अल्फ़ा परसई तारा
अल्फ़ा परसई जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (α Per या α Persei) दर्ज है, आकाश में ययाति तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३६वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे ५९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८२ है।[१] यह एक पीला-सफ़ेद महादानव तारा है। इसके इर्द-गिर्द और भी कई तारों का खुला तारागुच्छ है जिसे "अल्फ़ा परसई तारागुच्छ" कहा जाता है।
अन्य भाषाओं में
अल्फ़ा परसई के दो अन्य नाम भी हैं जिनका स्रोत अरबी भाषा है। पहला नाम मिर्फ़क (Mirphak, مرفق) है, जिसका अरबी में अर्थ "(भुजा की) कोहनी" होता है। दूसरा नाम अल-जनिब (Algenib, الجانب) है, जिसका अर्थ "तरफ़" होता है (यह शब्द हिन्दी में भी "जानिब" के रूप में प्रचलित है)। अमेरिका के हवाई द्वीपसमूह में बोली जाने वाली भाषा में इसे हिनाली'ई (Hinali'i) कहा जाता है। हवाई की धर्म-कथाओं में हिनाली'ई भू और आकाश के अलगाव का वह केंद्र था जो क्षीरमार्ग (हमारी आकाशगंगा) के निर्माण में बन गया।
वर्णन
अल्फ़ा परसई एक F5 Ib श्रेणी का महादानव तारा है। इसकी अंदरूनी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की ५,००० गुना है। इसका व्यास हमारे सूरज के व्यास का ५६ गुना और इसका द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान का ११ गुना है। यह अंतरिक्ष के जिस क्षेत्र में स्थित है उसमें बहुत से "सॅफ़ॅई परिवर्ती" प्रकार के परिवर्ती तारे स्थित हैं हालांकि यह स्वयं ऐसा तारा नहीं है। इसलिए अल्फ़ा परसई से तुलना करके इसके निकटवर्ती सॅफ़ॅई परिवर्ती तारों की बहुत-सी विशेषताओं पर अनुसंधान किया गया है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ The Practical Astronomer, Will Gater and Anton Vamplew, Penguin, 2010, ISBN 978-0-7566-6210-3.