ओमकारा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
ओमकारा
चित्र:ओमकारा-का-पोस्टर.jpg
ओमकारा का पोस्टर
निर्देशक विशाल भारद्वाज
निर्माता मन्गत कुमार
केतन मारू
नीलम पाठक
लेखक विशाल भारद्वाज
रोबिन भट्ट
अभिषेक चौबे
अभिनेता अजय देवगन
विवेक ओबरोय
सैफ़ अली ख़ान
करीना कपूर
कोनकोना सेन शर्मा
बिपाशा बसु
नसीरुद्दीन शाह
दीपक डोबरियाल
संगीतकार विशाल भारद्वाज
छायाकार तसादुक हु्सैन
संपादक मेघना मनचन्दा
वितरक बिग स्क्रीन एन्टर्टेनर
प्रदर्शन साँचा:nowrap जुलाई 28, 2006
देश भारत
भाषा हिन्दी

साँचा:italic title

ओमकारा (उर्दू: امکارا) वर्ष 2006 की अपराध-ड्रामा पर आधारित हिंदी भाषा की भारतीय फिल्म है, जिसे विशाल भारद्वाज ने निर्देशन एवं सह-लेखन किया है। फिल्म शेक्सपियर की कृति 'ओथेलो' का आधुनिक सिनेरूपांतरण है। मुख्य भूमिकाओं में अजय देवगन, सैफ अली खान, विवेक ओबराॅय एवं करीना कपूर के साथ सह-भूमिकाओं में नसीरुद्दीन शाह, कोंकणा सेन शर्मा और बिपाशा बसु सम्मिलित हैं। निर्देशक विशाल भारद्वाज ने संगीत निर्देशन के साथ फिल्म की पार्श्वसंगीत भी तैयार किया है, और गीत दिए है गुलजार ने। फिल्म की शुटआउट राज्य उत्तरप्रदेश के पश्चिमी प्रांत, मेरठ में की गई है। फिल्म को मारशे-ड्यु फिल्म सेक्शन के सहयोग से कांस फिल्म उत्सव में ट्रेलर प्रदर्शन के साथ फिल्म ओमकारा के निर्माण पर किताब का विमोचन भी हुआ। कायरो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव में पर्दापर्ण के साथ ही भारद्वाज को बतौर सिनेमा निर्देशक का उत्कृष्ट कलात्मक सेवादान से शोभित किया गया। कारा फिल्म उत्सव में फिल्म को तीन पुरस्कार मिले फिर एशियन फेस्टिवल के प्रथम फिल्म के साथ तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार एवं सात फिल्मफेयर पुरस्कार से भी विजयी हुई।

भारद्वाज के लोकप्रिय शेक्सपियर के नाट्य-कृतियों के देशी रूपांतरण में यह उनका दूसरा संस्करण है। इससे पूर्व विशाल ने वर्ष 2003 में 'मकबूल' और 2014 में 'हैदर' का भी बतौर निर्माण-निर्देशन किया जो क्रमशः 'मेकबैथ' एवं 'हेमलेट' पर आधारित था। भारद्वाज ने अन्य कृतियों जैसे लेखक रस्किन बाॅण्ड की दो किताब पर आधारित क्रमशः 'द ब्लू अंब्रेला' और 'सात खून माफ' का भी निर्माण किया।

सार

ओमकारा शुक्ला उर्फ ओमी (अजय देवगन) एक बाहुबली है, जो राजनीतिक हस्तक्षेप के लिए जाना जाता हैं। वह कई अवैध गुटों का मुखिया होता है जिसमें वह स्थानीय राजनेता तिवारी भाईसाब (नसीरुद्दीन शाह) जैसों की आपराधिक उद्देश्यों की पूर्ति करता हैं। ईश्वर त्यागी उर्फ लंगड़ा (सैफ अली खान) और केशव उपाध्याय उर्फ केशु फिरंगी (विवेक ओबराय) उसके नजदीकी सिपाहसलार की तरह रहते हैं।

फिल्म के आरंभिक दृश्य में लंगड़ा त्यागी एक बस से भरी बारात रोककर रज्जु (दीपक डोबरियाल) को अपनी शादी स्थगित करने या ओमी द्वारा डाॅली मिश्रा (करीना कपूर) की अगवाई को रोकने की चुनौती देता हैं। रज्जु अकेले गिरते-पड़ते ससुराल पहुंचकर ओमी द्वारा अगवाई की खबर करता है।

