लिए आनुवांशिकता "पर्याप्त" जिम्मेदार है।
प्रतिबंध का IQ की रेंज पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका अध्ययन मैट मैकगुए और उनके सहयोगियों ने किया है, जिन्होंने यह लिखा है कि "माता-पिता और परिवार की रोकटोक की मनोग्रंथि और परिवार के दत्तक भाई के पारस्परिक संबंध का कोई प्रभाव नहीं पड़ता...IQ."[११] दूसरी ओर एरिक तुर्खेइमेर, अन्द्रेअना हले, मेरी वाल्ड्रन, ब्रायन डी ओनोफ्रियो, इरविंग आई.गोट्समैन द्वारा 2003 में किये गये एक अध्ययन में यह कहा गया है कि IQ के अनुपात में अन्तर का कारण जीन और पर्यावरण सामाजिक आर्थिक स्थितियों की भिन्नता है। उन्होंने पाया कि गरीब परिवारों में IQ के मामले में 60% का अन्तर है। यह अध्ययन 7 साल के जुड़वां बच्चों पर किया गया, जो एक साझा पर्यावरण में रखे गये थे और उनके जीन का योगदान शून्य के करीब था।[१२]
यह अपेक्षा उचित होगी कि आनुवांशिक प्रभावों का IQ जैसी विशिष्टता पर तब प्रभाव कम महत्वपूर्ण हो जाता है जब उम्र के साथ-साथ कोई अनुभव अर्जित करता है। हैरानी की बात तो यह है कि ठीक इसके विपरीत होता हैसाँचा:category handler[Need quotation to <span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">verify].शैशव में आनुवांशिकता का असर 20% जितना कम होता है, बचपन की मध्यावस्था में लगभग 40% और वयस्कता अवधि में वह 80% के उच्च स्तर तक पहुंच जाता है।[७]साँचा:fixअमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की 1995 में "इंटेलिजेंस: नोंस एंड अननोंस" के लिए गठित टास्क फोर्स इस नतीजे पर पहुंची कि श्वेत जनसंख्या का आनुवांशिक IQ "75 के आसपास" है। मिनेसोटा के जुड़वां बच्चों के अलग पालन-पोषण के अध्ययन के अलावा 1979 में 100 सेट जुड़वां बच्चों के अलग-अलग पालन-पोषण का कई सालों तक किये गये अध्ययन का निष्कर्ष निकला कि IQ के आबंटन में आनुवांशिकता सम्बद्ध है। जुड़वां बच्चों के IQ पर जन्म से पहले के मां के वातावरण का प्रभाव है जिससे इस तथ्य पर प्रकाश पड़ता है कि अलग-अलग पालन-पोषण के बावजूद जुड़वां बच्चों के बीच में IQ का पारस्परिक सम्बंध इतना पुष्ट क्यों है।[५] आनुवांशिकता की व्याख्या करते समय कई और बिन्दु हैं जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए:
- एक उच्च आनुवांशिकता का तात्पर्य यह नहीं है कि पर्यावरण की विशेषता का विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता अथवा उसमें अध्ययन शामिल नहीं है। उदाहरण के लिए शब्दावली का विस्तार काफी हद तक आनुवांशिकता से जुड़ा है (और सामान्य बुद्धि के साथ घनिष्ठता से जुड़ा हुआ है) हालांकि किसी भी व्यक्ति की शब्दावली का प्रत्येक शब्द सीखा हुआ होता है। किसी भी समाज में प्रत्येक के पर्यावरण से जु़ड़े कई शब्द उपलब्ध होते हैं, विशेष तौर पर उन व्यक्तियों के लिए जो उन्हें ग्रहण करने के लिए बाहर से प्रेरित हैं, लेकिन शब्दों को सीखने की संख्या उनके आनुवांशिक प्रवृत्तियों पर काफी हद तक निर्भर करती है।[९]
- एक सामान्य त्रुटि यह मानने में हो रही है कि कुछ आनुवांशिक आवश्यक तौर पर अपरिवर्तनीय है। जैसा कि पहले उल्लेख हुआ है आनुवंशिक विशेषताएं पैतृक गुण सीखने पर निर्भर करती हैं और वे अन्य पर्यावरणीय प्रभाव पर भी निर्भर करती हैं। आनुवांशिकता के महत्व को कम किया जा सकता है यदि जनसमुदाय के पर्यावरण आबंटन (या जीन में) में व्यापक तौर पर बदलाव किया जाये. उदाहरण के लिए, एक गरीबी भरे या दमनात्मक पर्यावरण में एक विशेषता का विकास विफल हो सकता है और व्यक्तिगत परिवर्तन सीमित हो जाता है।
आनुवांशिकता की भिन्नताओं में अंतर विकसित और विकासशील देशों के बीच पाए जाते हैं। यह आनुवांशिकता के अनुमानों को प्रभावित करता है।[९] एक अन्य उदाहरण है Phenylketonuria (फेनील्यकेटोनुरिया), जिन लोगों को यह आनुवांशिक विकार था वे पहले मानसिक विकलांगता का शिकार बने.आज इसे संशोधित आहार लेकर रोका जा सकता है।
- दूसरी ओर कई प्रभावी पर्यावरण परिवर्तन हैं जो आनुवांशिकता में बिल्कुल बदलाव नहीं लाते.यदि पर्यावरण की विशेषता में सुधार को इस प्रकार विकसित किया जाये कि जनसमुदाय के सभी सदस्य उससे समान रूप से प्रभावित हों, जिसका मतलब यह है कि आनुवांशिक विशेषता का महत्व बिना किसी बदलाव के बढ़ जायेगा (क्योंकि जनसमुदाय के व्यक्तियों के बीच अन्तर वही रहेगा) यह प्रत्यक्ष तौर पर ऊंचाई के मामले में हुआ: कद का सम्बंध आनुवांशिकता से अधिक है लेकिन औसत ऊंचाई में वृद्धि जारी रहती है।[९]
- यहां तक कि विकसित देशों में भी एक समूह विशेष की उच्च आनुवांशिक विशेषता को समूहों में अन्तर के स्रोत के आवश्यक निहितार्थ के तौर पर नहीं अपनाया गया।[९][१३]
पर्यावरण
पर्यावरणीय कारक IQ का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ज्ञान सम्बंधी विकास के लिए उचित बाल पोषण महत्वपूर्ण प्रतीत होता है जबकि अपुष्ट-भोजन IQ को कम कर सकता है।
एक ताजा अध्ययन में पाया गया कि FADS2 जीन, जीन के "सी" संस्करण वालों में स्तनपान के साथ लगभग सात IQ अंक जोड़ देता है।FADS2 जीन के "जी" संस्करण वालों में इसका कोई फायदा नहीं दिखता.[१४][१५]
बचपन में संगीत-प्रशिक्षण भी IQ को बढ़ाने में सहायक होता है।[१६] हाल के अध्ययन से यह पता चला है कि किसी व्यक्ति की कार्यकारी स्मृति का उपयोग करने के प्रशिक्षण से भी उसके IQ में वृद्धि हो सकती है।[१७][१८]
पारिवारिक पर्यावरण
विकसित दुनिया में कुछ अध्ययनों में व्यक्तित्व लक्षण बताते हैं कि उम्मीदों के विपरीत पर्यावरणीय प्रभाव वास्तव में उन पर पड़ता है जो उस परिवार से सम्बद्ध नहीं होते हुए भी उसी परिवार में पलते हैं (दत्तक भाई बहन) वे यदि दूसरे परिवार में पलते तो दूसरे परिवार के बच्चों की तरह होते.[७]साँचा:fix[१९] बच्चों के IQ पर कुछ परिवार के प्रभाव होते हैं, जिसके लिए विचार-विभिन्नता की एक चौथाई की गुंजाइश रखी जानी चाहिए, बहरहाल, वयस्कता में दृष्टिकोण का यह पारस्परिक संबंध शून्य हो जाता है।[२०] IQ से जुड़े गोद लेने से सम्बंधित अध्ययन बताते हैं कि किशोरावस्था के बाद गोद लेने वाले भाई बहन का IQ अजनबी लोगों से नहीं मिलता जुलता है (IQ का पारस्परिक सम्बंध शून्य के पास), जबकि सभी भाई बहन में IQ का पारस्परिक सम्बंध 0.6 है। जुड़वां के अध्ययनों ने इस पद्धति को सुदृढ़ बनाया है: एक जैसा दिखने वाले (समान) जुड़वां बच्चों का अलग-अलग पालन पोषण किया गया लेकिन उनका IQ काफी हद तक समान था (0.86) और वह अलग दिखने वाले (भाईयों) जुड़वां बच्चों के IQ के करीब था जिनका पालन पोषण साथ साथ हुआ था (0.6) यह गोद लिये बच्चों के IQ से काफी अधिक है (~0.0).[७]साँचा:fix
पक्षपातपूर्ण पुराने अध्ययन?
