ग्रैव अपकशेरुकता

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
स्पॉन्डिलोसिस
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
अन्य नाम सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
आईसीडी-१० M47.
आईसीडी- 721
ओ.एम.आई.एम 184300
रोग डाटाबेस 12323
मेडलाइन+ 000436
ई-मेडिसिन neuro/564 
एमईएसएच D013128

ग्रैव अपकशेरुकता (सर्वाइकल स्पाॉन्डिलाइसिस या सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस) ग्रीवा (गर्दन) के आसपास के मेरुदंड की हड्डियों की असामान्य बढ़ोतरी और सर्विकल वर्टेब के बीच के कुशनों (इसे इंटरवर्टेबल डिस्क के नाम से भी जाना जाता है) में कैल्शियम का डी-जेनरेशन, बहिःक्षेपण और अपने स्थान से सरकने की वजह से होता है। लगातार लंबे समय तक कंप्यूटर या लैपटॉप पर बैठे रहना, बेसिक या मोबाइल फोन पर गर्दन झुकाकर देर तक बात करना और फास्ट-फूड्स व जंक-फूड्स का सेवन, इस मर्ज के होने के कुछ प्रमुख कारण हैं।[१] प्रौढ़ और वृद्धों में सर्वाइकल मेरुदंड में डी-जेनरेटिव बदलाव साधारण क्रिया है और सामान्यतः इसके कोई लक्षण भी नहीं उभरते। वर्टेब के बीच के कुशनों के डी-जेनरेशन से नस पर दबाव पड़ता है और इससे सर्विकल स्पाॅन्डिलाइसिस के लक्षण दिखते हैं। सामान्यतः ५वीं और ६ठी (सी५/सी६), ६ठी और ७वीं (सी६/सी७) और ४थी और ५वीं (सी४/सी५) के बीच डिस्क का सर्विकल वर्टेब्रा प्रभावित होता है।

लक्षण

सर्विकल भाग में डी-जेनरेटिव परिवर्तनों वाले व्यक्तियों में किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं देते या असुविधा महसूस नहीं होती। सामान्यतः लक्षण तभी दिखाई देते हैं जब सर्विकल नस या मेरुदंड में दबाव या खिंचाव होता है। इसमें निम्नलिखित समस्याएं[१][२] भी हो सकती हैं-

  • गर्दन में दर्द जो बाजू और कंधों तक जाती है
  • गर्दन में अकड़न जिससे सिर हिलाने में तकलीफ होती है
  • सिर दर्द विशेषकर सिर के पीछे के भाग में (ओसिपिटल सिरदर्द)कंधों, बाजुओं और हाथ में झुनझुनाहट या असंवेदनशीलता या जलन होना
  • मिचली, उल्टी या चक्कर आना
  • मांसपेशियों में कमजोरी या कंधे, बांह या हाथ की मांसपेशियों की क्षति
  • निचले अंगों में कमजोरी, मूत्राशय और मलद्वार पर नियंत्रण न रहना (यदि मेरुदंड पर दबाव पड़ता हो)

प्रबंधन

इसके लिए कई प्रकार के उपचार उपलब्ध हैं। इन उपचारो का उद्देश्य होता है-

  • नसों पर पड़ने वाले दबाव के लक्षणों और दर्द को कम करना
  • स्थायी मेरुदंड और नस की जड़ों पर होने वाले नुकसान को रोकना
  • आगे के डी-जनरेशन को रोकना

इन्हें निम्नलिखित उपायों से प्राप्त किया जा सकता है-

  • गर्दन की मांस पेशियों को सुदृढ़ करने के लिए किये गये व्यायाम से लाभ होता है, किंतु ऐसा चिकित्सक की देख-रेख में ही की जाए। फिजियोथेरेपिस्ट से ऐसा व्यायाम सीखकर घर पर इसे नियमित रूप से करें।
  • सर्विकल कॉलर - सर्विकल कॉलर से गर्दन के हिलने डुलने को नियंत्रित कर दर्द को कम किया जा सकता है।

उपचार

होलिस्टिक उपचार के अंतर्गत कई विधियों का समावेश किया जाता है। इन तरीकों से साधारण रोगी दो से तीन दिनों में और गंभीर रोगी एक से तीन महीनों में पूरी तरह स्वस्थ हो जाते है।[१][३]

रिलेक्सेशन एन्ड एलाइनमेंट

इसमें हॉट व कोल्ड थेरैपी, कैस्टर ऑयल थेरैपी या आकाइरैन्थर मसाज द्वारा गर्दन की मांसपेशियों व अन्य ऊतकों को लचीला बनाकर एक्टिव रिलीज और काइरोप्रैक्टिस विधियों के द्वारा असामान्य ऊतकों का एलाइनमेंट किया जाता है। अधिकतर मरीजों में एक या दो उपचारों के बाद डिस्क का नर्व पर पड़ने वाला दबाव कम हो जाता है और ऊतकों में सामान्य लचीलापन आ जाता है।

डिटॉक्सीफिकेशन

इसमें प्रमुख रूप से गुर्दा, यकृतऔर ज्वॉइन्ट क्लींजिंग के साथ एसिडिटी क्लींजिंग प्रमुख है। इन प्रक्रियाओं से शरीर में रोग पैदा करने वाले नुकसानदेह तत्व शीघ्रता से बाहर निकल जाते है।

न्यूट्रास्यूटिकल्स

ये भोजन में उपस्थित सूक्ष्म पोषक तत्व होते है। जैसे विटामिन, खनिज लवण, ग्लूकोसामाइन, ईस्टरीफाइड ओमेगा फैटी एसिड आदि। ये तत्व ऊतकों के क्षीण होने की प्रक्रिया को रोककर उनके दोबारा निर्माण में सहायक होते है।

सन्दर्भ

  1. सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस: ऐसे आएगा काबू मेंसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]। याहू जागरण।(हिन्दी)१८ फरवरी, २००८। डॉ॰ पंकज भारती, होलिस्टिक फिजीशियन
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

बाहरी कड़ियाँ