डेरा बाबा मुराद शाह
डेरा बाबा मुराद शाह एक सूफ़ियाना दरबार है जो नकोदर, जालंधर जिला, पंजाब, भारत में स्थित है।दरबार प्रेम का प्रतीक है और सभी जातियों और धर्मों के लोग इस दरबार में आते हैं और उनको सम्मान देते हैं।
इतिहास
बाबा मुराद शाह जी बाबा शेरे शाह जी का शिष्य बन गए. [१]उन्होंने 24 साल की उम्र में फकेरी का चुनाव किया और 28 वर्ष की उम्र में फ़कीर बन गया और बाबा शेरे शाह जी के साथ रहने लग गये। उस क्षेत्र मे कम आबादी थी। बाबा शेरे शाह जी हमेशा अकेली जगह में रहते थे और चाहते थे कि लोग उनके पास न आ सकें ताकि उनकी प्रार्थना में कोई परेशानी न हो। वह हमेश भगति करते थे और वारिस शाह द्वारा लिखी गई किताब "हीर" पढ़ते थे
साईं गुलाम शाह जी को साईं लाडी शाह जी के नाम से भी जाना जाता है। बाबा मुराद शाह जी के दुनिया छोड़ने के बाद साईं लाडी शाह जी को गद्दी दे दी गई। साईं जी ने दरबार की देखभाल करना जारी रखा और दरबार का निर्माण जारी रखा। साईं जी ने बाबा मुराद शाह जी की स्मृति में एक वार्षिक उरस मेला (मेला) आयोजित किया, जिसमें उन्होने कव्वाल और सूफी पंजाबी गायको को प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया।करामात अली कावल समूह ने काफी बार प्रदर्शन किया और आज भी ऐसा करते हैं।साईं जी के कव्वालियों में से एक यह था कि 'मेरे लिखेले गुलाम वे ना ना', जो हर महफ़िल में साईं जी हमेशा उसकी बात सुनते थे।[२]
गुरदास मान साईं जी के शिष्य बन गए और साईं जी गुरदास मान से बहुत प्यार करते थे।
साईं लाडी शाह जी ने इस दुनिया को छोड़ने के बाद, गुरुदास मान अब साई लाडी शाह जी और बाबा मुराद शाह जी की याद में मेले का आयोजन करते है।