स्टूलमिलर (1999)[२१] ने पाया कि पारिवारिक वातावरण में प्रतिबंध की जो सीमा होती है वह गोद लेने के मामले में भी वही रहती है जो गोद लेने वाले परिवारों में रहती है, उदाहरण के लिए तत्कालीन आम जनसमुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, जबकि पिछले अध्ययनों में साझा परिवार के माहौल की भूमिका को बहुत बढ़ाचढ़ा कर पेश किया गया था। गोद लेने में सुधार की सीमा के अध्ययन में सुधार से संकेत मिलते है क्योंकि सामाजिक-आर्थिक स्थिति IQ के परिवर्तन के लिए 50% तक जिम्मेदार होती है।[२१] हालांकि, गोद लेने के मामले में IQ की सीमा पर प्रतिबंध के प्रभाव का अध्ययन मैट मैकग्यू और उनके सहयोगियों ने किया है, जिन्होंने लिखा है कि "माता-पिता की रोकटोक की मनोग्रंथि और परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की सीमा का गोद लिये बच्चे के आई क्यू (IQ) के पारस्परिक सम्बंध पर (में) असर नहीं डालते.[११]
एरिक तुर्खेइमेर और उनके सहयोगियों ने (2003)[२२] गोद लेने का ही अध्ययन नहीं किया, बल्कि अमरीका के गरीब परिवारों को शामिल किया है। निष्कर्ष कहता है कि IQ के अनुपात का अन्तर जीन और पर्यावरण के सामाजिक-आर्थिक स्थिति में बदलाव के कारण आई अस्थिरता की वजह से बदलता रहता है। मॉडल का सुझाव है कि गरीब परिवारों में IQ में 60% का अन्तर होता है जिसके लिए साझा परिवार का वातावरण जिम्मेदार होता है और जीन का योगदान शून्य के करीब होता है, जबकि संपन्न परिवारों में परिणाम लगभग बिल्कुल विपरीत होता है।[२३] उनका सुझाव है कि साझा पर्यावरणीय कारकों की भूमिका के अध्ययन को पिछले अध्ययनों में कम करके आंका गया है, जो अक्सर समृद्ध मध्य वर्ग के परिवारों का अध्ययन है।[२४]
मातृक (भ्रूण सम्बंधी) पर्यावरण
डेवलिन और उनके सहयोगियों का एक मेटा-विश्लेषण नेचर (1997)[५] के पृष्ठ 212 पर प्रकाशित है। इसमें पिछले अध्ययनों के पर्यावरणीय प्रभाव के लिए एक वैकल्पिक मॉडल का मूल्यांकन किया गया है और पाया गया है कि यह आंकड़ा आमतौर पर इस्तेमाल किये गये 'पारिवारिक-पर्यावरण' मॉडल से बेहतर है। साझा मातृक (भ्रूण सम्बंधी) पर्यावरण का प्रभाव, जिसे अक्सर नगण्य माना जाता है, जुड़वां बच्चों के सहप्रसारण के लिए 20% और भाई बहनों के बीच में 5% के लिए जिम्मेदार होता है और जीन का प्रभाव तदनुसार कम दो परिमाणों में कम हो जाता है और आनुवांशिकता का प्रभाव कम से कम 50% से कम हो जाता है।
बौचार्ड और मैकग्यू ने 2003 में लेख की समीक्षा करते हुए तर्क दिया है कि आनुवांशिकता के महत्व के बारे में डेवलिन का निष्कर्ष पिछली रिपोर्टों से काफी अलग नहीं है और उनका जन्म के पूर्व का निष्कर्ष पिछली रिपोर्टों का खंडन करता है।[२५] वे लिखते हैं कि:
चिपुएर एट अल. और लोएहलिन का निष्कर्ष है कि प्रसव के बाद के बजाए जन्म के पूर्व का वातावरण सबसे महत्वपूर्ण है। डेवलिन एट अल. का निष्कर्ष है कि जन्म के पूर्व का वातावरण जुड़वां बच्चे के IQ में समानता में योगदान देता है, यह एक ऐसा उल्लेखनीय लेख है जो विशेष रूप से जन्म के पूर्व के प्रभाव के बारे में एक व्यापक प्रयोग को सिद्ध करता है। प्राइज (Price) (1950) में 50 साल से भी पहले प्रकाशित एक विस्तृत समीक्षा में तर्क दिया गया है कि लगभग सभी MZ जुड़वां बच्चों के जन्म के पूर्व का प्रभाव समानताएं पैदा करने के बजाय मतभेद पैदा करता है। चूंकि 1950 का इस विषय पर लेख काफी विस्तृत था इसलिए संपूर्ण ग्रंथ की पूरी सूची प्रकाशित नहीं की गयी। यह लेख अंततः 260 अतिरिक्त संदर्भों के साथ 1978 में प्रकाशित हुआ। उस समय प्राइज ने पहले के निष्कर्ष को दोहराया था। 1978 की समीक्षा पिछला शोध ही है जो मुख्यतः प्राइज (Price) की परिकल्पना को पुष्ट करता है।
डिकेंस और फ्लीन मॉडल
डिकेंस और फ्लीन[२६] की मान्यता है कि साझा परिवार के पर्यावरण की अनुपस्थिति के तर्क को समय में बंटे समूहों पर भी समान रूप से लागू करना चाहिए। इसका फ्लीन इफेक्ट ने खण्डन किया है। यहां परिवर्तन इतनी जल्दी हुआ है कि उसे आनुवांशिक पैतृक अनुकूलन से समझाया गया है। इस विडंबना की व्याख्या आनुवांशिकता के लिए अपनाये जाने वाले मानकों के आधार पर की जा सकती है, इसमें जहां IQ पर जीनोटाइप का प्रत्यक्ष प्रभाव शामिल है, वहीं अप्रत्यक्ष प्रभाव भी शामिल है, जिसमें जीनोटाइप पर्यावरण परिवर्तन से IQ को प्रभावित करता है। इस प्रकार जिनके पास उच्च IQ है वे बाहर उत्तेजक वातावरण की तलाश करते हैं जिससे फिर उनका IQ बढ़ता है। प्रत्यक्ष प्रभाव आरम्भ में बहुत कम होता है लेकिन प्रतिक्रिया के परिणाम IQ में व्यापक अन्तर पैदा करते हैं। अपने मॉडल में एक पर्यावरण उत्तेजना IQ पर एक बहुत बड़ा प्रभाव डालता है। यह वयस्कों में भी हो सकता है, लेकिन उत्तेजना जारी न रहे तो यह प्रभाव पर क्षीण भी हो सकता है (मॉडल को संभवित कारकों को शामिल करने के लिए अपनाया जा सकता है, उदाहरण के लिए बचपन में पोषण, जिसका प्रभाव स्थायी होता है). फ्लीन इफेक्ट के प्रभाव को आम तौर पर सभी के लिए अधिक उत्तेजक पर्यावरण से समझाया जा सकता है। लेखकों का सुझाव है कि IQ वृद्धि के लक्ष्य वाले कार्यक्रमों को लम्बे समय तक IQ अर्जित करने वाले कार्यक्रम के तौर पर प्रस्तुत किया जाये और बच्चों को यह सिखाया जाये कि वे कार्यक्रम के बाहर ज्ञान-संबंधी अनुभव की नकल करें जिससे उनके IQ का निर्माण होगा, जब वे कार्यक्रम में रहें उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया जाये कि कार्यक्रम छोड़ने के बाद भी वे लम्बे समय तक नकल जारी रखें.[२६][२७]
IQ और मस्तिष्क
2004 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, इर्विने (Irvine) के डिपार्टमेन्ट ऑफ़ पेड्रियाटिक्स एंड कालेजेस के मनोविज्ञान के प्रोफेसर रिचर्ड हैएर और यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यू मैक्सिको ने मस्तिष्क की संरचनात्मक छवियों को प्राप्त करने के लिए MRI का उपयोग 47 सामान्य वयस्कों पर किया और उनके मानक IQ परीक्षण भी किये। अध्ययन से साबित हुआ कि ऐसा प्रतीत होता है कि सामान्य मानव बुद्धि इस बात पर निर्भर करती है कि दिमाग में ग्रे मैटर (भूरे पदार्थ) ऊतकों की मात्रा कितनी है और उसका स्थान कहां है और यह भी साबित हुआ कि ऐसा लगता है कि दिमाग के ग्रे मैटर में से केवल 6 प्रतिशत का सम्बंध ही IQ से होता है।[२८]
