झालावाड़

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Jhalawar
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शांतिनाथ मन्दिर
शांतिनाथ मन्दिर
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प्रान्तराजस्थान
ज़िलाझालावाड़ ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल६६,९१९
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषा
 • प्रचलितमालवी भाषा|हाड़ौती,मालवी, हिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)

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झालावाड़ (Jhalawar) भारत राष्ट्र के राजस्थान राज्य के झालावाड़ ज़िले में स्थित एक एतिहासिक नगरी है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[१][२]

विवरण

झालावाड़ राजस्थान राज्य के दक्षिण-पूर्व में हाडौती क्षेत्र का हिस्सा है। झालावाड के अलावा कोटा, बारां एवं बूंदी हाडौती क्षेत्र में आते हैं। राजस्थान के झालावाड़ ने पर्यटन की दृष्टि से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। राजस्थान की कला और संस्कृति को संजोए यह शहर अपने खूबसूरत सरोवरों, किला और मंदिरों के लिए जाना जाता है। झालावाड़ की नदियां और सरोवर इस क्षेत्र की दृश्यावली को भव्यता प्रदान करते हैं। यहां अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब होते हैं। झालावाड़ मालवा के पठार के एक छोर पर बसा जनपद है। इस जनपद के अंदर झालावाड़ और झालरापाटन नामक दो पर्यटन स्थल है। इन दोनों शहरों की स्थापना 18वीं शताब्दी के अन्त में झाला राजपूतों द्वारा की गई थी। इसलिए इन्हें 'जुड़वा शहर' भी कहा जाता है। इन दोनों शहरों के बीच 7 किमी की दूरी है। यह दोनों शहर झाला वंश के राजाओं की समृद्ध रियासत का हिस्सा था। इस जिले के दक्षिण पश्चिम भवानी मंडी स्थित है भवानी मंडी पंचायत समिति के अंदर गुड़ा और घटोद ग्राम पंचायत एक शानदार जगह है

झालावाड़ रजवाड़ा

रजवाड़ा: झालावाड़
क्षेत्र हाड़ौती , मालवा
ध्वज, १९वीं शती Flag of Jhalawar.svg
स्वतंत्रता: कोटा
राज्य उद्गम: 1838-1949
राजवंश झाला
राजधानी झालावाड़

राजनीति

झालावाड़ जिले में 4 विधानसभा क्षेत्र हैं

  1. मनोहरथाना
  2. खानपुर
  3. डग
  4. झालरापाटन

झालावाड लोकसभा सीट से दुष्यंत सिंह जिले का प्रतिनिधित्व संसद में करते हैं। झालरापाटन सीट से राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं।

प्रमुख आकर्षण

गढ़ महल

गढमहल झाला वंश के राजाओं का भव्य महल था। शहर के मध्य स्थित इस महल के तीन कलात्मक द्वार हैं। महल का अग्रभाग चार मंजिला है, जिसमें मेहराबों, झरोखों और गुम्बदों का आनुपातिक विन्यास देखने लायक है।

परिसर के नक्कारखाने के निकट स्थित पुरातात्विक संग्रहालय भी देखने योग्य है। महल का निर्माण 1838 ई. में राजा राणा मदन सिंह ने शुरू करवाया था जिसे बाद में राजा पृथ्वीसिंह ने पूरा करवाया। 1921 में राजा भवानी सिंह ने महल के पिछले भाग में एक नाट्यशाला का निर्माण कराया। इसके निर्माण में यूरोपियन ओपेरा शैली का खास ध्यान रखा गया है।

कृष्ण सागर

शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर कृष्ण सागर नामक विशाल सरोवर है। यह सरोवर एकांतप्रिय लोगों को बहुत पसंद आता है। सरोवर के किनारे पर लकड़ियों से निर्मित एक इमारत है। इस इमारत को रैन बसेरा कहा जाता है। यह इमारत महाराजा राजेन्द्र सिंह ने ग्रीष्मकालीन आवास के लिए बनवाई थी। पक्षियों में रूचि रखने वालों को यह स्थान बहुत भाता है। वर्तमान में यह जल गया है

गागरोन किला

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। काली सिंध नदी और आहु नदी के संगम पर स्थित गागरोन फोर्ट झालावाड़ की एक ऐतिहासिक धरोहर है। यह शहर से उत्तर में 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गढ़ गागरोण महान संत पीपा की समाधि भी है। 13वीं शताब्दी से गागरोण पर खींची (चौहानों) का शासन था। इस कुल में तुगलक सेना को मार भगाने वाले नरेश राव प्रताप सिंह हुए जिन्होंने तुगलक सेना के सेनापति लल्लन पठान को एक झटके में काट डाला फिर राव प्रताप सिंह जी क्षत्रियों में मांस मदिरा के प्रयोग से हो रहे अनर्थक को देखकर विचलित हो उठे रात को सपने में मां भवानी के कहने पर काशी के रामानंद जी को गुरु बनाने काशी चले गए इनके वंशज अचल दास ने यहां शासन किया

सूर्य मंदिर

साँचा:main झालावाड़ का दूसरा जुड़वा शहर झालरापाटन को घँटियों का शहर भी कहा जाता है। शहर में मध्य स्थित सूर्य मंदिर झालरापाटन का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। वास्तुकला की दृष्टि से भी यह मंदिर अहम है। इसका निर्माण दसवीं शताब्दी में मालवा के परमार वंशीय राजाओं ने करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु/पद्मनाभ स्वामी की प्रतिमा विराजमान है। इसलिए इसे पद्मनाभ मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर की बनावट उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर के समान है। इस मंदिर को सात सहेलियों का मंदिर भी कहा जाता हैं।

