प्लांचेट

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१८६० में निर्मित एक ब्रिटिश प्लान्चेट

प्लांचेट (Planchette), आत्मवादियों का एक यन्त्र है जो 'स्वतः' लिखता है और ऐसा माना जाता है कि यह दूसरे लोकों के तथाकल्पित 'भूतों' से सन्देश प्राप्त करने के लिये प्रयुक्त होता है। मुख्यतः १९वीं शताब्दी में यह बहुत लोकप्रिय हो चला था। वास्तव में प्लान चैट होता ही नहीं है और ना ही भूत होते हैं क्यों लोगों को ठगने और मूर्ख बनाने का काम है यंत्र किसी भी काम का नहीं

परिचय

यह पान के पत्ते की आकृति का, किंतु उससे बड़े आकार का पतली और हलकी तथा चिकनी लकड़ी का बना हुआ एक यंत्र है। इसमें नोक की ओर पेंसिल फँसाने के लिए एक गोल छेद और पीछे की और नीचे दो पहिए लगे होते हैं। पहियों के द्वारा यह यंत्र ऊपर से थोड़ा सा दबाव और सहारा पाकर चलने लगता है और चलने से पेंसिल द्वारा उस कागज पर जिनके ऊपर वह यंत्र चलता है निशान बनते रहते हैं। सन् १८५३ में इसका आविष्कार एक फ्रांसीसी आत्मवादी ने किया था। जब कोई माध्यम (मीडियम) अपनी चेतना को शरीर से हटाकर किसी मृत प्राणी द्वारा अपने शरीर को क्रियावान् होने दे और प्लांचेट पर अपना हाथ अथवा उँगलियाँ रख दे तो मृत आत्मा उस हाथ के द्वारा प्लांचेट को चलाने लगती है और उसमें लगी हुई पेंसिल द्वारा जो लिखना चाहती है लिख देती है। माध्यम का शरीर और विशेषत: हाथ अपनी आत्मा के नियंत्रण में न रहकर मृत आत्मा के नियंत्रण में कुछ काल के लिए आ जाता है और उसके द्वारा मृत आत्मा जो कुछ जीवित प्राणियों को कहना चाहती है कह देती है।

प्लांचेट हाथ रखने पर कुछ देर पीछे चलने लगता है। उसके द्वारा स्पष्ट अक्षरों में कुछ न कुछ लिखा भी जाता है। प्रश्नों के उत्तर भी लिखे जाते हैं। पर लिखनेवाला वह माध्यम है जिसका हाथ उसपर रखा होता है अथवा उसके द्वारा कोई दूसरी आत्मा लिखती है - इसका निर्णय करना असंभव नहीं तो कठिन जरूर है। जान बूझकर तो माध्यम लोग सदा धोखा नहीं देते। अज्ञात रीति से भले ही वे या उनका हाथ प्लांचेट को चलाता हो। पर इसका कोई प्रमाण नहीं हो सकता कि किसी दूसरी आत्मा द्वारा कुछ लिखा जा रहा है अथवा माध्यम के अचेतन मन अथवा मन के किसी उच्चस्तर द्वारा कुछ लिखा जा रहा है। कभी-कभी ऐती बातें भी लिखी जाती हैं जिनका ज्ञान माध्यम को अपने जीवन में कभी भी नहीं हुआ। इस प्रकार का ज्ञान या तो मृत आत्मा के द्वारा व्यक्त होता है या यह भी संभव है कि माध्यम के अज्ञात मन ने ही अपनी अलौकिक और निहित शक्तियों द्वारा ज्ञान को प्रापत करके किसी मृत अत्मा के बहाने से उसे लेख द्वारा व्यक्त कर दिया हो। अब यह निर्विवाद सिद्ध हो चुका है कि मनुष्य के अज्ञात मन में अनेक अलौकिक शक्तियाँ निहित हैं जो किसी किसी मानसिक अवस्था में प्रकट हो जाती है। अतएव कुछ लोग यह मानते हैं कि प्लांचेट द्वारा वही ज्ञान हमको प्राप्त होता है जो माध्यम के आंतरिक मन को प्राप्त हो गया है।

प्लांचेट पर कभी कभी इतिहास के महान् मृत व्यक्तियों द्वारा भी बहुत सी बातों का लिखा जाना अनुभव में आया है। आश्चर्य होता है कि वे महान् आत्माएँ क्या प्रत्येक जीवित व्यक्ति के इतने समीप हैं और क्या उनको इतना समय मिलता है कि वे जहाँ तहाँ कभी कभी बिना बुलाए पहुँच जाती हैं।

प्लांचेट पर भूत, वर्तमान और भविष्य की बातें लिखी जाती हैं। कभी कभी भविष्यवाणियाँ ठीक भी निकल जाती हैं। कभी कभी जो बात किसी पास बैठनेवालों और माध्यम को भी मालूम नहीं वे भी प्लांचेट पर लिखी जाती है। वास्तव में प्लांचेट एक अद्भुत यंत्र है।