जियाउर्रहमान
जियाउर्रहमान बांग्लादेश के एक प्रमुख राजनेता और सैन्य अफसर थे। उनका किरदार, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध तथा नवस्वतंत्र बांग्लादेश की राजनीती में महत्वपूर्ण रहा। वे बाग्लादेश के ८वें राष्ट्रपति बने, तथा इनका कार्यकाल २१ अप्रैल १९७७ से ३० मई १९८१ तक रहा। अपने सैन्य कौशल के लिए उन्हें बांग्लादेश के दूसरे सबसे उच्चतम सैन्य सम्मान, बीरउत्तम(विरोत्तम) से सम्मानित किया गया था।
जीवनी
जियाउर्रहमान का जन्म 19 जनवरी 1936 को हुआ था और उनकी मृत्यु 30 मई 1981 को हुई थी। उनके पिता का नाम मंसूर रहमान और माता का नाम जहान औराह था। भारत के विभाजन के बाद, उनके पिता कराँची चले गए, जहाँ ज़िया-उर-रहमान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। 1953 में, जियाउर रहमान पाकिस्तान सैन्य अकादमी कल्को में कैडेटों के रूप में भर्ती हुए, और 18 सितंबर, 1955 को पाकिस्तानी सेना के बारहवीं पीएमए लौंग कोर्स में पास हुए। 1960 में उनकी शादी खालिदा जिया के साथ हुई थी, जो बाद में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में हालात खराब होने के बाद, उनहोंने बांग्लादेशी स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया। उन्होंने पाकिस्तानी सेना में रहते हुए, शेख मुजीब के आहवाहन पर, सेना की तरफ से, बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी। वे बांग्लादेश की मुक्ति बाहिनी के अत्यंत महत्वपूर्ण सदस्य रहे, तथा शेख मुजीबुर्रहमान के करीबी सहकारियों में से थे। बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में उनकी अहम भूमिका रही थी। बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद वे बांग्लादेशी सेना के सह-सेनाप्रमुख बने, तथा वे नवस्वतंत्र बांग्लादेश की राजनीति में, जोकि उस समय सैन्य शासन के अधीन था, के एक महत्वपूर्ण चेहरा बन गए, तथा शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद, बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति रहते, उन्होंने बांग्लादेश जातीय पार्टी गठित की, जो आज भी बांग्लादेश की दो प्रमुख पार्टियों में है। ३० मई १९८१ को, एक सैन्य तख्तापलट के दौरान चट्टग्राम में उनकी हत्या कर दी गयी।