गियर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
एक घूर्णी गीयर दूसरे घूर्णी गीयर को घुमा रहा है।
वर्म गियर
बेवेल गियर या प्रवण गियर, तब प्रयोग किया जाता है जब दोनों शाफ्ट समानान्तर न हों।
रैक और पिनियन गियर घूर्णी गति को विस्थापी गति (translatory motion) में बदलता है।
सूर्य और ग्रह गियर

गियर (gear या cogwheel) घूर्णी गति करने वाले मशीनों का एक अवयव है जिस पर 'दांते' बने होते है जिससे यह दूसरे गियरों से जुड़ता है। इनकी सहायता से एक धुरी (शाफ्ट) से दूसरी धूरी में बलाघूर्ण का संचार किया जाता है। इनकी सहायता से चाल, बलाघूर्ण या घूर्णन की दिशा बदली जा सकती है। गियर के उपयोग से बलाघूर्ण को बदला जा सकता है और यांत्रिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है (उचित गियर-अनुपात द्वारा)। आपस में जुड़ने वाले दो गियरों के दाँत समान आकार के होने चाहिए। जब दो या दो से अधिक गियर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं तो इस संरचना को 'गियर शृंखला' (गियर ट्रेन) कहते हैं। कोई गियर एक रैखिक गति करने वाले अवयव (इसे रैक (rack) कहते हैं) से जुड़ा हो हो तो इस संरचना की सहायता से घूर्णी गति को रैखिक गति में बदला जा सकता है।

गियर एक गोल पहिया जैसे आकार का मशिनी पुर्जा है जिस पर समान दूरी और समान आकार के दांते बने होते है। दांतों से एक गियर से दूसरे गियर को जोड़ा जाता है। इनकी सहायता से एक शाफ्ट से दूसरी शाफ्ट में शक्ति ट्रांसफर की जाती है। जहां पर दो गियर आपस में मिलते हैं, इसमें जो गियर पावर को ट्रांसफर कर रहा है उसे ड्राइवर गियर कहते हैं, तथा जो गेयर पावर को लेता है, उससे ड्रिवन गियर कहते हैं। दोनों गियर में जो आकार में छोटा होता है उसे 'पिनियन' कहते हैं। कहीं पर हमें एक साथ तीन गियर लगाने पड़ जाते हैं, या जब दो गियरों को एक ही दिशा में चलाना हो तो बीच में हमें तीसरा गियर लगाना पड़ता है, उस तीसरे गियर को 'आइडलर गियर' कहते हैं। आमतौर पर गियर के डायमीटर पर दांते कटे होते हैं। आमतौर पर गियर का प्रयोग कम दूरी की शाफ्टों को चलाने के लिए किया जाता है।

गियर के प्रकार

स्पर गियर,

बिवेल गियर ,

हेलीकल गियर,

मीटर गियर,

हाइपोइड गियर,

वर्म और वर्म व्हील,

रैक और पिनियन,

आंतरिक/इंटरनल गियर[१]

गियर बनाने में काम आने वाली धातुएँ

कास्ट आयरन,

कास्ट स्टील,

एलॉय स्टील,

माइल्ड स्टील,

कॉपर,

पीतल,

कांसा,

एलुमिनियम,

प्लास्टिक,

नायलॉन,[२]

गियर के दाँतों का आकार

घुमाने वाले तथा घूमने वाले गियर के कोणीय वेगों का अनुपात घटता-बढ़ता न रहे, इसके लिए दाँतों की प्रोफाइल सही प्रकार की होनी चाहिए। दोनों के बीच घर्षण तथा घिसाव भी प्रोफाइल पर निर्भर करता है। जहाँ तक सिद्धान्त की बात है, अनेकों प्रोफाइल के दाँते एक अचर वेग-अनुपात प्रदान कर सकते हैं किन्तु आधुनिक काल में दो प्रोफाइल सबसे अधिक प्रयोग किए गए हैं- चक्रज या चक्राभ (cycloid) तथा अंतर्वलित (involute)। इसमें भी चक्रज का प्रयोग १९वीं शताब्दी तक अधिक हुआ और अब प्रायः अन्तर्वलित ही अधिकतर उपयोग में आता है। अन्तर्वलित के दो मुख्य लाभ हैं-(१) इसका निर्माण करना आसान है, तथा (२) यदि दोनों शाफ्टों के बीच्च की दूरी कुछ सीमा तक बदल भी जाए तो भी इसका वेग-अनुपात नियत बना रहता है। चक्रज गीयर ठीक से तभी काम करते हैं जब उनके केन्द्रों की बीच की दूरी ठीक-ठीक बनाए रखी जाय।

सन्दर्भ