अस्र की नमाज़

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

अस्र की नमाज़ (इंग्लिश:Asr Prayer) इस्लाम की पांच अनिवार्य दैनिक प्रार्थनाओं (नमाज़ों) में तीसरी शाम को सूर्यास्त से पहले पढ़ी जाने वाली नमाज़ है।[१]

क़ुरआन और हदीस में अस्र की नमाज का समय

  • निस्संदेह ईमानवालों पर समय की पाबन्दी के साथ नमाज़ पढना अनिवार्य है (क़ुरआन 4:103) 
  • अतः अब अल्लाह की तसबीह करो, जबकि तुम शाम करो और जब सुबह करो। (क़ुरआन 30:17)
  • अस्र की नमाज़ का वक़्त उस समय तक है जब तक कि सूर्य पीला न हो जाये (सही मुस्लिम , हदीस संख्या : 612
  •  "जिस ने सूरज डूबने से पहले अस्र की एक रक्अत पा ली तो उस ने अस्र की नमाज़ पा ली।" इसे बुखारी (हदीस संख्या: 579) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 608) ने रिवायत किया है।

तैयारी के लिए अज़ान लगभग 15 मिनट पहले दी जाती है।

तहज्जुद के अतिरिक्त पाँचों वक़्त की नमाज़ों का समय[२] और रहनुमाई भी क़ुरआन और हदीस में मिलती है।

रकात

अस्र (असर) की नमाज अर्थात शाम की प्रार्थना में 8 रकात होती हैं।

*4 रकात सुन्नत (गेर मौक़ीदा)

*4 रकात फ़र्ज़

सुन्नत मौकीदा : इस्लामिक शरीयत में, सुन्नत वह प्रथा है जो पैगंबर या पैगंबर के साथियों ने आम तौर पर और अक्सर की और उसके करने को मना न किया हो। इस का रित्याग का कारण पाप है और परित्याग की आदत अवज्ञा है नफिल: इस्लाम में पैग़म्बर मुहम्मद ने कभी कभी जो इबादत की उसे नफिल कहते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. साँचा:cite web