बली
बली या मावेली विरोचन और देवाम्बा का पुत्र तथा प्रह्लाद का पौत्र था। वह एक दयालु असुर राजा था। तपस्या तथा बल के माध्यम से उसने देवताओं से अनेकों वरदान प्राप्त कर लिए थे तथा त्रिलोक का आधिपत्य हासिल कर लिया था। इस वजह से उसमें दंभ और अहंकार भर गया था। उसके इसी दंभ और अहंकार को शान्त करने के लिए भगवान विष्णु को वामनावतार का सहारा लेना पड़ा। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार दक्षिण भारत के केरल राज्य में आज भी वामनावतार (विष्णु के अवतार) द्वारा उसे पाताल लोक भेजे जाने के बाद उसके वापस धरती पर वार्षिक आगमन पर ओणम का त्योहार मनाया जाता है।
त्रिलोक की जीत तथा निर्वासन
बली विरोचन तथा देवाम्बा का पुत्र था। वह भक्त प्रह्लाद का पौत्र भी था जिनके नीचे वह बड़ा हुआ और जिन्होंने उसके अन्दर दयालुता और श्रद्धा पैदा की। अंततः बली ने अपने दादा की असुरों के राजा वाली गद्दी संभाली और उसका शासनकाल उसके राज्य की शांति तथा समृद्धि का सूचक बन गया। आगे चलकर उसने पाताल तथा देवलोक भी देवराज इन्द्र पर विजय पाकर हासिल कर लिए। इस हार के पश्चात् देवों ने भगवान विष्णु की आराधना की और उनसे देवलोक वापस दिलाने की विनती की।
स्वर्ग में असुरों के गुरु शुक्राचार्य की सलाह पर बली ने अश्वमेध यज्ञ का प्रयोजन इस उद्देश्य से रखा कि त्रिलोक का आधिपत्य उसके हाथ में रहेगा।