सूचनाओं के विभिन्न स्रोत एक ही बिन्दु की ओर इशारा करते हैं कि ललाट अंश तरल बौद्धिकता के लिए महत्वपूर्ण हैं। परीक्षण में पाया गया है कि ललाट अंश के क्षतिग्रस होने से तरल बौद्धिकता विकृत हो जाती है। (डंकन एट अल. 1995.) ललाट के ग्रे की मात्रा (थाम्पसन एट अल. 2001) और सफेद पदार्थ (स्चोएनेमान्न एट अल. 2005) भी सामान्य बुद्धि के साथ जुड़े रहे हैं। इसके अलावा हाल ही के तन्त्रिकाओं की तस्वीर के अध्ययन ने पार्श्व ललाट के वल्कल की संगति को सीमित कर दिया है। डंकन और उनके सहयोगियों ने (2000) पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी का प्रयोग करके बताया है कि समस्या को सुलझाने के कार्यों का बहुत गहरा पारस्परिक सम्बंध IQ से होता है और वह पार्श्व ललाट वल्कल को भी सक्रिय करता है। हाल ही में ग्रे और उनके सहयोगियों ने (2003) कार्यात्मक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (fMRI) का इस्तेमाल कर यह दर्शाया कि वह व्यक्ति जो किसी एक काम में अधिक दक्ष हो, विरोध करने पर व्याकुल हो जाता है, उसकी कार्य स्मृति की आवश्यकतानुसार उसका उच्चतर IQ और पार्श्व ललाट की गतिविधि बढ़ जाती है। इस विषय की व्यापक समीक्षा के लिए देखें ग्रे और थाम्पसन (2004).[२९]
एक अध्ययन में 307 बच्चों (आयु छह से उन्नीस साल) की मस्तिष्क संरचना का आकार चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग का उपयोग (MRI) को मापने और उनकी मौखिक और गैर-मौखिक क्षमता के आकलन के लिए किया गया। (शॉ एट अल.2006).अध्ययन में इस बात के संकेत मिले हैं कि IQ और वल्कल की संरचना के बीच एक रिश्ता होता है-चारित्रिक विशेषता में बदलाव समूह में उन्नत IQ के अंकों के आधार पर होता है, जो कम उम्र में पतली वल्कल से शुरू होता है और बाद में किशोर वय में औसत से मोटा हो जाता है।[३०]
2006 में एक डच परिवार के अध्ययन के अनुसार CHRM2 जीन और बुद्धि के बीच एक अत्यंत महत्वपूर्ण सम्बद्धता है। इस अध्ययन से निष्कर्ष निकलता है कि CHRM2 जीन के क्रोमोजोम 7 और प्रदर्शन IQ के बीच एक साहचर्य है, जिसकी माप वेच्स्लेर एडल्ट इंटेलिजेंस स्केल-संशोधित से की गयी है। डच परिवार के अध्ययन में 304 परिवारों के 667 व्यक्तियों के उदाहरण का इस्तेमाल किया गया था।[३१] ऐसी ही सम्बद्धता स्वतंत्र रूप से मिनेसोटा जुड़वां और परिवारिक अध्ययन (कमिंग्स एट अल.2003) और वाशिंगटन विश्वविद्यालय के मनश्चिकित्सा विभाग द्वारा किये गये अध्ययन में पायी गयी।[३२]
महत्वपूर्ण चोटें मस्तिष्क के एक भाग को पृथक कर देती हैं, विशेष रूप से जो कम उम्र में लगती हैं, हालांकि वे IQ को बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं कर सकतीं हैं।[३३]
अध्ययन में विवादास्पद विचारों के सम्बंध में परस्पर विरोधी निष्कर्ष निकले हैं कि मस्तिष्क के आकार का पारस्परिक सकारात्मक सम्बंध IQ के साथ है। जेनसेन और रीड ने दावा किया है कि गैर-रोगविज्ञान विषयों में कोई सीधा पारस्परिक संबंध नहीं होता.[३४] हाल ही में हुए एक और मेटा-विश्लेषण की राय इससे भिन्न है।[३५]
तंत्रिका नमनीयता और बुद्धि के अन्तर के सम्बंध को समझने के लिए एक वैकल्पिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है,[३६] और इस दृष्टिकोण को हाल ही में कुछ प्रयोगसिद्ध समर्थन मिले हैं।[३७]
IQ के रुझान
बीसवीं सदी के बाद से IQ अंकों में प्रति दशक लगभग तीन IQ अंकों की औसत दर से दुनिया के अधिकांश भागों में वृद्धि हुई है।[३८] इस प्रक्रिया को फ्लाइन इफेक्ट (उर्फ "लिन-फ्लाइन इफेक्ट") का नाम रिचर्ड लिन और जेम्स आर.फ्लाइन के नाम पर दिया गया है। सुधार की व्याख्याओं में पोषण, छोटे परिवारों का चलन, बेहतर शिक्षा, अधिक पर्यावरण जटिलता और भिन्नाश्रय शामिल है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि आधुनिक शिक्षा के कारण IQ की दिशा में अधिक सुधार हुआ है इसलिए उसे उच्च अंक मिले हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि बुद्धिमत्ता आवश्यक तौर पर बढ़ी हो। [३९] परिणामस्वरूप, परीक्षण में नियमित रूप से औसत 100 अंक प्राप्त करने के लिए पुनः सामान्यीकृत किया जाता है, उदाहरण के लिए WISC-R (1974), WISC-III (1991) और WISC-IV (2003). यह समायोजन विशेष समय के परिवर्तन से सम्बंधित है, जिसमें अंकों की तुलना लम्बवत की जाती है।
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि फ्लाइन (Flynn) इफेक्ट कुछ विकसित देशों, यूनाइटेड किंगडम[४०] में 1980 के दशक के शुरू में और मध्य डेनमार्क[४१] तथा नॉर्वे[४२] में 1990 के दशक में संभवतः खत्म हो गया था।
परिवर्तनशीलता
हालांकि आम तौर पर अडिग विश्वास किया जाता है और हाल के अनुसंधान से भी पता है कि कुछ मानसिक गतिविधियां दिमाग की सूचना प्रक्रिया की क्षमता को बदल सकती हैं, जिससे यह निष्कर्ष निकाला गया है कि समय के साथ बौद्धिकता में तब्दीली लायी जा सकती है या उसे बदला जा सकता है। मस्तिष्क को अब अच्छी तरह से एक तंत्रिकाजाल के तौर पर समझ लिया गया है और इसलिए कई बार ज्यादा आज्ञाकारी बनाने के लिए बदलाव के बारे में सोचा जाता है। पशुओं के तंत्रिका विज्ञान के अध्ययन से संकेत मिलता है कि चुनौतीपूर्ण गतिविधियां मस्तिष्क के जीन की अभिव्यक्ति के स्वरूप में बदलाव ला सकती हैं। (सांचे के लिए डेगूस के प्रशिक्षण[४३] और इरिकी के मकाक बंदरों पर किये गये पूर्ववर्ती शोध में मस्तिष्क में परिवर्तन के संकेत मिले हैं।)
यूनिवर्सिटीज ऑफ़ मिशिगन की एक टीम और बर्न के समर्थकों द्वारा युवा वयस्कों पर अप्रैल 2008 में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि विशेष रूप से रूप-रेखा के अनुसार स्मृति प्रशिक्षण कार्य में बौद्धिक तरल पदार्थ के हस्तांतरण की संभावना रहती है।[४४]
इसके अलावा अनुसंधान के लिए प्रकृति, प्रस्तावित स्थानान्तरण की सीमा और अवधि के निर्धारण की आवश्यकता होगी.[४५] अन्य प्रश्नों में, यह देखना रह जाता है कि क्या बौद्धिकता के तरल पदार्थ के अन्य परीक्षणों के परिणाम भी मैट्रिक्स परीक्षण के अध्ययन के परिणाम जैसे विस्तृत हैं और यदि हां तो प्रशिक्षण के बाद बौद्धिकता के तरल पदार्थ के मानक शैक्षणिक और व्यावसायिक उपलब्धियों के साथ अपना पारस्परिक संबंध बनाए रखते हैं अथवा बौद्धिकता के तरल पदार्थ के गुण संभावित सक्रियता या अन्य कार्यों में परिवर्तन में भूमिका निभाते हैं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि प्रशिक्षण के समय की अवधि का विस्तार टिकाऊ है अथवा नहीं.
