प्यासा (1957 फ़िल्म)

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प्यासा
चित्र:Pyaasa-1957-002-waheeda-rehman-guru-dutt.jpg
प्यासा का पोस्टर
निर्देशक गुरु दत्त
निर्माता गुरु दत्त
लेखक अबरार अलवी
अभिनेता माला सिन्हा,
गुरु दत्त,
वहीदा रहमान,
रहमान,
जॉनी वॉकर,
कुमकुम,
लीला मिश्रा,
श्याम,
महमूद,
टुन टुन,
मोनी चटर्जी,
संगीतकार सचिन देव बर्मन
छायाकार वी॰के॰ मूर्ति
संपादक वाई॰जी॰ चव्हाण
प्रदर्शन साँचा:nowrap [[Category:एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। फ़िल्में]]
  • February 19, 1957 (1957-02-19)
समय सीमा 146 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी
लागत 20 लाख

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प्यासा गुरु दत्त निर्देशित, निर्मित और अभिनीत 1957 की भारतीय फ़िल्म है। फ़िल्म में विजय नामक संघर्षरत कवि की कहानी है जो स्वतंत्र भारत में अपने कार्य को प्रकाशित करना चाहता है। फ़िल्म का संगीत एस॰डी॰ बर्मन ने दिया है। प्यासा भारत तथा विश्व की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में गिनी जाती है।[१][२][३]

पटकथा

विजय (गुरु दत्त) एक असफल कवि है जो जिसका कार्य प्रकाशक अथवा उसके भाई (जो उसकी कविताओं को बेकार के कागजों में बेचते हैं) गम्भीरता से नहीं लेते। वह निकम्मा होने के ताने नहीं सुन सकने के कारण घर से बाहर रहता है और गली-गली मारा-मारा घुमता है। उसे गुलाबो (वहीदा रहमान) नामक एक अच्छे दिल की वैश्या से मिलता है जो उसकी कविताओं से अनुरक्त है और उससे प्रेम करने लग जाती है। उसकी मुलाकात उसकी कॉलेज की पूर्व प्रेमिका मीना (माला सिन्हा) से होती है और उसे पता चलता है कि उसने वित्तीय सुरक्षा के लिए एक बड़े प्रकाशक मिस्टर घोष (रहमान) के साथ विवाह कर लेती है। घोष उसे अपनी पत्नी मीना के बारे में अधिक जानने के लिए नौकरी पर रख लेता है।

मुख्य कलाकार

दल

संगीत

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."आज साजन मोहे अंग लगालो"गीता दत्त04:42
2."हम आपकी आँखों में"गीता दत्त, मोहम्मद रफ़ी05:28
3."जाने क्या तूने कही"गीता दत्त03:53
4."जाने वो कैसे लोग"हेमन्त कुमार04:04
5."सर जो तेरा चकराये"मोहम्मद रफी04:08
6."ये दुनिया अगर मिल भी जाये"मोहम्मद रफ़ी04:54
7."ये हँसते हुये फूल"मोहम्मद रफ़ी07:23
8."जिन्हें नाज़ है हिन्द पर"मोहम्मद रफ़ी05:52
9."तंग आ चुके हैं कश-मकश-ए ज़िन्दगी से हम"मोहम्मद रफ़ी04:13

रोचक तथ्य

परिणाम

समीक्षाएँ

नामांकन और पुरस्कार

बाहरी कड़ियाँ

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