उत्तर भारत बाढ़ २०१३
17 जून 2013 को नासा के उपग्रह द्वारा लिया गया उत्तर भारत का चित्र जिसमें बादल प्रदर्शित हैं जो विनाश का कारण बने। | |
स्थान |
साँचा:flagicon भारत (उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश) साँचा:flagicon नेपाल (सूदूर-पश्चिमांचल विकास क्षेत्र, नेपाल |
---|---|
मृत्यु | 5000 (24 जून 2013 तक)[१] |
संपत्ति हानि | 365 घर उजड़े, 275 घरों को आंशिक क्षति पहुंची (उत्तराखण्ड में)[२] |
जून 2013 में, उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गयी।[३] इससे प्रभावित अन्य राज्य हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश हैं। बाढ़ के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ और बहुत से लोग बाढ़ में बह गए और हजारों लोग बेघर हो गये। As of 24 June 2013[update] इस भयानक आपदा में 5000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं,[१][४][५][६][७]
उत्पत्ति
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य अपेक्षाकृत दूरस्थ और वन, पर्वत श्रेणियों तथा बर्फ से ढके चोटियों से भरे हुए हैं। यहाँ कई तीर्थ स्थलों के साथ-साथ देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण हेतु प्राकृतिक दृश्य विद्यमान है। 17 जून 2013 को उत्तराखंड राज्य में हुयी अचानक मूसलधार वर्षा 340 मिलीमीटर दर्ज की गयी जो सामान्य बेंचमार्क 65.9 मिमी से 375 प्रतिशत ज्यादा थी जिसके कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुयी।[८]इसी दौरान अचानक उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद असिगंगा और भागीरथी में जल स्तर बढ़ गया। वहीं लगातार होती रही बारिश की वजह से गंगा और यमुना का जल स्तर भी तेजी से बढ़ा। कुमाऊं हो या गढ़वाल मंडल, बारिश हर जगह बेतरह होती रही।[९]हरिद्वार में भी गंगा खतरे के निशान के करीब पहुंच गई जिसके चलते गंगा तट पर बसे सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। नतीजा जनजीवन ठहर सा गया। हिमाचल प्रदेश यद्यपि उत्तराखंड का पड़ोसी राज्य है इसलिए इसका व्यापक प्रभाव वहाँ देखा गया। गर्मियों के दौरान बर्फ पिघलने से जून के महीने में अमूमन यहाँ का मौसम नम होता है, किन्तु व्यापक आपदा की स्थिति से मौसम विभाग का पूर्वानुमान ही सुरक्षा कवच बन सकता था। भारी बारिश के बारे में सरकारी एजेंसियों और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा पहले से व्यापक प्रचार नहीं दिया गया। इस वजह से हजारों लोगों के जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ।
जान-माल का नुकसान
बाढ़ के कारण भूस्खलन होने लगा, जिससे सैकड़ों घर उजड़ गये और फंसे हुये हजारों लोगों को सुरक्षित पहुंचाया गया।[१०]क़ुदरत का क़हर सबसे ज़्यादा पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बरपा हुआ। सबसे ज़्यादा तबाही रूद्रप्रयाग ज़िले में स्थित शिव की नगरी केदारनाथ में हुई। केदारनाथ मंदिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद तो सुरक्षित है लेकिन प्रवेश द्वार और आस-पास के सारे इलाक़े या तो बह गए हैं या पूरी तरह तबाह हो गए हैं।[११] उत्तराखंड के केदारनाथ, रामबाड़ा, सोनप्रयाग, चंद्रापुरी और गौरीकुंड में भारी नुकसान हुआ है। कुमाऊँ मंडल में पिथौरागढ़ ज़िला सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है। सैकड़ों गाँव वाढ में बह गए हैं। उत्तराखंड में हुयी बारिश का असर उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में भी पड़ा जहां से 15 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की ख़बर है।[१२] पानी छोड़े जाने के कारण यमुना नदी से लगे हरियाणा के करनाल, पानीपत, सोनीपत और फरीदाबाद में भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी। इसी बीच उत्तरप्रदेश में शारदा नदी पालिया कलां में खतरे के निशान को पार कर गई और बहराइच जिले में महसी क्षेत्र में 44 गांव के लोगों को दूसरी जगह ले जाने के निर्देश दिये गए।[१३]