तरल बौद्धिक पदार्थ और सघन बौद्धिक की शीर्ष क्षमता 26 वर्ष होती है। जिसमें बाद में धीमी गति से गिरावट आती है।[४६]
सामूहिक मतभेद
बुद्धिमत्ता के अध्ययन के जुड़े सबसे विवादास्पद मुद्दों में वह अवलोकन है जिससे बुद्धि को मापा जाता है जैसे IQ अंक, जो जनसमुदाय में अलग-अलग होता है। हालांकि इन मतभेदों में से कुछ के अस्तित्व के बारे में कुछ विद्वानों में बहस चल रही है और कारणों को लेकर शिक्षाविदों और सार्वजनिक क्षेत्र में अत्यधिक विवाद है।
स्वास्थ्य
एक उच्च IQ वाला व्यक्ति आम तौर पर ऐसा व्यक्ति है जो कम वयस्क रुग्णता का शिकार है और जिसकी मृत्यु दर अधिक है। जो ज़ख्म-संबंधी तनाव के बाद के विकार,[४७]
और एक प्रकार के पागलपन[४८][४९] से ग्रस्त और उच्च IQ समूह में कम प्रबल है। किसी व्यक्ति में किसी बड़े अवसादग्रस्तता वाले प्रकरण के मध्य में उस व्यक्ति की तुलना में निम्न IQ दिखायी देता है जो बगैर कम संज्ञानात्मक क्षमता के लक्षण व बिना अवसाद वाले बराबर की मौखिक बौद्धिकता के व्यक्ति हैं।[५०][५१]
स्कॉटलैंड में 11,282 व्यक्तियों के एक अध्ययन में जो, 1950 और 1960 के दशक में 7, 9 और 11 वर्ष की उम्र के बच्चों की बुद्धि परीक्षण पर आधारित है, में पाया गया कि बचपन के IQ अंक और अस्पताल में दाखिल किये गये चोटिल वयस्कों के IQ अंकों के बीच 'उलटी रैखिक संगति' है। बचपन के IQ और चोट के ठीक होने के बाद भी खतरे के बने रहने के कारकों के बीच वही सम्बंध है, जो बच्चे में सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के कारण बने रहते हैं।[५२] स्कॉटलैंड के अनुसंधान में यह भी दर्शाया गया है कि 15 अंक कम IQ वाले 76 लोगों के जीने की संभावना का पांचवां हिस्सा कम था, जबकि 30 अंक कम पाने वालों की संख्या उच्च IQ वालों से 37% कम थी, जिनका उतनी अवधि तक जीने का अवसर था।[५३]
IQ में कमी अल्जाइमर रोग की शुरुआत को दर्शाता है, जिसमें आगे चलकर डेमेंटिया (जड़बुद्धिता या मनोभ्रंश) और इस बीमारी के दूसरे रूप सामने आते हैं। 2004 के एक अध्ययन में सर्विल्ला (Cervilla) और उनके सहयोगियों ने दर्शाया कि संज्ञानात्मक क्षमता के परीक्षण ने ऐसी जानकारियां उपलब्ध करायी हैं जिससे मनोभ्रंश के हमले के एक दशक से भी पहले उसकी भविष्यवाणी की जा सकती है।[५४] बहरहाल, उच्च स्तर की संज्ञानात्मक क्षमता वाले व्यक्तियों के रोग निर्णय का एक अध्ययन 120 या उससे अधिक लोगों के IQ पर किया गया।[५५] मरीजों के रोग का निर्णय आदर्श मानक के अनुसार नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उसे एक उच्च IQ मानक से समायोजित करना चाहिए, जो किसी व्यक्ति की उच्च क्षमता के स्तर के विरुद्ध बदलाव को माप सके.सन् 2000 में व्हाल्ले (Whalley) और उनके सहयोगियों का न्यूरोलॉजी पत्रिका में एक आलेख प्रकाशित हुआ जिसमें उन्होंने बचपन की मानसिक क्षमता और बाद में शुरू होने वाले मनोभ्रंश के बीच संबंध की पड़ताल की है। अध्ययन से पता चला कि अन्य बच्चों की तुलना में उन बच्चों का मानसिक क्षमता अंक उल्लेखनीय रूप से कम है जो अंततः बाद में शुरू होने वाले मनोभ्रंश के शिकार हुए.[५६]
संज्ञानात्मकता को क्षति करने के कई महत्वपूर्ण कारक हो सकते हैं, खासकर यदि वह गर्भावस्था और बचपन के दौरान हुई हो, जब मस्तिष्क का विकास हो रहा होता है और रक्त-मस्तिष्क बाधा कम प्रभावी होती है। इस तरह की परेशानी कई बार स्थायी हो सकती है या बाद में विकास के साथ कई बार आंशिक या पूरी तरह उसकी भरपाई हो सकती है। कई हानिकारक तत्व भी जुड़ सकते हैं जिससे अधिक परेशानी की आशंका रहती है।
विकसित देशों ने कई स्वास्थ्य नीतियों को कार्यान्वित किया है ताकि उन पोषक तत्वों और विषाक्त पदार्थों के बारे में पता लगाया जा सके जो संज्ञानात्मक क्रिया को प्रभावित करते हैं। इनमें कुछ हैं खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए आवश्यक कानून की पकड़ को मजबूत करना, प्रदूषकों के सुरक्षित स्तर की स्थापना के लिए कानून, (जैसे सीसा, पारा और आर्गनोक्लोराइड्स).बच्चों की संज्ञानात्मक क्षति में कमी लाने के लिए व्यापक नीति की सिफारिश का प्रस्ताव किया गया है।[५७]
किसी के स्वास्थ्य पर बौद्धिकता के प्रभाव के सम्बंध में एक ब्रिटिश अध्ययन मे पाया गया है कि बचपन के उच्च IQ का पारस्परिक सम्बंध वयस्क होने के बाद उसके शाकाहारी हो जाने से है। [५८] एक अन्य ब्रिटिश अध्ययन में कहा गया है कि बचपन में उच्च IQ का पारस्परिक उल्टा सम्बंध धूम्रपान की संभावना से है।[५९]
लिंग
पुरुषों और महिलाओं की विशेष योग्यता के परीक्षण में सांख्यिकीय औसत अंकों में काफी अंतर पाया गया है।[६०][६१] अध्ययनों में इस बात की भी व्याख्या की गयी है कि औरतों की तुलना में पुरुषों के प्रदर्शन में लगातार काफी अन्तर आता है (उदाहरण के लिए, पुरुष के अंक का विस्तार पूरे स्पेक्ट्रम (वर्णक्रम) की सीमाओं में बिखरा हुआ है)[६२]
लिंग भेद का IQ जांच के इन मामलों में काफी महत्व है लेकिन इनमें लिंग के आधार का औसत नहीं निकाला गया है हालांकि लगातार अन्तर को नहीं हटाया गया है। क्योंकि परीक्षण परिभाषित करते हैं कि कोई औसत अन्तर नहीं है और इस सम्बंध में एक वक्तव्य में कहा गया है कि किसी एक लिंग के व्यक्ति में दूसरे लिंग के व्यक्ति से अधिक बुद्धि होने की बात अर्थहीन है। हालांकि कुछ लोगों ने इस तरह का दावा किया है और इस सम्बंध में आधारहीन IQ परीक्षण भी किये गए हैं। उदाहरण के लिए मेडिकल छात्रों ने परीक्षण के आधार पर दावा किया है कि महिलाओं के मुकाबले पुरूष तीन से चार IQ अंक आगे निकल गये हालांकि IQ के नतीजों में इससे ज्यादा के अन्तर की उम्मीद की जा सकती है,[६३] या फिर जहां विभिन्न परिपक्वता उम्र के लिए 'सुधार' किया गया हो। [६४]
