कच्चे धागे (1999 फ़िल्म)

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कच्चे धागे
चित्र:कच्चे धागे.jpg
कच्चे धागे का पोस्टर
निर्देशक मिलन लुथरिया
निर्माता रमेश तौरानी
कुमार तौरानी
लेखक संजय छेल
पटकथा अंजुम राजाबली
अभिनेता अजय देवगन,
सैफ़ अली ख़ान,
मनीषा कोइराला,
नम्रता शिरोडकर,
सदाशिव अमरापुरकर
संगीतकार नुसरत फतह अली खान
प्रदर्शन साँचा:nowrap 19 फरवरी, 1999
देश भारत
भाषा हिन्दी

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कच्चे धागे वर्ष 1999 की हिन्दी भाषा की एक्शन रोमांचकारी फिल्म हैं, जिसे मिलन लुथरिया ने निर्देशित किया है और अभिनय-भूमिका में अजय देवगन, सैफ अली खान और मनीषा कोइराला शामिल है। फिल्म की कहानी अनुसार, अजय एक तस्कर की भूमिका में हैं, जो राजस्थान-पाकिस्तान की सीमा पर सामानों को लाता-जाता है। फिल्म का फिल्मांकन राजस्थान के मरुस्थल क्षेत्रों और स्विट्जरलैंड में हुई हैं। फिल्म की प्रदर्शनी 10 फरवरी 1999 मुंबई में हुई।

हाँलाकि इसी नाम की फिल्म, 'कच्चे धागे' सत्तर के दशक 1973 में भी रिलिज हुई थी। राज खोसला फिल्म निर्देशक थे और अभिनय में विनोद खन्ना, मौसमी चटर्जी और कबीर बेदी शामिल थे। फिर भी फिल्म में जैकी चैन की अभिनीत 1987 की फिल्म 'आर्माॅर ऑफ गाॅड' से समानताएं पाई गई।

कहानी

आफताब (अजय देवगन) और धनंजय (सैफ अली खान) दो सौतेले भाई हैं जो संयोगवश पहली बार मिलते हैं। जिनमें दोनों के अपने-अपने निजी स्वार्थ है; आफताब, राजस्थान-पाकिस्तान की सीमा पर छोटी-मोटी तस्करी करने में माहिर है तो धनंजय शहर में काॅर्पेरेट संस्कृति की आलिशान जीवन बिताता हैं। आफताब अपनी प्रेमिका रुख़साना (मनीषा कोईराला) के साथ जीवन बिताना चाहता है, लेकिन रुख़साना का परिवार उसके अवैध धंधे में लिप्त होने के कारण यह संबंध नामंजूर करते हैं। धनंजय अपनी गर्लफ्रैंड रागिनी (नम्रता शिरोडकर के साथ डेटिंग करता हैं लेकिन अपने पिता की मौत के बाद उसके लिए नई परेशानी लाती हैं। जब दोनों भाईयों का सामना पहली बार होता हैं तो एक-दूसरें के व्यवहार और जीवनशैली में असमानता देख दोनों में तकरार हो जाती हैं।

एक रात, आफताब को एक माल लदे ट्रक को चोरी करने के लिए कुछ संदिग्ध लोग मजबूर करते हैं और जल्द ही आफताब से धनंजय को फंसाने को जबरन बाध्य किया जाता हैं, लेकिन कई लोगों के बनाए षड्यंत्रों में दोनों पर देशद्रोह और हत्या जैसे संगीन आरोप लगते हैं, और फिर दोनों को साथ में हथकड़ी लगाए सीमा सुरक्षाकर्मियों, सीबीआई और सीमावर्ती माफियाओं से खुद की uजान बचाने के लिए फरार होना पड़ता हैं। उन्हें कभी अपने पैरों, मोटरसाइकल, कार, चोरी की ट्रक और मालगाड़ी पर भागना पड़ता हैं, जिसमें आफताब स्टाफ वाली बोगी को मालगाड़ी से अलग करने का भी जोखिम उठाना पड़ता हैं। दोनों अपनी भिन्न परिस्थितियों से छुड़ाने के लिए एक साथ ना चाहते हुए भी भागना पड़ता हैं। अंततः अपनी शुरुआती असमानता की चिढ़ को साथ मुश्किलें झेलते हुए एक-दूसरे को समझने लगते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हुए अपने ऊपर लगे आरोपों को मिटाकर खुद को बेगुनाह साबित करते हैं।

फिल्म का चरम दृश्य कुलधारा नाम के जनहीन गांव में शुट किया गया है, जहां कभी ब्राह्मणों की बस्ती थी और आखिर में आफताब और धनंजय को अपने पिता की अस्थियों को जैसलमेर की रेगिस्तान में विसर्जित करते दिखाया जाता है।

कलाकार

संगीत

फिल्म के अधिकांश संगीत में लोकगीत और पंजाबी शैली का मिश्रण होने के बावजूद हिन्दी के साथ गैर-हिन्दी दर्शकों में भी काफी लोकप्रिय रहा।

सभी गीत आनन्द बक्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत नुसरत फतह अली खान[१] द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."बंद लिफाफा दिल मेरा"लता मंगेशकर, कुमार सानु4:26
2."दिल परदेसी हो गया"लता मंगेशकर, कुमार सानु6:09
3."एक जवानी तेरी एक जवानी मेरी"अलका याज्ञनिक, कुमार सानु6:06
4."इस शान-ए-करम" (क़व्वाली)नुसरत फतह अली खान6:41
5."खाली दिल नहीं"अलका याज्ञनिक, हंसराज हंस7:04
6."ऊपर खुदा आसमान नीचे"लता मंगेश्कर7:14
7."ऊपर खुदा आसमान नीचे"सुखविंदर सिंह8:15
8."प्यार नहीं करना"अलका याज्ञनिक, कुमार सानु5:26

परिणाम

फिल्म ने बाॅक्स-ऑफिस में ₹ 69,00,00,000 की कमाई कर अपनी व्यावसायिक सफलता से 'हिट' का खिताब घोषित किया गया। फिल्म ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और अभिनेता अजय देवगन की प्रभावपूर्ण अभिनय की भी खूब सराहना की गई।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