पाटीदार आरक्षण आंदोलन
तिथि | 22 जुलाई 2015-से जारी |
---|---|
स्थान | गुजरात, भारत |
Also known as | पटेल अनामत आंदोलन |
कारण | पाटीदार समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करवाने हेतु |
जुलाई 2015 में शुरू, पाटीदार समुदाय के लोगों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दर्जे की मांग के लिए गुजरात राज्य भर में सार्वजनिक प्रदर्शनों को अंजाम दिया।[१]
पृष्ठभूमि
भारत में कुछ जातियों को अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) में सम्मलित करना एक सकारात्मकसाँचा:cn कदम है जो शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षित कोटा प्रदान करता है। गुजरात में 27% सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14% अनुसूचित जनजाति के लिए व 7% अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।[२] सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के फैसले में आरक्षण को 50% तक सीमित रखा है।[३]
1981 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) ने नेतृत्व में गुजरात के मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी की सरकार द्वारा बख्शी आयोग की सिफारिशों के आधार पर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े जातियों (En:Socially and Economically Backward Casts)(SEBC) के लिए आरक्षण की शुरुआत की। इस कारण राज्य भर में आंदोलन व दंगे हुए जिसमें सौ से अधिक लोगों की मौत हुई। सोलंकी ने 1985 में इस्तीफा दे दिया था, लेकिन बाद में 182 में से 149 सीटें जीतने पर सत्ता में लौट आये।
उन्हें क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुसलमान द्वारा समर्थित किया गया; जिसे सामूहिक रूप से खाम सिद्धांत (Ksatriya, Harijan, Adiwasi, Mulsim) कहा गया। परिणाम स्वरुप पाटीदार सम्प्रदाय ने अपना प्रभुत्व खो दिया और कांग्रेस से विमुख हो गए। SEBC सूची में 81 समुदाय सम्मलित थे जो 2014 तक बढ़कर 146 हो गए। [१][३] इस आंदोलन ने राजस्थान के गुर्जर आंदोलन से प्रेरणा ली जो मई 2015 में समाप्त हो गया।[४][५][६]
आंदोलन
पाटीदार समुदाय के युवाओं ने, जिन्हें पटेल उपनाम से भी जाना जाता है, ने जुलाई 2015 से सार्वजानिक आंदोलन शुरू कर दिए। इन्हें सामुदायिक सेवा में लगे संगठन, सरदार पटेल सेवादल और अखिल भारतीय पाटीदार परामर्श समिति का समर्थन प्राप्त था। युवा सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के लिए अपने समुदाय का नाम भी अन्य पिछड़ी जातियों में चाहते हैं।[७] युवाओं ने हार्दिक पटेल की अध्यक्षता में पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) का गठन किया। संगठन ने स्वयं को एक गैर राजनीतिक संगठन करार दिया।[८]लालजी पटेल की अध्यक्षता में सरदार पटेल ग्रुप (एसपीजी)सरदार पटेल सेवादल, के. डी. शेलडीया की अध्यक्षता में अखिल भारतीय पाटीदार परामर्श समिति(abpps), पाटीदार संकलन समिति और पाटीदार आरक्षण समिति भी इस आंदोलन में शामिल हैं।[९][१०] हालाँकि चार प्रमुख पाटीदार संगठनों ने इस आंदोलन में भाग लेने से इंकार कर दिया[११] पर बाद में खोदलधम ट्रस्ट ने युवाओं और सरकार के बीच मध्यस्थ का कार्य करने की पेशकश की।[१०][१२]