नस्ल
1996 में बौद्धिकता को लेकर गठित व अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा प्रायोजित टास्क फोर्स की जांच का निष्कर्ष निकाला गया है कि नस्लों में IQ के मामले में काफी भिन्नताएं हैं।[९] इस बदलाव के पीछे के कारणों के निर्धारण की समस्या IQ में "प्रकृति और पोषण" के योगदान के प्रश्न से सम्बंधित है। ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि आनुवंशिकता और पर्यावरण के योगदान के विश्लेषण के लिए तथ्य अपर्याप्त हैं। वंशानुगत आधार को मजबूत मानने वाले उल्लेखनीय शोधकर्ताओं में सबसे प्रमुख आर्थर जेन्सेन हैं। इसके विपरीत मिशिगन विश्वविद्यालय के लम्बे अरसे तक निदेशक रहे रिचर्ड निस्बेट का तर्क है कि बुद्धिमत्ता पर्यावरण से जुड़ा हुआ मामला है और उसका आधार वे मानक हैं, जो अन्य की तुलना में कुछ निश्चित प्रकार की "बुद्धिमत्ता" (मानकीकृत परीक्षणों पर सफलता) के पक्षधर हैं।
हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक संपादकीय, जिसका शीर्षक "All Brains Are the Same Color"(सभी दिमागों का एक ही रंग) है, में डॉ॰निस्बेट ने इस कल्पना के खिलाफ दलील दी है कि अश्वेतों और गोरों के बीच IQ में अन्तर का कारण आनुवांशिक है। उन्होंने इस बात पर गौर किया कि दशकों से अनुसंधान ने इस दावे का दृढ़ता के साथ समर्थन नहीं किया कि संयुक्त राज्य अमरीका की एक नस्ल सहज बुद्धि के संदर्भ में जैविक रूप से कमतर है। इसके विपरीत, वे तर्क देते हैं, "गोरे अपनी बातें बेहद समझदारी के साथ रखते हैं, समानताओं की बेहतर पहचान की क्षमता रखते हैं और बेहतर उपमाओं की दक्षता वाले हैं, जब शाब्दिक ज्ञान और अवधारणाओं के समाधान की आवश्यकता होती है तो अश्वेतों की तुलना में गोरों को इसके लिए उपयुक्त माने जाने की संभावना रहती है। (एक उदाहरण एक शब्द का प्रयोग सादृश्य है "boat (नाव) के बजाय yacht (नौका)", लेकिन जब इस तर्क से शब्दों और विचारों का परीक्षण अश्वेतों और गोरों पर समान रूप से किया गया तो पाया गया कि दोनों ही इसमें समान रूप से अच्छे हैं और ज्ञात हुआ कि दोनों में कोई अन्तर नहीं है। हरेक नस्ल में, पूर्व ज्ञान से भविष्यवाणी की जानकारी और उसका तर्क होता है, लेकिन नस्लों के बीच अन्तर केवल पूर्व ज्ञान का ही होता है।
IQ के साथ सकारात्मक पारस्परिक सम्बंध
जहां IQ को कई बार स्वयं उसके ही अन्त के रूप में देखा जाता है, विद्वानों का IQ पर किया गया कार्य काफी हद तक IQ की वैधता पर केंद्रित है, IQ का पारस्परिक सम्बंध उस परिणाम से है जो नौकरी के निष्पादन, सामाजिक विकृतियों या शैक्षणिक उपलब्धि में दिखायी देता है।
विभिन्न IQ परीक्षणों में विभिन्न परिणामों को लेकर अपनी वैधताएं हैं। परंपरागत रूप से IQ और उसके परिणामों के पारस्परिक सम्बंध को भविष्यवाणी के साधन के रूप में देखा जाता है लेकिन पाठकों को ठोस विज्ञानों और सामाजिक विज्ञानों की भविष्यवाणियों में अन्तर को समझना चाहिए।
अन्य परीक्षण
एक अध्ययन में पाया गया है कि g (जनरल इंटेलिजेंस फैक्टर) और SAT का पारस्परिक संबंध .82 अंक[६५] का है जबकि दूसरे में पाया गया कि g और GCSE के बीच पारस्परिक सबंध के अंक.81 हैं।[६६]
डेअरी और उनके सहयोगियों के अनुसार IQ (सामान्य संज्ञानात्मक क्षमता) और उपलब्धि परीक्षण का पारस्परिक सम्बंध अंक .81 है, सामान्य संज्ञानात्मक क्षमता में अन्तर का प्रतिशत "गणित में 58.6%, अंग्रेजी में 48% और कला तथा डिजाइन में 18.1% है".[६७]
नौकरी में प्रदर्शन
श्मिट (Schmidt) और हंटर (Hunter) के अनुसार बिना पूर्व अनुभव वाले कर्मचारी को नौकरी पर रखना सबसे अधिक मान्य भविष्य अनुमान है, जो भावी प्रदर्शन के अनुमान की एक सामान्य मानसिक योग्यता है।[६८] नौकरी में काम के प्रदर्शन के सम्बंध में भावी अनुमान में IQ की वैधता सभी अध्ययनों में शून्य से ऊपर पायी गयी है, किन्तु विभिन्न अध्ययनों में उसमें काम के प्रकार को लेकर अन्तर पाया गया है, जिसकी सीमा 0.2 से 0.6 अंक के बीच है।[६९] जहां IQ का पारस्परिक सम्बंध विचार से बहुत मजबूत है वहीं मोटर गाड़ी चलाने के कार्य से बहुत कम है[७०] जबकि IQ-परीक्षण अंक सभी पेशों में कामकाज की भविष्यवाणी के लिए है।[६८] उनका कहना है कि उच्च शिक्षित गतिविधियों (अनुसंधान, प्रबंधन) में IQ अंक पर्याप्त प्रदर्शन के लिए बाधक हैं, जबकि न्यूनतम कुशलता की गतिविधियों जैसे एथलेटिक शक्ति (हाथों की ताकत, गति, सहनशक्ति और समन्वय) में और बेहतर प्रदर्शन की संभावना रहती है।[६८]
IQ और कार्य प्रदर्शन के बीच कारण सम्बंधी दिशा निर्धारित करने के लिए वाटकिंस एवं अन्य लोगों द्वारा किये गये लम्बवत अध्ययन में यह सुझाया गया है कि, हालांकि IQ भविष्य की शैक्षणिक उपलब्धि को प्रभावित करने वाला कारण होता है लेकिन शैक्षणिक उपलब्धि भविष्य के IQ अंकों पर अधिक प्रभाव नहीं डालती.[७१] तरीना एइलीन रोहडे (Treena Eileen Rohde) और ली ऐनी थामसन (Lee Anne Thompson) लिखते हैं कि सामान्य संज्ञानात्मक क्षमता नहीं बल्कि विशिष्ट क्षमता अंक अकादमिक उपलब्धि की संभावना तय करते हैं, इस अपवाद के साथ कि प्रसंस्करण गति और स्थानिक क्षमता से सामान्य संज्ञानात्मक क्षमता के प्रभाव से परे SAT गणित पर प्रदर्शन का अनुमान लगाया जा सकता है।[७२]
'अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन' की रिपोर्ट इंटेलिजेंस : नोंस एंड अननोंस[९] में कहा गया है कि अन्य वैयक्तिक चारित्रिक विशेषताएं जैसे पारस्परिक कौशल, व्यक्तित्व पहलू आदि संभवतः बराबर या अधिक महत्व के होते हैं, लेकिन उनका आकलन करने के लिए इस समय हमारे पास उसके बराबर विश्वासयोग्य उपकरण नहीं हैं।[९] हालांकि, अभी हाल ही में, अन्य लोगों का तर्क है कि ज्यादातर व्यावसायिक कार्य मानकीकृत या स्वचालित हैं और IQ रैंक एक स्थिर माप है जिसका समय के साथ दृढ़ पारस्परिक सम्बंध है जो लोगों के कई सकारात्मक व्यक्तिगत गुण के साथ जुड़ा हुआ है। यह सबसे अच्छा उपकरण सबसे अच्छा काम पाने का निर्धारण करता है और कैरियर में किसी भी स्तर पर नौकरी पाने में मददगार है, अनुभव की स्वतंत्रता, व्यक्तित्व पूर्वाग्रह या किसी औपचारिक प्रशिक्षण से यह कोई भी प्राप्त कर सकता है।
आय
कुछ शोधकर्ताओं का दावा है "आर्थिक दृष्टि से यह प्रतीत होता है कि IQ अंक के पैमाने का सीमांत मूल्य कुछ कम हो रहा है। इसका पर्याप्त होना काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह इतना और इतना अधिक है कि आप उसे खरीद नहीं सकते."[७३][७४]
अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि क्षमता और रोजगार के लिए प्रदर्शन के बीच सीधा संबंध है, ऐसा सभी IQ स्तरों पर होता है, IQ स्तर में वृद्धि सहायक होती है जो प्रदर्शन को बढ़ाती है।[७५]द बेल कर्व के सह-लेखक चार्ल्स मर्रे (Charles Murray) ने पाया कि IQ पर पारिवारिक पृष्ठभूमि की आय का स्वतंत्र रूप से काफी प्रभाव पड़ता है।[७६]
उपर्युक्त दो सिद्धांतों पर एक साथ बात करें तो बहुत उच्च IQ का काम के प्रदर्शन पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है, लेकिन थोड़े अधिक IQ से आय अधिक नहीं होती (और कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि बहुत अधिक IQ वालों को कुछ कम IQ वालों की अपेक्षा कम आय होती है।[७७][७८]
'द अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन' की रिपोर्ट इंटेलिजेंस : नोंस एंड अननोंस[९] में कहा गया है कि IQ अंक में एक चौथाई योगदान सामाजिक स्थिति के अन्तर और एक-छठा हिस्सा आय के अन्तर का होता है। पैतृक के सांख्यिकी नियंत्रण SES ने भविष्यफल बताने वाली इस शक्ति की दिशा को खत्म कर दिया। मनोमितीय बुद्धिमानी सामाजिक परिणामों पर प्रभाव डालने वाले कई बड़े कारकों में से केवल एक कारक दिखायी देता है।[९]
कुछ अध्ययनों का दावा है कि IQ का आय के अन्तर में केवल छठवें हिस्से के बराबर योगदान होता है उसका कारण केवल यह है कि ज्यादातर अध्ययन युवा वयस्कों पर आधारित हैं (जिनमें से कई अपनी शिक्षा अभी पूरी भी नहीं कर पाये थे). द g फैक्टर के पृष्ठ 568 पर आर्थर जेनेसेन ने दावा किया है कि यद्यपि IQ और आय के पारस्परिक सम्बंध का औसत 0.4 तक सीमित है, मध्यम (छठा हिस्सा या 16% का अन्तर), संबंध उम्र के साथ बढ़ता है और बीच की उम्र में शिखर तक पहुंचता है, जब लोग अपने कैरियर की अधिकतम क्षमता तक पहुंच चुके होते हैं। अ कोश्चन ऑफ़ इंटेलिजेंस पुस्तक में डैनियल सेलिग्मन ने हवाला देते हुए IQ आय का परस्पर सम्बंध 0.5 (25% का अन्तर) बताया है।
2002 में किये गये एक अध्ययन[७९] में गैर-IQ कारकों के आय पर प्रभाव के कारणों की जांच की गयी और निष्कर्ष निकाला कि किसी को खानदान की विरासत से मिले धन, नस्ल और शिक्षा, आय का निर्धारण करने में IQ से अधिक महत्वपूर्ण कारक हैं। उदाहरण के लिए 2004 के अफ्रीकी अमरीकी श्रमिक की मध्य औसत अमरीकी अल्पसंख्यक समूह में एशियाई अमरीकियों[८०] के बाद सर्वाधिक थी और अल्पसंख्यक समूहों के बीच सिर्फ एशियाई अमरीकी ही अधिकतर सफेदपोश (ह्वाइट-कॉलर) पेशों से सम्बद्ध थे (प्रबंधन और सम्बंधित क्षेत्रों में) हालांकि अफ्रीकी और एशियाई अमरीकियों के बीच IQ में उल्लेखनीय अन्तर है।[८१]
IQ के साथ अन्य पारस्परिक सम्बंध
इसके अतिरिक्त, IQ और उसके पारस्परिक सम्बंध स्वास्थ्य, हिंसक अपराध, देश का सकल उत्पाद और सरकार की प्रभावकारिता ऐसे विषय हैं जो इंटेलिजेंस में 2006 में प्रकाशित एक आलेख के विषय हैं। इस आलेख ने संघीय सरकार की शैक्षिक प्रगति के राष्ट्रीय मूल्यांकन के गणित और पाठ परीक्षण के अंकों को स्रोत के रूप में अपनाकर अमरीकी देश के IQ के औसत को नीचे ला दिया। [८२]
उसमें बाल अपराधों की बड़ी संख्या वाली एक डेनिश उदाहरण के IQ पारस्परिक सम्बंध का उल्लेख है, जो -0.19 अंक है और सामाजिक वर्ग नियंत्रण में पारस्परिक सम्बंध गिरकर-0.17 अंक हो जाता है। इसी प्रकार, पारस्परिक समंबध का सबसे "नकारात्मक परिणाम" आम तौर पर 0.20 अंक से कम का अन्तर है, जिसका मतलब है कि परीक्षण अंक अपने कुल अन्तर से 4%से भी कम अंक से जुड़े हुए हैं। यह जान लेना ज़रूरी है कि मनोमितीय क्षमता और सामाजिक परिणामों के बीच परोक्ष सम्बंध हो सकते हैं। खराब शैक्षिक प्रदर्शन के कारण बच्चे अलग-थलग महसूस कर सकते हैं। नतीजतन, उनके अन्य बच्चों की तुलना में अपराधी व्यवहार में संलग्न होने की संभावना अधिक हो सकती है।[९]
IQ का कुछ रोगों के साथ पारस्परिक नकारात्मक सम्बन्ध भी है।
तम्ब्स एट अल .[८३] (Tambs et al.) ने पाया है कि व्यावसायिक स्थिति, शिक्षा प्राप्ति और IQ व्यक्तिगत आनुवांशिक गुण हैं और आगे पाया कि "आनुवंशिक अन्तर शैक्षणिक योग्यता... प्राप्ति को प्रभावित करता है और व्यावसायिक स्थिति में उसका योगदान लगभग आनुवांशिक अन्तर का एक चौथायी होता है। अमरीकी भाई बहन का एक उदाहरण देकर रोवे एट अल.[८४] (Rowe et al) की रिपोर्ट कहती है कि शिक्षा और आय में असमानता के मुख्य कारक जींस और साझा पर्यावरण हैं, जिन्होंने सहायक की भूमिका निभायी.
