परिवृत्त

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एक वृत्तीय बहुभुज (P) का परिगत वृत्त (C), परिकेन्द्र (circumcenter, O)

ज्यामिति में किसी बहुभुज का परिवृत्त (circumscribed circle) ऐसा वृत्त होता है जो उस बहुभुज के हर शीर्ष से गुज़रता हो। इस वृत्त के केन्द्र को परिकेन्द्र (circumcenter) और त्रिज्या (रेडियस) को परित्रिज्या (circumradius) कहते हैं। प्रत्येक बहुभुज ऐसा नहीं होता कि उसके लिए एक परिगत वृत्त बनाया जा सके और जिसके लिए परिगत वृत्त सम्भव होता है उसे वृत्तीय बहुभुज (cyclic polygon) कहा जाता है। सारे सम-सरल बहुभुज (regular simple polygon), त्रिभुज और आयत वृत्तीय होते हैं। त्रिभुज के अंतवृत्त के लिए उसकी तीनों भुजाओं की माध्यिकाओं के कटान बिंदु से भुजा पर डाले गए लम्ब को त्रिज्या मानकर बनाते हैं।[१][२][३]

त्रिभुज का परिवृत्त

किसी त्रिभुज का परिवृत्त (लाल वृत्त) तथा परिकेन्द्र (लाल बिन्दु)

किसी त्रिभुज का परिवृत्त उस त्रिभुज के तीनों शीर्षों से होकर जाता है। इस वृत्त का केन्द्र परिकेन्द्र कहलाता है। परिकेन्द्र निकालने के लिए किन्हीं दो भुजाओं का लम्बार्धक खींचते हैं, जहाँ ये दोनों लम्बार्धक मिलते हैं वही उस त्रिभुज का परिकेन्द्र होगा। परिकेन्द्र से तीनों शीर्षों की दूरी समान होगी, जिसे परित्रिज्या (R) कहते हैं। नीचे परित्रिज्या से सम्बन्धित त्रिकोणमितीय सूत्र दिए गए हैं।

परिवृत्त की त्रिज्या

<math>R = \frac{a}{2\sin A} = \frac{b}{2\sin B} = \frac{c}{2\sin C}</math>


<math>R = \frac{abc}{4S}</math>

जहाँ S त्रिभुज का क्षेत्रफल है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Coxeter, H.S.M. (1969). "Chapter 1". Introduction to geometry. Wiley. pp. 12–13. ISBN 0-471-50458-0.
  2. Kimberling, Clark (1998). "Triangle centers and central triangles". Congressus Numerantium. 129: i–xxv, 1–295.
  3. Pedoe, Dan (1988) [1970]. Geometry: a comprehensive course. Dover. ISBN 0-486-65812-0.