तेराताली

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

तेरहताली नृत्य राजस्थान का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। यह कामड जाती द्वारा किया जाता है। शिव के ताल और पारवती के लय से ताल शब्द बना है । कामड़ जाती की स्त्रियाँ शरीर पर तेरह मन्जीरे बान्ध कर इस नृत्य को करती है। पुरुष रामदेव और हिन्ग्लाज के भजन गाते हैं। यह लोक नृत्य परम्परा से कामड जाती करती आ रही है।यह राजस्थान का एकमात्र नृत्य है जो बैठकर किया जाता है।इसमे 9 मंजीरे दाहिने पैर मे,2 मंजीरे कोहनी पर तथा 2 मंजीरे हाथों मे पहने जाते हैं।

इसमे नर्तकी अपने मुह में तलवार या कटार दबाकर नृत्य करती है जो हिंगलाज माता का प्रतीक है।

साँचा:asboxमेवाड़, बिकानेर, मारवाड़ क्षेत्रों की कामड़ जातियों में तेरह ताली नृत्य का प्रचलन हैं।

इस नृत्य में चौतारा,ढोलक व ताल वादन पुरुष करते हैं।

मांगी बाई , नारायणी व मोहिनी का संबंद्ध इस नृत्य से है।