चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना

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चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना
IAEA 02790015 (5613115146).jpg
दुर्घटना के बाद रिएक्टर 4 और 3
तिथि साँचा:start date and age
समय 01:23:40 MSD (UTC+04:00)
स्थान चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र, प्रीप्यत, यूक्रेनी SSR, सोवियत संघ
कारण रिएक्टर के डिज़ाइन में कमियाँ और सुरक्षा परीक्षण के समय प्रोटोकल का पालन न करना
परिणाम INES लेवल 7 (प्रमुख दुर्घटना)
मृत्यु दुर्घटना से सीधे हुए 100 से कम मृत्युएँ। बाद के समय में मृत्युओं के स्तर के भिन्न अनुमान।

चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना एक परमाणु दुर्घटना थी जो सोवियत संघ के युक्रेनी सोवित समाजवादी संघ के उत्तरी नगर प्रीप्यत के पास 26 अप्रैल 1986 को चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के चौथे रिएक्टर में हुई थी।[१][२] यह लागत और हताहत, दोनों के मामले में आज तक का सबसे भयानक परमाणु दुर्घटना रहा है।[३] यह उन मात्र दो दुर्घटनाओं में से एक है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय परमाणु घटना स्केल के सातवें स्थान पर पद दिया गया है—जो सबसे ज़्यादा है—और दूसरा है जापान का फूकूशीमा डाईची परमाणु दुर्घटना। हादसे के बाद पर्यावरण को विकिरण से मुक्त करने और हादसे को बिगड़ने से रोकने के लिए कुल 1.8 करोड़ सोवियत रूबल (वर्तमान 5 खरब भारतीय रुपए)।[४]

विवरण

यह दुर्घटना तब हुई जब एक RBMK-प्रकार परमाणु रिएक्टर में एक स्टीम टर्बाइन में एक परीक्षण की जा रही थी। परीक्षण के समय पावर में कमी की योजना बनाने पर पावर आउटपुट अचानक शून्य के बराबर हो गया। चालक परीक्षण के अनुसार पावर को वापस ऊपर नहीं ले आ पाए थे, जिससे रिएक्टर एक अस्थिर स्थिति में आ पहुँचा। परीक्षण की विधि में इस बात को कोई उल्लेख नहीं था, तो चालक परीक्षण में आगे बढ़ते रहे। परीक्षण के पूरे होने के बाद चालकों ने संयंत्र को बंद करने का फैसला किया। मगर बंद होने के बजाय एक अनियंत्रित परमाणु श्रृंखला अभिक्रिया की शुरुआत हुई जिससे अधिक मात्रा में ऊर्जा छोड़ी जाने लगी।

अंतर्भाग पिघलने लगा जिसके बाद दो या अधिक विस्फोटों की वजह से रिएक्टर का अंतर्भाग और रिएक्टर बिल्डिंग तबाह हो गया। इसके तुरंत बाद अंतर्भाग में आग लग गई जिससे अगले नौ दिनों तक हवा में रेडियोधर्मी प्रदुषण छोड़ा गया जो USSR के कुछ भागों और पश्चिमी यूरोप तक पहुँच गया जिसके बाद यह आखिरकार 4 मई 1986 को खत्म हुआ।[५][६] 70 प्रतिशत प्रदूषण साँचा:convert दूर बेलारूस में जा पहुँचा।[७] अंतर्भाग में लगे आग ने उतनी ही मात्रा में प्रदूषण छोड़ी जितनी विस्फोट ने छोड़ी थी।[८]

रिएक्टर के अंतर्भाग के विस्फोट में दो इंजीनियरों की मृत्यु हुई और दो और बहुत बुरी तरह से जल गए। आग को बुझाने के लिए एक आपातकालीन सूचना घोषित की गई जिसमें अंतर्भाग को साफ़ किया गया और रिएक्टर को स्थिर किया गया। इस कार्य के दौरान 134 स्टाफ सदस्यों को तीव्र विकिरण सिंड्रोम के साथ अस्पताल में ले जाया गया क्योंकि उन्होंने आइनाइज़ करने वाली विकिरण को अधिक मात्रा में सोख लिया था। 134 लोगों में से 28 लोगों की मृत्यु कुछ ही दिनों और महीनों के अंदर हो गई, और बाकियों की मृत्यु अगले कुछ 10 वर्षों में विकिरण से जुड़े कैंसर से हुई।[९][१०] दुर्घटना के आम जनता पर स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। 2011 में इस क्षेत्र के 15 बच्चों को थाइरॉइड कैंसर हुआ था जिससे उनकी मृत्यु हो गई।[११][१२]

दिसंबर 1986 तक USSR ने चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर एक सरकोफैगस की रचना कर ली थी। इससे रेडियोधर्मी प्रदुषण कम फैलता है और रिएक्टर को कोई हानि नहीं पहुँचती।

संकट प्रबंधन

आग की रोकथाम

चित्र:Leonid Telyatnikov (1951-2004) decorated in UK.jpg
लियोनिड तेल्यातनिकोव को साहस के लिए पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है।

सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हुए रिएक्टर बिल्डिंग और टर्बाइन हॉल के छत को बनाने के लिए ऐस्फाल्ट का इस्तेमाल किया गया था जो कि एक ज्वलनशील सामग्री है। विस्फोट से छोड़े गए सामग्री से काम कर रहे 3 नं. रिएक्टर के छत पर करीब पाँच जगहों पर आग लग गए। उन आगों को बुझाकर रिएक्टर 3 के ठंडक प्रणाली को सही सलामत रखना ज़रूरी था। रिएक्टर 3 के स्टाफ यूरी बागडासारोव ने रिएक्टर को तुरंत बंद कर देना चाहा मगर चीफ़ इंजीनियर निकोलाई फ़ोमिन ने इसकी अनुमति नहीं दी। कर्मचारियों को रेस्पिरेटर और पोटासियम आयोडाइड टैब्लेट दिए गए और काम करते रहने को कहा गया। सुबह 5 बजे बागडासारोव ने अपने फैसले पर रिएक्टर को बंद कर दिया, जो चीफ़ इंजीनियर अनातोली डायटलोव द्वारा सुनिश्चित किया गया था।

दुर्घटना के कुछ ही समय बाद अग्निशमन आग को बुझाने के प्रयास में स्थान पर आए। प्रथम अग्निशमन समूह था लेफ्टिनेंट वलोडिमिर प्रावीक के कमांड में चेर्नोबिल ऊर्जा स्टेशन का अग्निशमन ब्रिगेड। प्रावीक की मृत्यु 11 मई 1986 को विकिरण के चलते हुई। उन्हें यह नहीं बताया गया था कि वहाँ का धूआँ कितना खतरनाक था और विकिरण-पूर्ण था, और उन्हें यह भी बताया गया कि यह हादसा एक विद्युतीय आग से बढ़के कुछ नहीं था: "हमें नहीं पता था कि यह रिएक्टर ही था। हमें किसी ने नहीं बताया।"[१३] एक फायर ट्रक के चालक ग्रिगोरी ख्मेल के अनुसार:

साँचा:blockquote

मृत्यु से पहले अग्निशमनों के अनुभवों (जैसे CBC टीवी धारावाहिक 'Witness' पर बताया गया था) के आधार पर, एक आदमी ने कहा कि "विकिरण का स्वाद धातु जैसा है", और यह कि उसके चेहरे पर उसे पिन और सुई लगने वाली भाव महसूस हो रही थी। (यह मैनहटन के वैज्ञानिक लूई स्लोटिन द्वारा दिए गए विवरण से मेल खाता है, जिसकी मृत्यु परियोजना में अधिक मात्रा में विकिरण सोक लेने के बाद हुई थी।)[१४]

निष्क्रमण

पास प्रीप्यत नगर को जल्द खाली कर दिया गया। करीब 01:23 स्थानीय समय में शहर के निवासी अपने सामान्य कार्यों में जुटे थे क्योंकि उन्हें इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि संयंत्र में क्या हुआ। पर विस्फोट के कुछ घंटों के अंदर ही दर्जनों लोग बीमार पड़ गए। बाद में उन्हें तेज़ सिरदर्द होने लगे और वे खाँसने या उल्टी करने से अपने आप को रोक नहीं पाते। क्योंकि संयंत्र को मॉस्को के अधिकारियों द्वारा चलाया जाता था, यूक्रेन सरकार को त्वरित रूप से दुर्घटना के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं हुई थी।

दुर्घटना को जाँचने के लिए दिन के समय एक कमिशन को नियुक्त किया गया। इसके नेता थे वलेरी लिगासोव, कुरचटोव परमाणु ऊर्जा संस्थान के पहले उप निदेशक; और इसमें परमाणु विशेषज्ञ एवगेनी वेलिकोव, जल मौसम विज्ञानी यूरी इज़रायल, विकिरण विज्ञानी लियोनिड ईलिन और दूसरे थे। वे बोरिस्पिल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गए और 26 अप्रैल के शाम तक ऊर्जा संयंत्र तक पहुँच गए। तब तक दो लोगों की मृत्यु हो चुकी थी और 52 अधिक अस्पताल में थे। समूह के पास जल्द ही काफी सबूत था कि रिएक्टर तबाह हो चुका था और भीषण मात्रा में विकिरण सोकने की वजह से लोग बीमार हो रहे थे। 27 अप्रैल की सुबह को प्रीप्यत को निष्क्रमित करने की सूचना दी गई। पहली योजना थी जनसंख्या को 3 दिनों के लिए प्रीप्यत से दूर ले जाना, मगर बाद में इसे स्थायी कर दिया गया।

27 अप्रैल के दोपहर 11 बजे तक निष्क्रमण शुूरू हो चुका था। निष्क्रमण सूचना का एक अनुवादित अंश है: साँचा:side box साँचा:blockquote

चित्र:Ejected graphite from Chernobyl core.jpg
अंतर्वस्तु से छोड़ा गया एक ग्रैफ़ाइट का टुकड़ा। सबसे बड़े ग्रैफ़ाइट में नियंत्रण रॉड के एक चैनल का एक हिस्सा नज़र आता है।