डाॅली के पिता वकील रघुनाथ मिश्रा (कमल तिवारी), जिसे सभी 'वकील साब' के नाम से जानते हैं, क्रोधावश अपने आदमियों के साथ ओमी के ठिकाने पहुँचते हैं। और ओमी के सर पे पिस्तौल तानते हुए डाॅली को छोड़ने की धमकी देते हैं। लेकिन ऐन क्षण में भाईसाब फोनकाॅल द्वारा दोनों के बीच तनाव तोड़ते हुए वर्तमान की राजनीतिक स्थिति का हवाला देकर खून-खराबा रोकने को कहते हैं। अगले दिन रघुनाथ अपनी बेटी को छुड़ाने के लिए भाईसाब पर दबाव बनाते हैं। लेकिन असल मुद्दा डाॅली के अपने पिता के समक्ष ही खुलता हैं जब डाॅली स्वेच्छा से ओमी को स्वीकारती है और उसके जबरन अगवाई की बात झुठी ठहराते है। और इस निर्णय के कारणों की घटना एक-एक कर वजह बताती हैं। इस बात से डाॅली के पिता शर्मिन्दगी और विश्वासघात से टुट जाते है। यहां निर्देशक कथानक में मोड़ डालने के लिए मूल रचना 'ओथेलो' का ही जिक्र करते है, जहां डाॅली के पिता ओमी को समझाते हैं 'बाहुबली ! औरत के त्रिचरित्र को मत भूलना। जो अपने बाप को ठग सकती है वह और की सगी क्या होगी ?

ओमी अब राजनीतिक षड्यंत्रों के बीच दूसरे प्रतिद्वंद्वी जैसे इंदौर सिंह और सुरेंद्र कप्तान को चुनाव में भाग लेने से रोकने के लिए एमएमएस सेक्स स्केंडेल जैसे हथकंडे अपनाने या उन्हें ही मिटाने का काम करता हैं। भाईसाब अब निर्विरोध रूप से लोकसभा के सांसद बन जाते हैं तथा ओमी को आगामी लोक चुनाव में नये प्रत्याशी के रूप में चुना जाता हैं। और फिर पार्टी के नए 'बाहुबली' के रिक्त पद के लिए ओमी तब लंगड़ा के तमाम राजनीतिक गतिविधियों के अनूभव के बावजूद केशु को नया दावेदार घोषित करता हैं। ओमी के शुष्क फैसले से लंगड़ा स्वयं को अपमानित महसूस करने साथ केशु से ईर्ष्या कर बैठता है क्योंकि उसके अनुसार केशु अनुभवहीन के साथ गैरजिम्मेदार भी हैं चाहे वह शिक्षित और युवावर्ग में लोकप्रिय ही क्यों ना हो। इस अपमान का बदला लेने के लिए वह केशु को शुभकामनाएँ देने के बहाने शराब पीने को फुसलाता है, जिसके नशे से केशु उन्मादी होकर रज्जु और मेहमानों से झगड़ पड़ता है। केशु की करतूत ओमी को मालूम पड़ जाती है जिससे ओमी को अपने हरेक फैसले पर संदेह होने लगता हैं। यहां लंगड़ा एक हाथ से केशु को डाॅली की पुरानी दोस्ती के नाते ओमी से सुलह करवाने को कहता है तो दुजे हाथ वह ओमी को डाॅली और केशु के बीच संदिग्ध रिश्ते की मनगढंत कहानी सुनाता है। इसी बीच ओमी की ओर से मिले तोहफे 'कमरबंद' को डाॅली अंजाने में गुम कर देती है जिसे इंदु अपने यहां छुपा लेती है। लंगड़ा को जब यह बात मालूम होती है तो वह इसी कमरबंद के जरिए कईयों के मन में विश्वास-अविश्वास के घेरे में डाल देता हैं।

इस बीच तिवारी भाईसाहब पर किचलु (पंकज त्रिपाठी) द्वारा प्राणधातक हमला होता है, जो उसी के विरोधी इंदौर सिंह का आदमी है। ओमी बदला लेने की ठानता हैं, तो लंगड़ा अब वही कमरबंद केशु को बिल्लो चमनबहार (बिपाशा बसु) के जरिए किचलु को ढुंढ़ निकालने और उसे मारकर ओमी से शाबाशी पाने की युक्ति देता है। लेकिन यहां भी हालात केशु के प्रति विपरीत्त ही रहते हैं क्योंकि लंगड़ा यह कहकर ओमी को बरगलाता है कि डाॅली का पहना कमरबंद केशु की माशुका बिल्लो के यहां कैसे पहुँचा ? क्या डाॅली ने जानबूझकर कमरबंद केशु को सौंपी थी ? ओमी खिन्नता से घर आकर डाॅली से सवाल करता है पर उसे स्वंय ज्ञात नहीं पड़ता कि ओमी उसके साथ रुष्ठ व्यवहार क्यों कर रहा है ? ब्याह के कुछ रोज पहले तक ओमी और डाॅली का प्रेम क्षीण पड़ते देख, इंदु ओमी के आशंकित मन को भांपते हुए शादी को रोकने और डाॅली को खुद संभालने का ताना देती है। इस बीच ओमी को लंगड़ा साथ भाईसाहब की ओर से इंदौर सिंह को मारने का आदेश मिलता है, काम को अंजाम देने बाद ओमी वहीं लंगड़ा को पीटते हुए कहता है कि वह डाॅली और केशु के बीच संदिग्धता का प्रमाण दे अन्यथा मामला झुठा साबित होने पर अपनी जान गँवाएं।

