चेक गणराज्य में हिन्दी

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चेक गणराज्य के प्रग स्कूल ऑफ़ लैंग्वेजेज़ (अंग्रेज़ी: Prague School of Languages) के शाम के समय पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम में हिन्दी भाषा भी पढ़ाई जाती है। हिन्दी भाषा पढने इस देश के युवकों का उत्साह छात्रों की अच्छी-खासी संख्या से लगाया जा सकता है।

चेक गणराज्य में हिन्दी शिक्षा का इतिहास

दूसरे विश्व युद्ध के समय प्राग स्कूल ऑफ़ कामर्स (अंग्रेज़ी: Prague School of Commerce) की एक शाखा इन्स्टिट्यूट ऑफ़ दि हिन्दुस्तानी लैंग्वेज (अंग्रेज़ी: Institute of the Hindustani Language) थी। उस समय लगभग सौ विद्यार्थी वहाँ पढ़ रहे थे। प्रोफ़ेसर ओकतार पेरतोल्द जो किसी समय चेकोस्लोवाकिया के मुम्बई में महावाणिज्यदूत रह चुके थे, ने हिन्दुस्तानी भाषा के लिए के सफल पाठ्य पुस्तक लिखी थी जिसमें देवनागरी और नस्तालिक दोनो लिपियाँ छात्रों को पढ़ाई जाती थी।

भारत की स्वतंत्रता के पश्चात हिन्दी भाषा की शिक्षा चेकोस्लोवाकिया में मुख्य केंद्र रही, जबकि उर्दू इसके साथ एक अतिरिक्त ऐच्छिक विषय के तौर पर पढ़ाई जाने लगी। 1980 के दशक में उर्दू शिक्षा को हिन्दी के पाठ्यक्रम से अलग किया गया था।

भारत सरकार द्वारा समर्थन

चेक गणराज्य के चार्ल्स विश्वविद्यालय (अंग्रेज़ी: Charles University) के उस विभाग में जहाँ हिन्दी पढ़ाई जा रही है, भारतीय दूतावास का समर्थन प्राप्त है। इस विभाग को समय-समय पर हिन्दी पुस्तक और पत्रिकाएँ पहुँचाई जाती हैं।[१]

इसके अतिरिक्त दूतावास समय-समय पर हिन्दी भाषा सीखने के इच्छुक छात्रों के भारत भेजने का प्रबंध करता है। 2015 में परदुबित्से विश्वविद्यालय (अंग्रेज़ी: Pardubice University) की एक छात्रा ने दूतावास के सौजन्य से केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा में अवेदान भेज चुकी हैं। संस्थान की ओर से इस छात्रा का वहाँ पर एक वर्ष के कोर्स के लिए चयन किया गया था। यह छात्रा पहले से कुछ हिन्दी जानती है, पर वह भारत में रहकर और सीखने की इच्छुक थी।

सन्दर्भ

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