निष्क्रमण की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के लिए निवासियों से सिर्फ वही सामान लाने को कहा गया जो उनके लिए ज़रूरी था, और उन्हें यह बताया गया कि वे करीब तीन दिनों के लिए प्रीप्यत से दूर रहेंगे। इस वजह से ज़्यादातर निजी संबद्धों को लोग घरों में ही छोड़ गए थे, जो आज भी वहाँ मौजूद हैं। तीन बजे तक 53,000 लोगों को कीव ओब्लास्ट के कई दूसरे गाँवों में निष्क्रमित कर दिया गया था। अगले दिन लोगों को साँचा:convert के क्षेत्र से निष्क्रमित कर देने के बारे में चर्चाएँ होने लगे। विस्फोट के दस दिन बाद निष्क्रमण क्षेत्र को साँचा:convert कर दिया गया।[१५] चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र अपवर्जन क्षेत्र तब से वैसा ही रहा है, हालाँकि इसके आकार को थोड़ा और बढ़ाया गया है।

विकिरण

हालाँकि चेर्नोबिल दुर्घटना और एक जानबूझकर हवा में किए गए विस्फोट के बीच तुलना करना मुश्किल है, यह अनुमान लगाया गया है कि चेर्नोबिल से छोड़ी गई विकिरण की मात्रा हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी से चार सौ गुना ज़्यादा था। मगर यह शीत युद्ध के समय परमाणु परीक्षणों के दौरान छोड़े गए विकिरण का सिर्फ करीब एक-सौवाँई से एक-हज़ारवाँई हिस्सा है; कारण यह बताया गया है कि शीत युद्ध के समय कई तरह के आइसोटोप्स भी छोड़े गए थे। चेर्नोबिल दुर्घटना के बाद सबसे दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र थे यूक्रेन, बेलारूस और रूसइबेरिया प्रायद्वीप के अलावा यूरोप के अधिकांश हिस्से में कम मात्रा में हो, फिर भी विकिरण का पता लगाया गया था।[१६][१७][१८]

28 अप्रैल के दोपहर के समय स्वीडन के विकिरण के खोज और वहाँ के संयंत्र में किसी खामी के न होने के जाँच से पहला अंदेशा हुआ कि पश्चिमी सोवियत संघ में कुछ गड़बड़ था। इसीलिए विस्फोट के 36 घंटे बाद 27 अप्रैल 1986 को प्रीप्यत के निष्क्रमण की शुरुआत हुई, जिससे पहले यह खबर सोवियत संघ से बाहर पहुँची ही नहीं थी। विकिरण की मात्रा में बढ़ौती को फ़िनलैंड ने पहले ही नाप लिया था मगर एक सिविल सेवा हड़ताल की वजह से दरख़्वास्तों को समय पर प्रकाशित नहीं किया जा सका।[१९]

137C से प्रदूषित यूरोप के क्षेत्र[२०]
राष्ट्र 37–185 kBq/मी.2 185–555 kBq/मी.2 555–1,480 kBq/मी.2 > 1,480 kBq/मी.2
कि.मी.2 साँचा:small कि.मी.2 साँचा:small कि.मी.2 साँचा:small कि.मी.2 साँचा:small
बेलारूस 29,900 14.4 10,200 4.9 4,200 2.0 2,200 1.1
यूक्रेन 37,200 6.2 3,200 0.53 900 0.15 600 0.1
रूस 49,800 0.3 5,700 0.03 2,100 0.01 300 0.002
स्वीडन 12,000 2.7
फ़िनलैंड 11,500 3.4
ऑस्ट्रिया 8,600 10.3
नॉर्वे 5,200 1.3
बुल्गारिया 4,800 4.3
स्विज़रलैंड 1,300 3.1
यूनान 1,200 0.9
स्लोवेनिया 300 1.5
इटली 300 0.1
[[मोल्डोवा] 60 0.2
कुल 162,160 कि.मी.2 19,100 कि.मी.2 7,200 कि.मी.2 3,100 कि.मी.2

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite journal
  3. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  4. साँचा:cite AV media (मिखेल गार्बाशेव के साथ 1996 इंटर्व्यू देखें)
  5. McCall, Chris (April 2016). "Chernobyl disaster 30 years on: lessons not learned". The Lancet. 387 (10029): 1707–1708. doi:10.1016/s0140-6736(16)30304-x. ISSN 0140-6736.
  6. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  7. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  8. साँचा:cite web
  9. साँचा:cite web
  10. साँचा:cite journal
  11. साँचा:cite web
  12. साँचा:cite web
  13. साँचा:cite web
  14. Zeilig, Martin (अगस्त-सितंबर 1995). "Louis Slotin And 'The Invisible Killer'". The Beaver. 75 (4): 20–27. Archived from the original on 16 मई 2008. Retrieved 28 अप्रैल 2008. {{cite journal}}: Check date values in: |access-date=, |date=, and |archive-date= (help)
  15. साँचा:cite book
  16. साँचा:cite journal
  17. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  18. साँचा:cite web
  19. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  20. साँचा:cite book