शादी की रात ओमी की सभी गलतफहमी को लंगड़ा अपनी कुचालों से पुष्टि कर देता है कि डाॅली और केशु के बीच वाकई अवैध रिश्ते हैं। ओमी इस झुठी बेवफाई से गुस्साये अपनी ही सुहागरात में बड़ी क्रुरता से डाॅली को मार देता हैं तो वहीं लंगड़ा अपनी बंदूक से ओमी के आदेश पर केशु को गोली मार देता हैं। धमाके के आवाज से डरी हूई इंदु ओमी के कमरे घुस डाॅली को मृत पाकर हैरान पड़ जाती है। पर वहीं मौजुद कमरबंद को पहचान इंदु कहती है की यह तो उसने चुराया था।

अब दोनों को समझ आती हैं कि इन सभी के जिम्मवारी का कारण लंगड़ा ही हैं जिसने अपने कुटील चालों में सबको गुमराह रखा। विश्वासधात्त और तबाही से गुस्साई इंदु अपने पति लंगड़ा की गर्दन दौली से काट देती है तो वहीं खुद को ठगा और लाचार ओमी, घायल केशु के पहुंचते ही खुद को गोली मार आत्महत्या करता है। अंतिम दृशय में असहाय केशु झुले झुलते निष्प्राण डाॅली और नीचे पड़े मृत ओमी को देखता है।

चरित्र

शूटिंग की जगह

मुख्य कलाकार

दल

संगीत

फिल्म का संगीत निर्देशन विशाल भारद्वाज दिया है एवं गीत गुलजार ने लिखे हैं।

गीतों की सूची

रोचक तथ्य

परिणाम

'ओमकारा' ने भारतीय बाॅक्स-ऑफिस में आशाजनक सफलतापूर्वक व्यावसायिक एवं समीक्षक रूप में सराहनीय रही। तो वैश्विक रिलीज पर फिल्म ने कुल $16,466,144 अर्जित किए। बावजूद फिल्म की स्याह परिदृश्य और कठोर संवाद पारिवारिक दर्शकों के लिए से काफी असहज बताया गया। लिहाजा 'ओमकारा' युनाइटेड किंगडम के दस श्रेष्ठ फिल्मों की श्रेणी में चुनी गई और ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका एवं संयुक्त राष्ट्र में काफी बेहतरीन रूप से प्रदर्शित हुई। 'ओमकारा' अपने चुस्त पटकथा, बेहतरीन ड्रामा संयोजन और शीर्ष अदाकारों के साथ अजय देवगन और करीना कपूर की यह अब तक की सबसे उत्कृष्ट फिल्मों में गिनी गयी है। निर्देशक विशाल भारद्वाज का कहना था कि लंगड़ा त्यागी की मुख्य नकारात्मक भूमिका के लिये अभिनेता आमिर खान पहली पसंदीदा चयन थे, पर अंततः अभिनेता सैफ अली खान ने इस खल भूमिका को अपने दमदार अदायगी से जीवंत कर दिया, वहीं अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा को भी सराहनीय अदाकारी की प्रशंसा करते राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।

कमाई

देश संग्रहण समय सीमा
भारत $१४,७००,००० ३१ दिसम्बर २००६ तक
संयुक्त राज्य अमेरिका $१,२४४,५७६ ३१ दिसम्बर २००६ तक
यूनाइटेड किंगडम $ ५२१,५६८ २७ अगस्त २००६ तक
कुल $१६,४६६,१४४ ३१ दिसम्बर २००६ तक

समीक्षायें

नामान्करण और पुरस्कार

फिल्मफेअर पुरस्कार

स्टार स्क्रीन पुरस्कार

स्टारडस्ट पुरस्कार

स्पोर्ट्स वर्ल्ड पुरस्कार

ग्लोबल भारतीय फिल्म पुरस्कार

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