मेरुदण्ड
मानव शरीर रचना में 'रीढ़ की हड्डी' या मेरुदंड (vertebral column या backbone या spine)) पीठ की हड्डियों का समूह है जो मस्तिष्क के पिछले भाग से निकलकर गुदा के पास तक जाती है। इसमें ३३ खण्ड (vertebrae) होते हैं। मेरुदण्ड के भीतर ही मेरूनाल (spinal canal) में मेरूरज्जु (spinal cord) सुरक्षित रहता है।
मेरूदंड का शल्यकर्म (surgery)
मेरूदंड, रीढ़, या कशेरूक दंड अनेक छोटी अस्थियों से निर्मित होता है, जो कशेरूक (vertebrate) कहलाती हैं और जिनकी संख्या कुल 26 होती है-
- गर्दन पर (ग्रैव) 7;
- पृष्ठीय, या वक्षीय 12;
- कटि पर 5;
- त्रिकास्थि (sacrum) और
- कोसेजी (coseyse)।
त्रिकास्थि में पाँच अस्थियाँ सम्मिलित (fused) होती हैं जबकि कोसेजी में चार (३ से पाँच तक) अस्थियाँ एकाकार (fused) रहतीं हैं।
चोट ओर रोग
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष बल प्रयोग से कशेरूकों के अलग हो जाने पर मेरूदंड का भंग होता है जिसमें मेरूरज्जु का विदारण (tearing), या संदलन (crushing) संमिलित है जिसके फलस्वरूप चोट के स्थान के नीचे के भाग संवेदनहीन और संचलन शक्ति से शून्य हो जाते हैं। पहले ऐसे रोगी नीरोग नहीं हो पाते थे और शय्याव्रण और संक्रमण ग्रस्त होकर चिरकाल तक कष्ट भोगते और मर जाते थे। पिछले महायुद्ध के समय में अर्जित ज्ञान के कारण अब पैर के लकवे (paraplegic) के रोगी पहिएदार कुर्सियों में उपयोगी जीवन बिता सकते हैं।
मेरूदंड की वक्रता के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य है, मेरूदंड की गुलिकार्ति (tuberculosis)। कशेरूकों की काय अस्थिक्षय (caries) से नष्ट हो जाती है और उसके निपात (collapse) से कूबड़ निकल आता हे। स्पाण्डिलाइटिस (spondylitis) एक विकलांगकारी चिंताजनक स्थिति है जिसमें पीठ क्रमश: सीधी और अनम्य हो जाती है। कभी कभी दोषपूर्ण आसन की आदत, या चोट से असममित विकास के फलस्वरूप युवावस्था में पार्श्विक वक्रता उत्पन्न हो जाती है। इसे समुचित व्यायाम, या धनुर्बधनी (braces) पहनकर ठीक किया जा सकता है।
कभी-कभी पीठ के निम्न भाग के दर्द के निदान और शलयकर्म द्वारा उसकी चिकित्सा बहुत ही निराशजनक और उद्वेगकारी समस्या बन जाती है। इसकी जटिलता का अनुमान इस बात से सहज ही हो जाता है कि इस वेदना के स्रोत असंख्य हो सकते हें - मेरूदंड और श्रोणि प्रदेश (pelvis) की अस्थियाँ, इनके मध्य के असंख्य जोड़ और इस प्रदेश की असंख्य पेशियाँ तथा स्नायु। यह वेदना श्रोणि आंतरांग (Pelvis Viscera), अर्थात् मूत्राशय (bladder), प्रॉस्टेट, शुक्राशय, या अंडाशय, गर्भाशय तथा मलाशय में भी उठ सकती है। इन सबके अतिरिक्त मोच और तनाव भी हैं, जो मनुष्य के ऊर्ध्वाधर आसन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हें जिनके लिये हमारी शरीर यंत्रावली अभी भी पर्याप्त उपयुक्त नहीं है।
बाहरी कड़ियाँ
- रीढ़ की हड्डी की बनावट का सिंहावलोकन
- North American Spine Society is a multidisciplinary medical organization that advances quality spine care through education, research and advocacy.
- Spinal Cord Injuries Australia (formerly Australian Quadriplegic Association AQA, established 1967) provides information about the disability and services for affected people, advocacy, accommodation, employment, peer support.
- Spinal Cord Injury Peer Support Peer support for those living with spinal injuries.
- Vertebral column basics
- Spinal Term Glossary