केदारनाथ मन्दिर
चारधाम में से एक और भारत के प्रसिद्ध शिव मन्दिरों में से एक केदारनाथ मन्दिर भारी बारिश के कारण मलबे और कीचड़ से क्षतिग्रस्थ हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप मंदिर की दीवारें गिर गई और बाढ़ में बह गयी।[१४] केदारनाथ उत्तराखण्ड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह स्थान समुद्रतल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर हिमालय पर्वत के गढ़वाल क्षेत्र में आता है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में उल्लिखित बारह ज्योतिर्लिंगों में से सबसे ऊँचा ज्योतिर्लिंग यहीं पर स्थित है। चतुर्भुजाकार आधार पर पत्थर की बड़ी-बड़ी पट्टिओं से बनाया गया यह मन्दिर करीब 1000 वर्ष पुराना है और इसमें गर्भगृह की ओर ले जाती सीढ़ियों पर पाली भाषा के शिलालेख भी लिखे हैं। केदारनाथ मन्दिर गर्मियों के दौरान केवल 6 महीने के लिये खुला रहता है जो प्रसिद्ध हिन्दू संत आदि शंकराचार्य को देश भर में अद्वैत वेदान्त के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये जाना जाता है। यह स्थान एक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी है।[१५] इस ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित है लेकिन मंदिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का इलाका पूरी तरह तबाह हो चुका है।[१६] इस आपदा ने केदारनाथ धाम यात्रा के प्रमुख पड़ाव रामबाड़ा का नामोनिशान ही मिटा दिया।[१७][१८] इस तरह पूरा केदारनाथ धाम मलबे से पट गया है। धाम में मुख्य मंदिर के गुंबद के अलावा कुछ नहीं बचा है। केदरानाथ धाम के पास बने होटल, बाजार, दस-दस फीट चौड़ी सड़कें, विश्राम स्थल सब मलबे से पट गए हैं।पत्थर और चट्टानें से पूरे धाम में फैल गई। इससे पहले उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा में आई बाढ़ से शिव की मूर्ति बह गई थी।[१९]
अन्य प्रभावित क्षेत्र
नेपाल में बाढ़
नेपाल के धौली गंगा और महाकाली नदियों में आई बाढ़ के कारण इस क्षेत्र में भी व्यापक नुकसान हुआ है।[२०] एक रिपोर्ट के अनुसार 128 घरों और 13 सरकारी कार्यालयों के बहने तथा 1000 से अधिक लोगों के बेघर होने की खबर है।[२१][२२]
राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश
दिल्ली, गुड़गांव और आसपास के क्षेत्रों में, 16 जून 2013 को वारिश ने उच्चत्तम संकेत सूत्र को लांघा,[२३] साथ ही यमुना नदी के निचले इलाकों में बाढ़ के लिए अग्रणी क्षेत्रों में जल प्रवाह 207.75 मीटर से ऊपर जा पहुंचा था, जो एक नया रेकॉर्ड है।[२४][२५]
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के 23 जिलों में 5 लाख की आबादी को शामिल करते हुए 600 गाँव बाढ़ से प्रभावित हुये हैं और 22 जून 2013 तक प्राप्त सूचना के अनुसार राज्य में 44 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है।[२६]
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में बाढ़ से जीवन और संपत्ति का काफी नुकसान हुआ है और मरने वालों की संख्या 20 से ज्यादा बताई जा रही है।[२७]
बचाव कार्य