सार्वजनिक नीति
संयुक्त राज्य अमरीका में कुछ सरकारी नीतियों और सैन्य सेवाओं से सम्बंधित कानून,[८५][८६] शिक्षा, सार्वजनिक लाभ,[८७] अपराध[८८] और रोजगार जिसमें किसी व्यक्ति का IQ शामिल हो अथवा उसके निर्धारण में समान मान दंड अपनाये गये हों.हालांकि 1971 में रोजगार में नस्लीय अल्पसंख्यकों के प्रति पृथकतावादी रवैये को न्यूनतम करने के उद्देश्य से अमरीकी सुप्रीम कोर्ट ने कुछेक विरल मामलों को छोड़कर रोजगार में IQ परीक्षा के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया.[८९] अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ सरकारी नीतियां लागू की गयीं, जैसे पोषण में सुधार लाने और न्यूरोटाक्सिन (नसों में नशे का इंजेक्शन लेना) पर रोक लगाकर बौद्धिकता को बढ़ावा दिया गया या उसमें गिरावट रोकने का लक्ष्य रखा गया।
आलोचना और विचार
बिनेट (Binet)
फ्रांस के एक मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड बिनेट को इस पर यकीन नहीं था कि IQ परीक्षण के मानक बुद्धि मापने योग्य हैं। उन्होंने न तो "इंटेलिजेंस क्वोशेंट" पद का आविष्कार किया है और ना ही उसके संख्यात्मक अभिव्यक्ति का समर्थन करते हैं।साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]उनका कहना था:
बिनेट ने बिनेट-साइमन बुद्धि पैमाने को तैयार किया था ताकि उन छात्रों को चिह्नित कर सकें जिन्हें स्कूल के पाठ्यक्रम को समझने में विशेष मदद की जरूरत है। उन्होंने दलील दी कि उचित उपचारात्मक शिक्षा कार्यक्रम के बल पर ज्यादातर छात्र चाहे जैसी पृष्ठभूमि के हों, स्कूल में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्हें यह विश्वास नहीं था कि बुद्धिमत्ता का अस्तित्व सुनिश्चित ढंग से मापने योग्य है।
बिनेट की चेतावनी: साँचा:quote
मनुष्य की गलत माप
कुछ वैज्ञानिक पूरे साइकोमेट्रिक्स को विवादास्पद मानते हैं।द मिसमेजर ऑफ़ मैन में हार्वर्ड के प्रोफेसर और जीवाश्म वैज्ञानिक स्टीफन जे गोल्ड ने तर्क दिया है कि बुद्धि परीक्षण दोषपूर्ण मान्यताओं के आधार पर किये जा रहे थे और इसके इतिहास से पता चलता है कि उसका इस्तेमाल वैज्ञानिक नस्लवाद के आधार पर हो रहा था। उन्होंने लिखा है:
उन्होंने अपनी पुस्तक के ज्यादातर हिस्से में IQ की अवधारणा की आलोचना की है, साथ ही साथ उन्होंने एक ऐतिहासिक बहस भी छेड़ी है कि IQ परीक्षण कैसे तैयार किये जाते थे और एक तकनीकी चर्चा की है कि क्यों "g" एक सामान्य गणितीय विरूपण साक्ष्य है। पुस्तक के बाद के संस्करणों में द बेल कर्व की आलोचना शामिल है।
IQ और बुद्धिमत्ता के बीच संबंध
शिप्पेसंबर्ग यूनिर्सिटी के डॉ॰सी.जॉर्ज बोएरी के अनुसार बुद्धिमत्ता व्यक्ति की वह क्षमता है जिसका सम्बंध (1) ज्ञान प्राप्ति (यानी सीखने और समझने), (2) ज्ञान के इस्तेमाल (समस्याओं का समाधान) और (3) तर्क के सारमर्म की समझ से है। यह किसी की बुद्धि शक्ति है और यह इतना महत्वपूर्ण पहलू है जिससे किसी का सम्पूर्ण हित जुड़ा होता है। मनोवैज्ञानिक इसको मापने का प्रयास एक सदी से भी अधिक समय से कर रहे हैं।
बुद्धिमत्ता को मापने कि लिए कई और तरीकों का प्रस्ताव किया गया है। डैनियल स्चाक्टेर, डैनियल गिल्बर्ट और अन्य विद्वानों ने सामान्य बुद्धिमत्ता और IQ से आगे जाकर बुद्धिमत्ता के पूरे अर्थ की व्याख्या करने का प्रयास किया है।[९०]
परीक्षण पूर्वाग्रह
द अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट इंटेलिजेंस: नोंस एंड अननोंस[९] में कहा गया है कि IQ परीक्षण अफ्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ सामाजिक उपलब्धि के भविष्यवक्ता के रूप में पक्षपाती नहीं हैं, क्योंकि वे भविष्य के प्रदर्शन के सम्बंध में भविष्यवाणी करते थे जैसे स्कूली उपलब्धि के बारे में, ठीक उसी तरह जिस तरह से वे यूरोपीय मूल के लोगों के लिए भविष्य के प्रदर्शन के सम्बंध में करते थे।[९]
हालांकि, IQ परीक्षण का अन्य स्थितियों में इस्तेमाल पक्षपातपूर्ण हो सकता है। 2005 में एक अध्ययन में कहा गया है कि "भविष्यवाणी में अंतर वैधता का पता चलता है कि WAIS-R के परीक्षण में सांस्कृतिक प्रभाव का असर था जिससे मैक्सिकन अमरीकी छात्रों के संज्ञानात्मक क्षमता के पैमाने के तौर पर WAIS-R की वैधता कम होती है,[९१] जिससे श्वेत छात्रों के एक कमजोर सकारात्मक सापेक्ष पारस्परिक सम्बंध की मिसाल का संकेत मिलता है। हाल के एक अन्य अध्ययन ने दक्षिण अफ्रीका में प्रयुक्त IQ परीक्षण की सांस्कृतिक निष्पक्षता पर सवाल खड़ा किया है।[९२][९३] स्टैनफोर्ड-बिनेट जैसे मानक बौद्धिकता परीक्षण ऑटिज्म और डिस्लेक्सिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के लिए अक्सर अनुपयुक्त हैं, विकास या अनुकूली कौशल उपायों का उपयोग करने का विकल्प तुलनात्मक रूप से ऑटिज्म से ग्रसित बच्चे के लिए बुद्धिमत्ता का कमजोर पैमाना था और उसके परिणाम इन गलत दावों पर आधारित थे कि ज्यादातर ऑटिज्म के शिकार बच्चे मानसिक तौर पर मंद होते हैं।[९४]
पुरानी पद्धति
2006 में प्रकाशित एक आलेख में तर्क दिया गया है कि मुख्यधारा के समकालीन परीक्षण का विश्लेषण क्षेत्र के हाल के घटनाक्रमों को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित नहीं करता है और "कला की एक मनोमितीय स्थिति को प्रस्तुत करता है, जिसमें एक अलौकिक समानता है, जो 1950 के दशक में अस्तित्व में थी।"[९५] इसमें यह भी दावा किया गया है कि हाल में बुद्धिमत्ता के मामले में समूह के अन्तर पर किये गये सबसे प्रभावशाली अध्ययनों में, पुरानी पद्धति का उपयोग किया गया जिसमें यह दिखाया गया है कि परीक्षण निष्पक्ष हैं।
कुछ लोगों का तर्क हैसाँचा:fix कि IQ अंकों का इस्तेमाल एक बहाने के तौर पर किया गया ताकि गरीबी को कम करने या सभी के लिए जीवन स्तर को बेहतर बनाने से बचा जा सके. दावा किया गया है कि कम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल ऐतिहासिक सामंती व्यवस्था और महिलाओं के असमान व्यवहार का औचित्य साबित करने के लिए किया गया (देखें लिंग और बुद्धिमत्ता).इसके विपरीत, दूसरों का का दावा है कि "उच्च IQ वाले कुलीनों" का अस्वीकार IQ को असमानता के एक कारण के रूप में गंभीरता से देखना अनैतिक है।[९६]
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन का दृष्टिकोण
