द ३ मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ

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लुआ त्रुटि: expandTemplate: template "italic title" does not exist।साँचा:template other द ३ मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ (साँचा:lang-en) चेतन भगत द्वारा लिखी गई तीसरी पुस्तक है। इसे मई २००८ में प्रकाशित किया गया था और इसकी ४३०,००० प्रतियाँ छापी गई थी। पुस्तक में तिन मित्रों की कहानी बताई गई है जों अहमदाबाद में रहते है।

यह चेतन भगत द्वारा लिखी गई तीसरी सबसे अधिक बिकने वाली किताब है।

संक्षेप

किताब पूर्णतया काल्पनिक घटनाओं पर २०००-२००५ में आधारित है जब अहमदाबाद में रहने वाला एक नौजवान गोविन्द बिज़नस के सपने देखने लगता है। अपने मित्र ईशान और ओमी की इच्छाओं के अनुरूप वे क्रिकेट की दूकान खोलते है परन्तु तीनों का मकसद अलग अलग होता है। गोविन्द का लक्ष्य पैसे कमाना है, ईशान का सपना अली को सुधारना है जों एक प्रतिभावान बल्लेबाज़ है और ओमी बस अपने दोस्तों के साथ रहना चाहता है। गोविन्द पुस्तक का मुख्य किरदार व कहानी बताने वाला पात्र है और कहानी उसकी तिन गलतियों के इर्द-गिर्द घुमती है।

मुख्य किरदार

गोविन्द
गोविन्द पटेल एक आम लड़का है। उसकी बहुत कम इच्छाएँ है पर वह अपनी ख्फ्वैशों पर दृढ़ है। उसका मुख्या लक्ष्य एक बिज़नसमैन बनना है क्योंकि उसे लगता है की गुजराती होने के कारण बिज़नस उसके खून में है। उसके कसीबी दोस्त ओमी और ईश (ईशान) है। गोविन्द के पिता उसे छोड कर जा चुके है और उसकी माँ घर में बनी वस्तुओं का धंदा संभालती है। माँ को पैसों में मदद करने के लिए वह गणित की ट्यूशन लेता है। अपना खुद का धंदा (क्रिकेट की दुकान) खोलने के बाद भी वह ट्यूशन लेना जारी रखता है। वह कहानी बयान करने वाला है जों "तिन गलतियाँ" करता है। कहानी के दौरान वह ईशान छोटी की बहन विद्या से प्यार करने लगता है जिसे वह गणित सिखा रहा होता है। गोविन्द बिज़नस के पैसों के मामले संभालता है।
ईशान
ईशान एक क्रिकेट का बहुत बड़ा दीवाना है और दिल से देशभक्त भी। वह अपने मोहल्ले और स्कुल में सवर्श्रेष्ठ खिलाडी है। वह अपने बिज़नस का नाम "टीम इण्डिया क्रिकेट शॉप" सुझाता है। वह गोविन्द के बिज़नस को रोजाना क्रिकेट कोचिंग शिविर आयोजित करके सहकार्य करता है। उसकी छोटी बहन विद्या के लिए वह काफ़ी सुरक्षात्मक रवैया अपनाता है। जब उसे अली मिलता है तो उसे पता चलता है की अली बेहद प्रतिभावान बल्लेबाज़ है और वह उसे सही प्रशिक्षण देने के लिए किसी भी हद्द तक जाने को तैयार हो जाता है ईशान दूकान की रोज़मर्रा की चीज़ें संभालता है।
ओमी
वह एक मंदिर के पुजारी का लड़का है। उसके परिवार को लोगों में काफ़ी सम्मान प्राप्त है। ओमी के मामा के चलते उन्हें अपनी दुकान के लिए जल्द ही जगह मिल जाती है। वह काफ़ी मंद किस्म का लड़का है जिसके कोई बड़े सपने नहीं है पर वह अपने शारीर को बढ़िया रखने के प्रति सजग है। उसे बड़े होकर अपने पिता की तरह पुजारी नहीं बनना। वह एक धार्मिक लड़का है और अमीषा अपने मामा (बिट्टू मामा) के साथ धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेता है। परन्तु वह धर्म के प्रति अपने विचारों के बारे में उलझा हुआ है जो