पनीर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
पनीर
An aesthetic Panner Butter Masala.jpg

पनीर (साँचा:lang-en) एक दुग्ध-उत्पाद है। यह चीज़ (cheese) का एक प्रकार है जो भारतीय उपमहाद्वीप में खूब उपयोग किया जाता है। इसी तरह छेना भी एक विशेष प्रकार का भारतीय चीज़ है जो पनीर से मिलता-जुलता है और रसगुल्ला बनाने में प्रयुक्त होता है। भारत में पनीर का प्रयोग सीमित मात्रा में ही होता है। कश्मीर आदि जैसे ठंढे प्रदेशों में अपेक्षाकृत अधिक पनीर खाया जाता है।

उपयोगिता

मटर-पनीर की शब्जी (चपाती के साथ)

स्वास्थ्यवधर्क खाद्यपदार्थ के रूप में पनीर बड़ा महत्वपूर्ण एवं ठंडे देशों में बहुप्रचलित खाद्य है। ऐसे रोगियों, बच्चों एवं बूढ़ों के लिये जिन्हें मांसयुक्त भोजन पचाने में कठिनाई होती है, पनीर श्रेष्ठ खाद्य पदार्थ है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, मांस के समान यथेष्ट मात्रा में होता है तथा अधिक पाचक दशा में रहता है। साथ ही साथ कैलोरियों (calories) की मात्रा लगभग मांस के बराबर ही होती है। ठंडे प्रदेशों में, जहाँ पनीर को बिना किसी कठिनाई के काफी लंबे समय तक अच्छी हालत में रखा जा सकता है, पनीर का प्रयोग बड़े पैमाने पर होता है। अफगानिस्तान, मध्य एशिया, यूरोप, अमरीका, आस्ट्रेलिया आदि देशों में पनीर की खपत बड़ी मात्रा में होती है। प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों में पनीर का स्थान मांस से पहले आता है। गरम प्रदेशों में पनीर को लंबे समय तक सुरक्षित रूप से रखना संभव नहीं होता, इसीलिये गरम प्रदेशों में पनीर का प्रयोग सीमित मात्रा में ही होता है। अच्छा पनीर बनाना भी एक कला है, जिसे प्रत्येक पनीर बनाने वाले संस्थान गुप्त रखते हैं।

निर्माण

पनीर (Cheese) घी निकाले हुए, अथवा पूर्ण दूध में यदि कोई अम्ल (जैसे नींबू का रस) मिला दिया जाय, या बछड़े के पेट से प्राप्त होने वाले रेनेठ नामक पदार्थ को दूध में डाल दिया जाय, तो दूध जम जाता है। इस क्रिया में छेना (केसीन) दूध के जल वाले भाग से अलग हो जाता है। किसी कपड़े से छानकर जल अलग करने पर छेने वाले भाग को निकाल लिया जाता है। इस छेने वाले भाग में केसीन के अतिरिक्त, थोड़ी मात्रा में घी, दुग्धशर्करा तथा जल रहता है। घी अथवा मक्खन निकाले हुए दूध से भी घी रहित पनीर बनाया जाता है।

छेने वाले भाग को, जिसमें दुग्ध, शर्करा तथा दूध में पाए जाने वाले विटामिन भी रहते हैं, विशेष ताप तथा नमी की दशा में किण्वन क्रिया के लिये रख दिया जाता है। इस क्रिया को पनीर का पकाना (Ripening process) कहते हैं। यह कुछ सप्ताहों से लेकर कुछ महीनों तक किया जाता है। इस क्रिया पर ही पनीर की विशेषता निर्भर करती है। जितने ही अधिक समय तक यह पकाने की क्रिया की जाती है, पनीर उतना ही उत्कृष्ट तथा सुवच्य एवं स्वास्थ्यवर्धक होता है। पकाने की यह क्रिया बड़ी जटिल तथा संकीर्ण होती है, क्योंकि निर्मित पनीर की उपादेयता तथा उसके गुण इसी क्रिया पर निर्भर करते हैं। इस क्रिया के कारण पनीर में उपस्थित दुग्धशर्करा लैक्टिक अम्ल में परिणत हो जाती है, छेना अथवा केसीन अधिक सुपाच्य प्रोटीन यौगिकों में बदल जाता है तथा वसा भी सरल यौगिकों में परिणत हो जाती है। किण्वन क्रिया के पूर्व खानेवाला नमक भी थोड़ी मात्रा में पनीर में मिला दिया जाता है। क्रिया के समय प्रयुक्त ताप तथा नमी की मात्रा के अनुसार ही पनीर में एक विशेष प्रकार की मादक गंध तथा तीखा स्वाद उत्पन्न हो जाता है, जो एक बार आ जाने पर कॉफी अथवा बियर के समान स्वादिष्ठ लगने लगता है।

पनीर साधारणत दो प्रकार का बनाया जाता है :

  • नम तथा मुलायम, जिसमें जल की मात्रा अधिक रहती है।
  • सूखा अथवा सख्त किस्म का पनीर जिसमें जल की मात्रा बहुत कम होती है।

बाजार में चार प्रकार के पनीर बिकते हैं।

  • पूरे दूध से बनाया गया पनीर जिसमें मक्खन विशेष रूप से अधिक मात्रा में मिलाया जाता है।
  • केवल पूरे दूध से बनाया गया पनीर।
  • मक्खन निकाले हुए दूध से बना पनीर।
  • मार्गरीन युक्त पनीर।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