इस्लाम में तलाक़

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

इस्लाम धर्म में,विवाह, जिसे निकाह कहा जाता हैं एक पुरूष और एक स्त्री की अपनी आज़ाद मर्ज़ी से एक दूसरें के साथ पति और पत्नी के रूप में रहने का फ़ैसला ज़िम्मेदारियों को उठाने की शपथ ले, एक निश्चित रकम जो आपसी बातचीत से तय हो, मेहर के रूप में औरत को दे और इस नये सम्बन्ध की समाज में घोषणा हो जाये। इसके बिना किसी मर्द और औरत का साथ रहना और यौन सम्बन्ध स्थापित करना गलत, बल्कि एक बड़ा अपराध हैं।

प्रक्रिया

कुछ आधुनिक शिक्षा से प्रभावित व्यक्तियों का दावा है कि क़ुरआन में तलाक़ को न करने लायक़ काम का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि इसको ख़ूब कठिन बनाया गया है। तलाक़ देने की एक विस्तृत प्रक्रिया दर्शाई गई है। परिवार में बातचीत, पति-पत्नी के बीच संवाद और सुलह पर जोर दिया गया है। पवित्र कुरान में कहा गया है कि जहाँ तक संभव हो, तलाक़ न दिया जाए और यदि तलाक़ देना ज़रूरी और अनिवार्य हो जाए तो कम से कम यह प्रक्रिया न्यायिक हो[१]

इसके चलते पवित्र क़ुरआन में दोनों पक्षों से बात-चीत या सुलह का प्रयास किए बिना दिए गए तलाक़ का जिक्र कहीं भी नहीं मिलता। इसी तरह पवित्र क़ुरआन में तलाक़ प्रक्रिया की समय अवधि भी स्पष्ट रूप से बताई गई है। एक ही क्षण में तलाक़ का सवाल ही नहीं उठता। खत लिखकर, टेलीफ़ोन पर या आधुनिकाल में ईमेल, एस एम एस अथवा वॉट्सऍप के माध्यम से एक-तरफा और ज़ुबानी या अनौपचारिक रूप से लिखित तलाक़ की इजाज़त इस्लाम कतई नहीं देता। एक बैठक में या एक ही वक्त में तलाक़ दे देना गैर-इस्लामी है।[२] ऐसा किया जाना मिस्र तथा कई अन्य मुस्लिम देशों में अवैध है।

तीन तलाक़ (तलाक़-ए-बिद्दत)

तलाक़ ए बिद्दत (ट्रिपल तलाक़) के तहत जब एक व्यक्ति अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक़ बोल देता है या फ़ोन, मेल, मैसेज या पत्र के ज़रिए तीन तलाक़ दे देता है तो इसके बाद तुरंत तलाक़ हो जाता है।[३] इसे निरस्त नहीं किया जा सकता। ट्रिपल तालक़, जिसे तलाक़-ए-बिद्दात, तत्काल तलाक़ और तालक़-ए-मुघलाजाह (अविचल तलाक़) के रूप में भी जाना जाता है, इस्लामी तलाक़ का एक रूप है जिसे भारत में मुसलमानों द्वारा इस्तेमाल किया गया है, विशेषकर हनफ़ी पन्थ के अनुयायी न्यायशास्र के सुन्नी इस्लामी स्कूल।[४][५]

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने 365 पेज के फ़ैसले में कहा, ‘3:2 के बहुमत से दर्ज की गई अलग-अलग राय के मद्देनजर‘तलाक़-ए-बिद्दत’’ तीन तलाक़ को निरस्त किया जाता है।[६]

मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017

अगस्त 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से देश में ट्रिपल तलाक़ के कम से कम 100 मामलों सामने आने के बाद भाजपा सरकार ने बिल तैयार किए 28 दिसंबर 2017 को, लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को पारित कर दिया।[७] बिल किसी भी रूप में तत्काल ट्रिपल तलाक़ (तलाक़-ए-बिदाह) लिखता है - लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप को अवैध और शून्य के रूप में, पति के लिए जेल में तीन साल तक। आरजेडी, एआईएमआईएम, बीजेडी, एआईएडीएमके और एआईएमएम के सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया, इसे प्रकृति में मनमानी और दोषपूर्ण प्रस्ताव दिया, जबकि कांग्रेस ने लोकसभा में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पेश किया विधेयक का समर्थन किया।[८][९] विधेयक पर विपक्षी सदस्य 19 संशोधन प्रस्ताव लेकर आए थे, लेकिन सदन ने सभी को ख़ारिज कर दिया। तीन संशोधनों पर वोटिंग की मांग की गई और वोटिंग होने के बाद स्पीकर सुमित्रा महाजन ने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि ये ख़ारिज हो गए हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. https://c.mp.ucweb.com/detail/ba9bc74259174ae08168fde1ae52183a?uc_param_str=dnvebichfrmintcpwidsudsvnwpflameefut&set_lang=englishसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  4. साँचा:cite web
  5. साँचा:cite web
  6. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  7. साँचा:cite web
  8. साँचा:cite web
  9. साँचा:cite web