प्लाविका

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प्लाविका या रक्त प्लाज्मा, रक्त का पीले रंग का तरल घटक है, जिसमें पूर्ण रक्त की रक्त कोशिकायें सामान्य रूप से निलंबित रहती हैं। यह कुल रक्त की मात्रा का लगभग 55% तक होता है। इसका अधिकतर अंश जल (90to 92% आयतन अनुसार) होता है और इसमें प्रोटीन, शर्करा, थक्का जमाने वाले कारक(फरिनोजन)प्रोटीन(फरिनोजन अबुयबिं, गलोरोमिन), खनिज आयन, हार्मोन और कार्बन डाइऑक्साइड (प्लाविका उत्सर्जित उत्पादों के निष्कासन का प्रमुख माध्यम है) घुले रहते हैं। इसमें अब्यबिन कितना प्लाज्मा में पानी आएगा कितना अमीनो एसिड आएगा इसको ब्लैंस रखता है और गलोरोबिन प्रति रक्षा को बढ़ाता है। प्लाविका को रक्त से पृथक करने के लिए एक परखनली मे ताजा रक्त लेकर उसे सेंट्रीफ्यूज़ (अपकेंद्रिक) में तब तक घुमाना चाहिए जब तक रक्त कोशिकायें नली के तल मे बैठ न जायें, इसके बाद ऊपर बचे प्लाविका को उड़ेल कर अलग या तैयार कर लें।[१] प्लाविका का घनत्व लगभग 1025 kg/m3, या 1.025 kg/l. होता है।[२]

यदि प्लाविका से फाइब्रिनोजेन तथा अन्य थक्का जमाने वाले कारकों को निकाल दें तो बचा हुआ पदार्थ रक्त सीरम कहलाता है। (यानी, पूर्ण रक्त - रक्त कोशिकायें - थक्का जमाने वाले कारक)।[१]

प्लाज़्माफेरेसिस एक चिकित्सीय उपचार है जिसमे प्लाविका का निष्कर्षण, उपचार और पुन:एकीकरण शामिल है। इसमें 6-8% प्रोटीन पाया जाता है जिसमें अमीनो एसिड विटामिन फैटी एसिड ग्लूकोस nacl,fe,mg,na शामिल है यह एक निर्जीव है

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
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