शान्तिनाथ मंदिर

यह मंदिर सूर्य मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित है। ग्यारहवीं शताब्दी में निर्मित इस जैन मंदिर के गर्भगृह में भगवान शांतिनाथ की सौम्य प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा 11 फुट ऊंची है और काले पत्थर से बनी है। मुख्य मंदिर के बाहर विशालकाय दो हाथियों की मूर्तियां इस प्रकार स्थित हैं, मानो प्रहरी के रूप में खड़ी हों।

गोमती सागर

झालरापाटन का यह विशाल सरोवर गोमती सागर के नाम से जाना जाता है। इसके तट पर बना द्वारिकाधीश मंदिर एक प्रमुख दर्शनीय स्थान है। झाला राजपूतों के कुल देवता द्वारिकाधीश को समर्पित यह मंदिर राजा जालिम सिंह द्वारा बनवाया गया था। शहर के पूर्व में चन्द्रभागा नदी है। जहां चन्द्रावती नगरी थी। उस काल के कुछ मंदिर आज भी यहां स्थित हैं, जिनका निर्माण आठवीं शताब्दी में मालवा नरेश ने करवाया था। इनमें शिव मंदिर प्रमुख हैं। यह मंदिर नदी के घाट पर स्थित है।

नौलखा किला

शहर के एक छोर पर ऊंची पहाड़ी पर नौलखा किला एक अन्य पर्यटन स्थल है। इसका निर्माण राजा पृथ्वीसिंह द्वारा 1860 में शुरू करवाया गया था। इसके निर्माण में खर्च होने वाली राशि के आधार पर इसे नौलखा किला कहा जाता है। यहां से शहर का विहंगम नजारा काफी आकर्षक लगता है।

बौद्ध और जैन मंदिर

झालावाड़ और झालरापाटन शहरों के बाहर जैन धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़े मंदिर भी पर्यटकों को खूब लुभाते हैं। इसमें चांदखेड़ी का दिगंबर जैन मंदिर और कोलवी स्थित बौद्ध धर्म के दीनयान मत की गुफाएं काफी प्रसिद्ध हैं। झालावाड़ शहर से 23 किमी की दूरी पर भीमसागर बांध स्थित है तथा 65 किमी की दूरी पर भीमगढ किला है। यह स्‍थल भी पर्यटन के लिहाज से घूमा जा सकता है।

मनोहर थाना का दुर्ग

यह दुर्ग अतिप्राचीन है । यह दुर्ग कालीखाड़ नदी एवं परवन नदी के संगम पर स्थित है । इस प्रकार यह दुर्ग जल दुर्ग श्रेणी का है। इस दुर्ग के अंदर अब यहां की जनता ने अधिकार कर लिया है और यहां पर ही अपने निवास बना लिये है।

कामखेड़ा बालाजी मंदिर

मनोहर थाना तहसील के ग्राम कामखेड़ा में प्रसिद्ध हनुमानजी का मंदिर स्थित है। यहां हनुमानजी की पूजा बालाजी के रूप में की जाती है। कहा जाता है कि बालाजी के दरबार में भूत प्रेतो की अदालत लगती हैं। यहां बालाजी के दर्शन करने के लिए सीमावर्ती राज्यों के श्रद्धालु आते हैं । जिनके लिए प्रतिवर्ष श्रावण मास में खुरी चौराहा पर, नेवज नदी के पास ग्राम पिपलिया जागीर तथा ग्राम (बम्बूलिया)सुलिया जागीर व बंधा जागीर के बीच निःशुल्क भंडारा समीप ग्राम के ग्रामवासियों के द्वारा किया जाता है। कामखेड़ा की दूरी अकलेरा 16 किमी है कामखेड़ा में ही श्रीराम भगवान का भव्य मंदिर निर्माणाधीन हैं ।


कल्लाजी मन्दिर धाम

झालावाड़ जिले की खानपुर तहसील के अंतर्गत तहसील मुख्यालय से करीब 25 km की दूरी पर अकावद ग्राम में चार हाथों वाले लोकदेवता के नाम से प्रसिद्ध कल्लाजी का मन्दिर स्थित हैं । कल्लाजी राठौड़ अकबर की सेना से लड़ते हुए शहीद हो गए थे । इस तीर्थ स्थल पर हर रविवार को श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करने व रसोइया लेकर पहुंचते हैं। इसके समीप ही लगभग 2 km की दूरी पर परवन नदी पर राजस्थान का बहुचर्चित अकावद बांध बन रहा हैं जो भी एक दर्शनीय स्थल है ।

आवागमन

झालावाड राष्ट्रीय राजमार्ग १२ (जयपुर-जबलपुर) पर स्थित है। निकटतम बड़ा शहर कोटा है जो ८५ किलोमीटर दूर है। झालावाड़ का निकटतम एयरपोर्ट कोटा विमानक्षेत्र है। यह शहर से 87 किलोमीटर दूर स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन झालावाड़ सिटी एवं झालरापाटन रेलवे स्टेशन है। कोटा से झालावाड़ जाने के लिए बस ट्रेन या टैक्सी की सेवा ली जा सकती है। इसके अलावा जयपुर, बूंदी, अजमेर, कोटा, दिल्ली, इंदौर आदि शहरों से बस सेवाएं उपलब्ध हैं।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990