जिओवानी स्क्यापारेल्ली
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जिओवानी स्क्यापारेल्ली | |
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जिओवानी स्क्यापारेल्ली | |
जन्म |
साँचा:birth date सैविज्लियानो[१] |
मृत्यु |
साँचा:death date and age |
नागरिकता | इतालवी |
क्षेत्र | खगोल विज्ञान |
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जिओवानी विर्गिनियो स्क्यापारेल्ली (14 मार्च 1835 - 4 जुलाई 1910) एक इतालवी खगोलज्ञ और वैज्ञानिक इतिहासकार थे। उन्होंने टुरिन विश्वविद्यालय और बर्लिन वेधशाला में अध्ययन किया था। 1859-1860 में उन्होंने पुलकोवो वेधशाला में काम किया और बाद में ब्रेरा वेधशाला में चालीस वर्षों से ऊपर काम किया। वे इटली साम्राज्य के सभासद भी थे, आकादेमिया दी लिंसी, द अकादेमिया डेल्ले स्सिएंज़े दी तोरिनो और द रेगियो इस्तिठुठो लोम्बर्दो के भी सदस्य थे और विशेष रूप से मंगल ग्रह के अपने अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। उनकी भतीजी, एल्सा स्क्यापारेल्ली, एक प्रसिद्ध फ़ैशनेबल वस्त्र-निर्माता बनी।
मंगल
स्क्यापारेल्ली के योगदानों में, मंगल ग्रह के बारे में उनका दूरबीनी अवलोकन भी शामिल है। अपने प्रारम्भिक अनुवीक्षण में उन्होंने मंगल के "समुद्रों" और "महाद्वीपों" को नाम दिया। 1877 में इस ग्रह की "महान विरोध" स्थिति के दौरान, उन्होंने मंगल की सतह पर रैखिक संरचनाओं के घने जाल देखे, जिसे उन्होंने इतालवी में "कनाली" कहा, जिसका अर्थ अंग्रेज़ी में "चैनल्स" था, लेकिन ग़लत अनुवाद से "कनाल्स" बन गया। यद्यपि द्वितीय शब्द कृत्रिम निर्माण को सूचित करता है, पूर्ववर्ती शब्द यह संकेतार्थ देता है कि यह भूमि का प्राकृतिक विन्यास भी हो सकता है। इस गलत अनुवाद से मंगल ग्रह पर जीवन के बारे में विभिन्न मान्यताएं पैदा हुईं, क्योंकि मंगल के "कनाल्स" (नहर) जल्द ही विख्यात हो गए, जिससे मंगल पर जीवन की संभावना के बारे में परिकल्पना, अटकलें और लोकगीत की लहरें उठीं। इन कृत्रिम नहरों (canals) के सबसे उत्कट समर्थकों में प्रसिद्ध अमेरिकी के खगोलज्ञ पेर्सिवल लोवेल थे, जिन्होंने अपना अधिकांश जीवन इस लाल ग्रह पर बुद्धिमान-जीवन के अस्तित्व को साबित करने में व्यतीत किया था। लेकिन बाद में इतालवी खगोलज विसन्ज़ो सरुल्ली के प्रेक्षण को उल्लेखनीय प्रशंसा करते हुए वैज्ञानिकों ने सुनिश्चित किया कि प्रसिद्ध चैनल्स वास्तव में मात्र दृष्टिभ्रम थे।
अपनी पुस्तक, लाइफ ऑन मार्स में स्क्यापारेल्ली लिखते हैं कि: "हम जिन सही चैनलों को जानते हैं, उनके बजाय हमें मिट्टी में ऐसे गर्तों की कल्पना करनी चाहिए, जो अधिक गहरे ना हों, हजारों मील सीधी दिशा में 100, 200 किलो मीटर या अधिक चौड़े हों। मैंने पहले ही बताया है कि मंगल ग्रह पर वर्षा के अभाव में, संभवतः ये चैनल ही प्रमुख रचना-तंत्र रहे हों जिनके द्वारा पानी (और उसके साथ कार्बनिक जीवन) ग्रह की शुष्क सतह पर फैल सकता है।"
खगोल विज्ञान और विज्ञान का इतिहास
सौर प्रणाली के पिंडों के पर्यवेक्षक के रूप में स्क्यापारेल्ली ने युग्म नक्षत्रों पर काम करते हुए, अप्रैल 26, 1861 को क्षुद्र ग्रह 69 हेस्पेरिया की खोज की और प्रदर्शित किया कि पेर्सीड्स और लेओनिड्स उल्कापात धूमकेतु से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, उन्होंने साबित किया कि लेओनिड्स उल्कापात का परिक्रमा-पथ, धूमकेतु टेम्पल-टटल से मेल खाता है। उनके इस प्रेक्षण ने खगोल वैज्ञानिकों की इस परिकल्पना में मुख्य भूमिका निभाई कि उल्कापात धूमकेतु के निशान हो सकते हैं, जो बाद में बहुत सटीक साबित हुआ।
स्क्यापारेल्ली शास्त्रीय खगोल विज्ञान के इतिहास के विद्वान थे। बाद के आधुनिक खगोलविदों से भिन्न, उन्होंने ही पहली बार यह समझा कि निडस तथा कैलिपस के यूडोक्सस के समकेन्द्री पिंडों को भौतिक पिंडों के रूप में नहीं लिया जाना हैं, बल्कि सिर्फ आधुनिक फ़ोरियर श्रृंखला के एल्गोरिथम के अंग के रूप में लिया जाना चाहिए।
सम्मान और पुरस्कार
पुरस्कार
- रॉयल एस्ट्रॉनॉमिकल सोसायटी का स्वर्ण पदक (1872)
- ब्रूस पदक (1902)
उनके नाम पर नामित
- ग्रहिका 4062 स्क्यापारेल्ली
- चंद्रमा पर स्क्यापारेल्ली क्रेटर
- मंगल ग्रह पर स्क्यापारेल्ली क्रेटर
चुनिंदा लेख
- 1873 - लि स्तेल्ले कादेन्त्ति (द फॉलिंग स्टार्स
- 1893 - ला विटा सुल पिआनेता मार्ते (लाइफ ऑन मार्स)
- 1925 - तीन खंडों में स्क्रित्ति सुल्ला स्तोरिया देल्ला अस्त्रोनोमिया एंतिका (रैटिंग्स ऑन द हिस्ट्री ऑफ़ क्लासिकल अस्ट्रॉनोमी) .बोलोग्ना. पुनर्मुद्रण: मिलानो, मिमेसिस, 1997.
सन्दर्भ
अतिरिक्त पठन
- "शिअपरेल्ली, गिओवान्नी वरजीनियो (1835-1910)" - की जीवनी https://web.archive.org/web/20100301105359/http://www.daviddarling.info/ से.
- श्रद्धांजलि: वेधशाला में जी. वी. स्क्यापारेल्ली, जे. जी. गाल, जे.बी.एन हेन्नेस्सेय जे कोल्स, जे.ई. गोर, खंड 33, पृ.311-318, अगस्त 1910
बाहरी कड़ियाँ
- साँचा:ws
- ले मनी सु मार्ट : अई दीअरी डी जी.वि. शिअपरेल्ली
- La Vita Sul Pianeta Marte ग्यूटेनबर्ग परियोजना पर
- जिओवानी स्क्यापारेल्ली
- शोक-समाचार