साँचा:see also सेना, आईटीबीपी, बीएसएफ, एनडीआरएफ, लोक निर्माण विभाग और स्थानीय प्रशासन बचाव कार्य के लिए मिलकर एक साथ काम किया। कई हजार सैनिकों को बचाव अभियान के लिए तैनात किया गया।[२८] राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य महत्वपूर्ण सड़कों पर आगे ट्रैफिक जाम से बचने के लिए वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गयी। लोगों को बचाने के लिए हेलीकाप्टर का प्रयोग किया गया, लेकिन पहाड़ी इलाके होने के कारण भारी कोहरे और बारिश के बीच उनके लिए कार्य करना बेहद चुनौती भरा कार्य था। 10,000 से अधिक सैनिकों और भारतीय वायुसेना के कई विमानों की मदद से स्थिति पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया गया।[२९]
आर्थिक सहायता
भारत के प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड राज्य के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और ₹१,००० करोड़ (US$१३१.२३ मिलियन) की आर्थिक सहायता पैकेज की घोषणा राज्य में आपदा राहत प्रयासों के लिए की।[३०] उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड के लिए ₹२५ करोड़ (US$३.२८ मिलियन) की वित्तीय सहायता की घोषणा।[३१]हरियाणा सरकार[३२], महाराष्ट्र सरकार[३३] और दिल्ली सरकार ने ₹१० करोड़ (US$१.३१ मिलियन) और मध्य प्रदेश सरकार तथा छत्तीसगढ़ सरकार ने भी ₹५ करोड़ (US$०.६६ मिलियन) की वित्तीय सहायता की घोषणा की। इसके अलावा गुजरात सरकार ने भी ₹२ करोड़ (US$२,६२,४६८.९६) की वित्तीय सहायता की घोषणा की।[३४]इसके अलावा कांगे्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के सांसदों व विधायकों से एक माह का वेतन दान करने की अपील की। उन्हें सांसद स्थानीय विकास निधि से ₹10 लाख (US$१३,१००) भी देने को कहा।[३५]
अंतराष्ट्रीय सहयोग के अंतर्गत 23 जून 2013 को भारत के अमेरिकी राजदूत नैन्सी जो पॉवेल के द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों को अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका एजेंसी (USAID) के माध्यम से अमरीकी डॉलर 1,50,000 की वित्तीय सहायता की घोषणा की गयी।[३६]
भारत सरकार ने कैलाश मानसरोवर यात्रा[३७] के साथ-साथ गंगोत्री सहित लोकप्रिय चार धाम की तीर्थ यात्रा को दो वर्षों के लिए रद्द कर दिया। सरकार ने कहा कि "यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की क्षतिग्रस्त सड़कों और बुनियादी ढांचे को ठीक करने के लिए समय की जरूरत महसूस की जा रही है।"[३८]
पर्यावरणीय मुद्दे
उत्तराखंड राज्य में हुये इस अभूतपूर्व विनाश के लिए वैसे तो भारी वर्षा को जिम्मेदार ठहराया गया था, किन्तु पर्यावरणविदों द्वारा, अपर संपत्ति और व्यापक जन-जीवन के नुकसान के लिए हाल के दशकों में किए अवैज्ञानिक विकासात्मक गतिविधियां, बेतरतीब शैली में निर्मित सड़क, राज्य के जलाशय और नदियों के नाजुक किनारों और 70 से अधिक जल विद्युत परियोजनाओं पर निर्मित नए रिसॉर्ट और होटलों जिम्मेदार ठहराया गया है। उल्लेखनीय है, कि कुछ पर्यावरणविदों द्वारा इस आपदा के कारण को जानने के लिए विश्लेषक टीम का नेतृत्व किया। उन्होने पर्यावरण विशेषज्ञों की मदद से सुरंगों का निर्माण किया और 70 जल विद्युत परियोजनाओं के लिए किए गए विस्फोटों के पारिस्थितिक असंतुलन की सूचना दी और कहा कि इससे नदी के पानी का प्रवाह सीमित हो गया है, जिससे भूस्खलन और अधिक बाढ़ का खतरा लगातार बना हुआ है, जिसपर समय रहते नियंत्रण आवश्यक है।[३९]
सन्दर्भ
अन्य सूत्र
- चित्र माला, दि इंडियन एक्सप्रेस
- अलकनंदा नदी के किनारे लोगों को सुरक्षा देने की कोशिश में सुरक्षा बलों ने उन्हें कतार में खड़ा कर रखा है, बीबीसी हिन्दी
- ↑ अ आ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite newsसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news