प्रकृति बनाम पोषण
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प्रकृति बनाम पालन-पोषण (अंग्रेज़ी: Nature versus nurture) मनोविज्ञान और सामाजिक मनोविज्ञान की शब्दावली और अवधारणा है जिसका प्रयोग व्यक्तियों के जन्मजात सहज गुणों (स्वभाव अथवा प्रकृति) और उसकी परवरिश और पालन-पोषण के दौरान मिले पर्यावरण और माहौल के प्रभावों के द्वारा विकसित व्यवहार के लक्षणों की आपसी सम्पूरकता और बिरोधाभासों का विवेचन किया जाता है। शब्दावली के रूप में वस्तुतः यह अंग्रेजी के मुहावरे Nature versus nurture का हिंदी शब्दानुवाद है और अंग्रेजी का यह वाक्य इंग्लैंड में काफ़ी पुराने समय से प्रचलित है[१] जो खुद मध्यकालीन फ़्रांस से यहाँ आया।[२]
सन्दर्भ
- ↑ In English at least since Shakespeare (The Tempest 4.1: a born devil, on whose nature nurture can never stick) and Richard Barnfield (Nature and nurture once together met / The soule and shape in decent order set.); in the 18th century used by Philip Yorke, 1st Earl of Hardwicke (Roach v. Garvan, "I appointed therefore the mother guardian, who is properly so by nature and nurture, where there is no testamentary guardian.")
- ↑ English usage is based on a tradition going back to medieval literature, where the opposition of nature ("instinct, inclination") norreture ("culture, adopted mores") is a common motif, famously in Chretien de Troyes' Perceval, where the hero's effort to suppress his natural impulse of compassion in favor of what he considers proper courtly behavior leads to catastrophe. Norris J. Lacy, The Craft of Chrétien de Troyes: An Essay on Narrative Art, Brill Archive, 1980, p. 5 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।.