नाग स्तोत्र

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
इस संदूक को: देखें  संवाद  संपादन

हिन्दू धर्म
श्रेणी

Om
इतिहास · देवता
सम्प्रदाय · पूजा ·
आस्थादर्शन
पुनर्जन्म · मोक्ष
कर्म · माया
दर्शन · धर्म
वेदान्त ·योग
शाकाहार शाकम्भरी  · आयुर्वेद
युग · संस्कार
भक्ति साँचा:tl
ग्रन्थशास्त्र
वेदसंहिता · वेदांग
ब्राह्मणग्रन्थ · आरण्यक
उपनिषद् · श्रीमद्भगवद्गीता
रामायण · महाभारत
सूत्र · पुराण
शिक्षापत्री · वचनामृत
सम्बन्धित
विश्व में हिन्दू धर्म
गुरु · मन्दिर देवस्थान
यज्ञ · मन्त्र
हिन्दू पौराणिक कथाएँ  · हिन्दू पर्व
विग्रह
प्रवेशद्वार: हिन्दू धर्म

HinduSwastika.svg

हिन्दू मापन प्रणाली

नाग स्तोत्र नाग देवताओ के नौ अवतारो को सम्बोधन करने के उद्देश्य से रचित है, इस स्तोत्र में विभिन्न नाग देवताओ के नाम के साथ स्तुति कर भक्त नाग देवो को प्रसन्न करता है, क्योंकि यहि वो निम्नलिखित नागो के नाम है जो इस पृथ्वी के भार को अपने मणि पर ग्रहण किये हुए है। इसलिये ये हमारा परम् कर्तव्य है की हम नाग देवता को इस स्तोत्र के माध्यम से उनका धन्यवाद करे।

स्तोत्र

नाग स्तोत्र कुछ इस प्रकार से है :

अनंतं वासुकि शेष पद्मनाभं च कम्बलम्।

शड्खपाल धार्तराष्ट्र तक्षकं कालियं तथा।।

एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।

सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः।।

तस्मे विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयीं भवेत्।

भावार्थ

नाग स्तोत्र का भावार्थ यहि है की जो इस स्तोत्र का पठन-पाठन प्रतिदिन करता है वो जिस क्षेत्र में जाता है उसे विजय प्राप्त होति है और उसके सारे मनोकामना पुर्ण होते हैं।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