दामोदर स्वरूप सेठ

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दामोदर स्वरुप सेठ (1901- 1965) प्रसिद्ध क्रांतिकारी एवं देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी तथा कट्टर समाजवादी नेता थे। वह फारवर्ड ब्लॉक के सचिव तथा कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे। जो 1925 मे काकोरी काण्ड मामले में गिरफ़्तार किये गए थे। मुखर वक्ता होने के कारण बाद में उन्हें भारत की संविधान सभा का सदस्य चुना गया था।

परिचय

सेठ का जन्म 11 फरवरी 1901 में उत्तर प्रदेश के ज़िला बरेली में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सरकारी हाई स्कूल, बरेली और ए.पी. मिशन हाई स्कूल, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से और उच्च शिक्षा रीड क्रिश्चियन कॉलेज, लखनऊ से पूरी की।

सेठ ने असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और जेल गए। सेठ 1925 काकोरी षडयंत्र मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए ४० लोगों में शामिल थे, जो एक ट्रेन-डकैती की घटना थी जिसने ब्रिटिश भारत सरकार को कई संदिग्धों पर मुकदमा चलाने के लिए प्रेरित किया। सेठ को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया था लेकिन चिकित्सकीय आधार पर रिहा कर दिया गया था।

सेठ को 1946 में यूपी कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनका मुखर वक्ता होने के कारण उन्हें 1948 में भारत की संविधान सभा का सदस्य मनोनीत किया गया।

उन्होंने संविधान सभा की बहसों में हिस्सा लिया। सेठ ने मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद 30 में संशोधन का भी सुझाव दिया, इस तथ्य पर जोर देते हुए कि भारत को "समाजवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था" को लागू करना चाहिए।

सेठ ने मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद 13 में एक संशोधन का भी प्रस्ताव रखा, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई थी, लेकिन प्रस्ताव दिया गया कि प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक अलग खंड जोड़ा जाए।


सेठ ने अनुच्छेद 23 के तहत एक संशोधन पेश किया जिसमें सिफारिश की गई कि अल्पसंख्यकों को केवल भाषा के आधार पर मान्यता दी जाए।

उन्होंने कहा, "श्रीमान, मुझे लगता है कि एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में धर्म या समुदाय के आधार पर अल्पसंख्यकों को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। अगर उन्हें मान्यता दी जाती है तो मेरा निवेदन है कि हम यह दावा नहीं कर सकते कि हमारा एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है।"

दुर्भाग्य से, सेठ की संविधान सभा के समापन के बाद की कुछ पर्याप्त जानकारी नहीं है। 1965 में उनका निधन हो गया।

दामोदर स्वरुप सेठ और सतीश चन्द्र बरेली से सम्बंधित थे बरेली के लिए गौरव की बात है कि संविधान सभा में दो महान् शख्सियतों ने प्रतिनिधित्व किया है।