निजी विधि
निजी विधि(Private law)सिविल विधि(Civil law) की विधिक प्रणाली का वह भाग है जिसका विषय क्षेत्र व्यक्तियों के बीच का संबन्ध होता है।
लोक विधि(Common law) की विधिक प्रणाली में संविदा व अपकृत्य संबन्धी विधि और सिविल विधि(Civil law) की विधिक प्रणाली में दायित्व संबन्धी विधि निजी विधि के क्षेत्र में आती हैं।
यह सार्वजनिक विधि(Public law) से भिन्न है जो सरकार और विधिक व्यक्तियों के बीच के संबन्धों को नियंत्रित करती है और जिसके अन्तर्गत सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाली विधियाँ आती हैं जैसे-संवैधानिक विधि (Constitutional law), प्रशासनिक विधि (Administrative law), कर विधि (Tax law), दंड विधि (Criminal law) और सभी प्रक्रियात्मक विधियाँ (Procedural law)।
सार्वजनिक विधि और निजी विधि के बीच की सीमा रेखा बहुत स्पष्ट नहीं है। सार्वजनिक और निजी विधि के बीच का अंतर तथ्यात्मक न होकर व्यावहारिक है।
सार्वजनिक और निजी विधि के बीच के अंतर को सर्वप्रथम रोमन न्यायविद अल्पिअन (Ulpian;170–228 ई॰) ने रेखांकित किया था।अल्पिअन ने सार्वजनिक और निजी विधि के अंतर को रेखांकित करते हुए कहा कि सार्वजनिक विधि का संबन्ध रोमन गणराज्य की व्यवस्था से है और निजी विधि का संबन्ध व्यक्तियों के हितों से है। उनके अनुसार कुछ मामले सार्वजनिक हित के होते हैं और कुछ निजी हित के होते हैं।इसके अलावा उन्होंने सार्वजनिक विधि को धार्मिक मामलों, पौरोहित्य और राज्य के कार्यालयों से संबन्धित विधि के रूप में परिभाषित किया है। रोमन विधिज्ञों ने निजी विधि के क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
रोमन विधि के अनुसार विधि ‘व्यक्तियों व व्यक्तियों’, ‘व्यक्तियों व वस्तुओं ’ और ‘व्यक्तियों व राज्य’ के बीच संबन्धों की एक श्रृंखला है।आधुनिक युग में चार्ल्स-लुई मोंटेस्क्यू (Charles-Louis Montesquieu; 1689–1755) ने अपनी पुस्तक (ऑन) द स्पिरिट ऑफ द लॉ (1748) में इस भेद को और भी अधिक स्पष्ट किया : अंतर्राष्ट्रीय (राष्ट्रों की विधि), सार्वजनिक (राजनीतिक विधि) और निजी (सिविल विधि)।
लोक विधि(Common law) की विधिक प्रणाली में निजी विधि का स्थान
लोक विधि(Common law) की विधिक प्रणाली वाले देशों में निजी विधि की अवधारणा अधिक व्यापक है और इसमें सरकारों और निजी व्यक्तियों या अन्य संस्थाओं के बीच के निजी संबन्धों को भी शामिल कर लिया गया है।वहाँ सरकारों और व्यक्तियों के बीच संविदा व अपकृत्य विधि पर आधारित संबन्ध निजी विधि द्वारा शासित होते हैं न कि सार्वजनिक विधि द्वारा।
निजी विधि का विषय क्षेत्र
क- कृषि विधि
ख- व्यापार विधि-
(i) कंपनी विधि और
(ii) वाणिज्यिक विधि
ग- सिविल विधि
(i)दायित्व संबन्धी विधि
॰संविदा विधि
॰अपकृत्य विधि
॰अर्द्ध संविदा की विधि
(ii)न्यास विधि
(iii)एजेंसी की विधि
(iv)संपत्ति विधि
(v)परिवार विधि - परिवार से संबंधित मुद्दे और घरेलू संबंध जैसे- विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और दत्तक ग्रहण आदि ।
(vi)उत्तराधिकार संबन्धी विधि
घ- उपभोक्ता संरक्षण
ङ- अंतरराष्ट्रीय निजी विधि
च- श्रम विधि
छ- परिवहन विधि।