सार्वजनिक प्रदर्शन 22 जुलाई को महेसाणा में आयोजित किया गया। 23 जुलाई 2015 को विसनगर में प्रदर्शन हिंसक हो गया, कुछ आंदोलनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी और भारतीय जनता पार्टी के विधायक, ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ भी की।[१३][१४][१५]28 जुलाई को विजापुर में और उसे बाद मेहसाणा में भी प्रदर्शन आयोजित किया गया।[१४][१६][१७] प्रदर्शन के आदेश का पालन न करने पर पुलिस ने 152 व्यक्तियों के नाम दर्ज किये।[६] जुलाई 30 को लुनवदाओं (Lumavadaon) में प्रदर्शन आयोजित किया गया,[१८]1 अगस्त को द्वारका जिले की देवभूमि में[१९] 3 अगस्त को गांधीनगर, नवसारी में, जामनगर जिले के जामजोधपुर में, अमरेली जिले के हिम्मतनगर और बग्सर (Bagasara) में,[२०][२१][२२]5 अगस्त को राजकोट में,[२३] अमरेली में 10 अगस्त को,[२४][२५] 12 अगस्त को जूनागढ़ में; [26] 17 अगस्त को पेटलाद में [२६] 17 अगस्त को सूरत में के. डी. शेलडीया की अध्यक्षता में हुए प्रदर्शन में लगभग 1 लाख से 4.5 लाख लोगों ने हिस्सा लिया।[१५] शहर के हीरा और कपड़ा बाजार बंद रहे। कई स्कूलों और कॉलेजों में भी बंद कर दिया गया।[२७][२८] प्रदर्शनों को सुरेंद्रनगर, भरुच और वडोदरा में आयोजित किया गया।[२९] [३०][३१]
अगले प्रमुख प्रदर्शन का 25 अगस्त को अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में आयोजन किया गया।[३२][३३][३४]अहमदाबाद में आरक्षण मांग रहा पटेल समुदाय हिंसक हो गया। इस महारैली में भाग लेने के लिए पटेल समुदाय के लगभग 18 लाख लोग अहमदाबाद में थे। आंदोलनकारियों के नेता हार्दिक पटेल को पुलिस ने हिरासत में ले लेने के बाद जब माहौल बिगड़ता देखा तो घंटेभर में उसे छोड़ दिया, लेकिन तब तक पटेल समाज के लोग अहमदाबाद व सूरत समेत 12 से ज्यादा शहरों में सड़कों पर उतर आए। तोड़फोड़ व आगजनी भी हुई। सवा सौ गाड़ियों में आग लगा दी व 16 थाने जला दिए गए। ट्रेन की पटरियाँ भी उखाड़ दी गयीं। रात से अहमदाबाद, सूरत, मेहसाणा, ऊंझा, विसनगर में कर्फ्यू लगा दिया गया। 2002 में हुए गुजरात दंगों के बाद ये दूसरा मौका है जब इस प्रकार की हिंसा हुई है। 26 अगस्त को गुजरात बंद का ऐलान किया गया। हार्दिक पटेल, लालजी पटेल और के. डी. शेलडीया जैसे आंदोलनकारीओ की और से गुजरात बंद की घोषणा की गयी है। स्कूल और कॉलेज की छुट्टी कर अनेक जिलों की इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी है। अनेक रेलवे स्टेशनों और एयरपोर्ट्स पर लोग फसे हुए हैं।[३५]
धारी से बीजेपी के एमएलए नलिन कोटडिया ने इस आंदोलन का समर्थन किया।[३६] सोशल मीडिया ने इस विरोध को शीघ्रता से राज्यभर में फ़ैलाने में सहायता की।[३७][३३]
प्रतिक्रिया
सामाजिक
कई अन्य समुदायों के नेताओं जैसे: ब्राह्मण, ठाकुर, वैष्णव और रघुवंशी आदि ने भी समान लाइनों में आरक्षण की मांग कर आंदोलन शुरू कर दिए।[३८][३९][४०]
पहले से ही अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त समुदाय के नेताओं ने आंदोलन का विरोध किया।[४१][४२][४३] गुजरात क्षत्रिय ठाकुर सेना के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग एकता मंच ने अहमदाबाद और राजकोट में 23 अगस्त को हजारों लोगों के साथ एक दूसरे के विरुद्ध जवाबी विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया।[४४][४५][४६][४७]
राजनैतिक
11 अगस्त 2015 को नितिनभाई पटेल की अध्यक्षता में गुजरात की मुख्यमंत्री, आनंदीबेन पटेल, ने समुदाय से बात करने व सरकार को रिपोर्ट सौंपने के एक सात सदस्यीय पैनल का गठन किया।[७]17 अगस्त 2015 को एसपीजी के साथ वार्ता की गयी पर पास (PAAS) ने वार्ता में भाग नहीं लिया।[९][१५][२८][४८][४९] 21 व 23 अगस्त को सरकार ने कानूनी और संवैधानिक सीमाओं पर बहस करते हुए अग्रणी गुजराती समाचार पत्रों में एक लंबा विज्ञापन प्रकाशित किया।[२९][४६]
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- ↑ अ आ साँचा:cite web सन्दर्भ त्रुटि:
<ref>
अमान्य टैग है; "Langa 2015" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ अ आ इ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite webसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web