द बेल कर्व को लेकर उठे विवाद की प्रतिक्रिया में अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के वैज्ञानिक मामलों के बोर्ड ने 1995 में एक कार्यदल की स्थापना की जिसने सर्वसम्मति से रिपोर्ट दी थी, जो बुद्धिमत्ता अनुसंधान की स्थिति के सम्बंध में थी, जिसका उपयोग सभी पक्षों द्वारा बहस के आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। रिपोर्ट का पूर्ण पाठ कई वेबसाइटों पर उपलब्ध है।[९][९७]
इस आलेख में एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को इसका खेद है कि बुद्धिमत्ता से संबंधित कार्य अक्सर उसके राजनीतिक परिणाम की दृष्टि से लिखे गये हैं: "शोध निष्कर्ष अक्सर उनके गुण या उनके वैज्ञानिक आधार पर नहीं निकाले गये हैं बल्कि संभावित राजनैतिक निहितार्थ से निकाले गये हैं।
टास्क फोर्स ने निष्कर्ष निकाला है कि IQ अंक स्कूल की उपलब्धि में अन्तर के सम्बंध में भविष्यवाणी की उच्च वैधता रखते हैं। उसने वयस्कों की व्यावसायिक स्थिति की भविष्यवाणी की वैधता की भी पुष्टि की है और तब भी जब शिक्षा और परिवार की पृष्ठभूमि के सांख्यिकीय नियंत्रण में अन्तर हो। उन्होंने पाया कि बुद्धिमत्ता तंत्र में व्यक्तिगत मतभेद काफी हद तक आनुवंशिकी से प्रभावित हैं और जीन और पर्यावरण दोनों परस्पर जटिल क्रिया में बौद्धिक क्षमता के विकास के लिए जरूरी हैं।
उसका कहना है कि इसके कुछ प्रमाण हैं कि बचपन के आहार का प्रभाव बुद्धिमत्ता पर पड़ता है, गंभीर कुपोषण के मामले को छोड़कर.टास्क फोर्स भी इससे सहमत है कि अश्वेतों और गोरों के औसत IQ अंक के बीच पर्याप्त अंतर है और इन मतभेदों को परीक्षण के निर्माण में पक्षपातपूर्ण नहीं ठहराया जा सकता. टास्क फोर्स ने सुझाव दिया है कि सामाजिक स्थिति और सांस्कृतिक अंतर के आधार पर व्याख्या संभव है और पर्यावरणीय कारक कई जनसमुदायों में परीक्षण के अंक को बढ़ा सकते हैं। आनुवंशिक कारणों के संबंध में उसने लिखा है कि इस मुद्दे पर प्रत्यक्ष अधिक प्रमाण नहीं हैं, लेकिन थोड़ी चूक वहां है जहां वह आनुवांशिक परिकल्पना के समर्थन को विफल करता है।
द APA जर्नल ने यह वक्तव्य प्रकाशित किया था, जिस पर अमरीकन सोइकोलाजिस्ट ने बाद में जनवरी 1997 में ग्यारह महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएं प्रकाशित कीं, उनमें से कई का तर्क है कि रिपोर्ट आनुवंशिक कारणों के आंशिक योगदान के सबूतों की जांच में काफी हद तक विफल रही.
उच्च IQ समाज
मेनसा एक सामाजिक संगठन है और कई देशों में हार्ड कॉपी का प्रकाशक है। वह उन लोगों की सदस्यता निर्धारित करता है जिन्होंने IQ बेल कर्व के परीक्षण में उच्च अंक लेकर 98वां प्रतिशतक अर्जित करने की मान्यता प्राप्त की है। (उदाहरण के लिए मेनसा इंटरनेशनल के साथ ही साथ कई अन्य विशिष्ट समूहों का दावा 98 वें परसेंटाइल से अधिक का है)
पॉप संस्कृति का उपयोग
कई वेबसाइटें और पत्रिकाएं IQ शब्द का उपयोग तकनीकी या लोकप्रिय ज्ञान के कई विषयों के सदंर्भ में करती हैं जिसका सम्बंध बुद्धिमत्ता से नहीं होता, जिनमें सेक्स,[९८] ताश के पत्तों का खेल[९९] और अमरीकी फुटबॉल[१००] अन्य विस्तृत विविधता के विषयों में शामिल है। ये परीक्षण आमतौर पर मानकीकृत नहीं हैं और बुद्धिमत्ता की सामान्य परिभाषा में फिट नहीं बैठते हैं।वेच्स्लेर वयस्क बुद्धिमत्ता स्केल, वेच्स्लेर बाल बुद्धिमत्ता स्केल फॉर चिल्ड्रेन, स्टैनफोर्ड बिनेट, संज्ञानात्मक क्षमताओं के लिए वुडकॉक-जॉनसन III टेस्ट अथवा कॉफमन एसेसमेंट बैटरी फॉर चिल्ड्रेन-II उन कुछ बुद्धिमत्ता परीक्षणों में से एक हैं जिन्होंने इस दिशा में न सिर्फ बेहतर कार्य किया है बल्कि आदर्श स्थापित किया है, संभवतः हजारों कथित "IQ टेस्ट" इंटरनेट पर पाए जाते हैं, लेकिन उन परीक्षणों में भी उन्हीं गुणकों (जैसे तरल और सघन बुद्धिमत्ता, कार्य स्मृति और पसंद) का सहारा लिया जाता है जो पूर्व में किये गये बुद्धिमत्ता परीक्षणों में शुद्ध विश्लेषण को प्रस्तुत करने वाले गुणक विश्लेषक माने जाते थे। सैकड़ों ऑनलाइन परीक्षण यह दावा करके अपना बाजार नहीं बनाते कि वे IQ परीक्षण कर रहे हैं, एक अंतर यह है कि दुर्भाग्य से वह आम लोगों द्वारा किया जाता है इसलिए खो जाता है।
संदर्भ सारणी
IQ संदर्भ सारणी मनोवैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गयी तालिका है जिसमें बुद्धिमत्ता के स्तरों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।
इन्हें भी देखें
साँचा:wikiversity साँचा:col-begin साँचा:col-break
- शिक्षाविद
- स्व-उपदेशवाद
- बाल विलक्षणता
- सांस्कृतिक बुद्धिमत्ता
- जिज्ञासा लब्धि
- CHC सिद्धांत
- विकास असमर्थता
- संवेदनात्मक बुद्धिमत्ता
- EQ SQ सिद्धांत
- जेनेटिक्स ऑफ़ इंटेलिजेंस
- ग्रेजुएट रिकार्ड एक्ज़ामिनेशन
- बौद्धिक उपहार
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सन्दर्भ
नोट्स
ग्रंथ सूची
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बाहरी कड़ियाँ
- योग्यता और उपर्युक्त औसत प्रतिभा परीक्षण
- मेनस्ट्रीम साइंस ऑन इंटेलिजेंस
- PDF रीप्रिंट- मेनस्ट्रीम साइंस ऑन इंटेलिजेंस: एक सम्पादकीय सहित 52 हस्ताक्षरक, इतिहास और ग्रंथ सूची
- साइंटिफिक अमरीकनः इंटेलिजेंस कनसिडर्ड
- "इंटेलिजेंस और IQ टेस्ट्स" पर अंग्रेजी में लेख
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ अर्थात्, "मानसिक उम्र" और "कालानुक्रमिक उम्र" के लब्धि रूप में
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ बुद्धि: जाना और अनजाना स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। (अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के बोर्ड ऑफ़ साइंटिफिक अफेयर्स द्वारा स्थापित टास्क फोर्स की रिपोर्ट - 7 अगस्त 1995 - फ़रवरी 1996 में अमेरिकन साइक्लोजिस्ट में कुछ-कुछ संपादित एक संस्करण. APA का ऑफिशियल जर्नल)
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- ↑ देखें: एथेनिक डिफ़रेंस इन चिल्ड्रेन्स इंटेलिजेंस टेस्ट स्कोर्स: आर्थिक अभाव, घर का माहौल और मातृत्व की भूमिका अभिलक्षण की भूमिका
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अमान्य टैग है; "DickensFlynn2001" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ विलियम टी. डिकेंस और जेम्स आर. फ्लीन, "द IQ पैराडोक्स: स्टिल रिसोल्व्ड स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," साइकोलॉजिकल रिव्यू 109, no. 4 (2002).
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