रूस में हिन्दी

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चित्र:रूस में हिन्दी1.JPG
मॉस्को के भारतीय राजदूतावास के जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र में हिन्दी शिक्षण की कक्षा का एक दृश्य

कम्यूनिस्ट क्रांति से पूर्व रूस में भारत के प्रति रुचि संस्कृत भाषा और साहित्य के अध्ययन तक सीमित थी। परन्तु यह स्थिति 1955 में बदल गई। इस वर्ष रूस के नेता निकिता ख़्रुश्चेव भारत आए। उन्होंने घोषणा की कि "हम यह देखेंगे कि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली ऐसी विकसित हो जिसमेँ सर्वश्रेष्ठ और सर्वगुण-सम्पन्न नई पीढ़ी हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं को सीखें।"[१]

नई शिक्षा नीति

इस घोषणा के अनुरूप 1957 से मॉस्को, लेनिनग्राद और ताशकंद के कई द्वीतीय पाठशालाओं हिन्दी पढ़ा़ई जाने लगी। मास्को राजकीय विश्वविद्यालय और कुछ अन्य विश्वविद्यालयों में एक अलग पूर्वी भाषाओं के विभाग को बनाया गया जहाँ पर हिन्दी और उर्दू की शिक्षा पर ज़ोर दिया जाने लगा। लेनिनग्राद में भारतीय जीवित भाषाओं की संस्था (अंग्रेज़ी: Institute of Indian Living Languages) की नीव रखी गई जहाँ हिन्दी, मराठी, तमिल और बंगाली भाषा की शिक्षा की व्यवस्था थी। मॉस्को और ताशकंद रेडियो से लगभग सभी भारतीय भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित होने लगे।[१]

द्विपक्षीय छात्रवृत्ति

1960 के दशक से रूस और भारत दोनों ओर से द्विपक्षीय छात्रवृत्ति दी जाने लगी थी। इसके अंतरगत भारतीय छात्र रूसी भाषा, साहित्य, विज्ञान आदि पढ़ने रूस जाने लगे जबकि रूसी छात्र भारतीय भाषाएँ सीखने भारत आने लगे। कुछ छात्र नृत्य और शास्त्रीय संगीत सीखने भी भारत आने लगे।[१]


वर्तमान स्थिति

रूस में कई रूसी संस्थाओं द्वारा जिनमें विश्वविद्यालय और स्कूल शामिल हैं, हिन्दी पढ़ाई जाती है। इसके अतिरिक्त कई रूसी तमिल, मराठी, गुजराती, बंगाली, उर्दू, संस्कृत और पाली भाषा अच्छे से जानते हैं।[२]

रूसी संस्थान जहाँ हिन्दी का अध्ययन होता है

जवाहरलाल नेहरू साँस्कृतिक केंद्र

भारतीय राजदूतावास के जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र में हिन्दी शिक्षण की कक्षाएँ नियमित रूप से चलती हैं, जिसमें हर आयु समूह के हिन्दी सीखने के अभिलाषी लोग आते हैं। केन्द्र की ओर से प्रति वर्ष सितम्बर में हिन्दी दिवस और जनवरी माह में विश्व हिन्दी दिवस का आयोजन होता है। इसमें केन्द्र सहित मॉस्को के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थी, प्राध्यापक एवं भारतविद हिस्सा लेते हैं। 13-15 अक्तूबर 2014 में अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन अत्यंत सफल रहा जिसमें रूस के विभिन्न नगरों के अलावा यूरेशिया क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर एक स्मारिका "सहयात्रा" और एक पुस्तक "हिन्दी और दुनिया" भी का विमोचन किया गया।[३]

गैलरी

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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  3. "संस्थान जहाँ हिन्दी का अध्यन होता है", रूस में स्थित भारतीय दूतावास, जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र, भारतीय राजदूतावास, जनवरी 6, 2015

बाहरी कड़ियाँ