अरयण्कपर्व

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

महाभारत के वन पर्व के अन्तर्गत २२ उपपर्व और ३१५ अध्याय हैं।

पर्व शीर्षक उप-पर्व संख्या उप-पर्व सुची अध्याय एवम श्लोक संख्या विषय-सूची
अरयण्कपर्व २९-५०
साँचा:main other
  • अरण्य पर्व
  • किर्मीरवध पर्व
  • अर्जुनाभिगमन पर्व
  • कैरात पर्व
  • इन्द्रलोकाभिगमन पर्व
  • नलोपाख्यान पर्व
  • तीर्थयात्रा पर्व
  • जटासुरवध पर्व
  • यक्षयुद्ध पर्व
  • निवातकवचयुद्ध पर्व
  • अजगरपर्व
  • मार्कण्डेयसमस्या पर्व
  • द्रौपदीसत्यभामा पर्व
  • घोषयात्रा पर्व
  • मृगस्वप्नोद्भव पर्व
  • ब्रीहिद्रौणिक पर्व
  • द्रौपदीहरण पर्व
  • जयद्रथविमोक्ष पर्व
  • रामोपाख्यान पर्व
  • पतिव्रतामाहात्म्य पर्व
  • कुण्डलाहरण पर्व
  • आरणेय पर्व।
२६९/११६६४

वन पर्व में पाण्डवों का वनवास, युधिष्ठिर द्वारा भगवान सूर्य से अक्षय पात्र की प्राप्ति, भीम द्वारा किर्मीर का वध, सौभविमान के स्वामी शाल्व का कृष्ण द्वारा वध, पाण्डवों की इस दशा का पता चलने पर श्रीकृष्ण का पाण्डवों से मिलना, पाण्डवों का द्वैतवन में जाना, द्रौपदी और भीम द्वारा युधिष्ठिर को उत्साहित करना, इन्द्रकीलपर्वत पर अर्जुन की तपस्या, अर्जुन का किरातवेशधारी शंकर से युद्ध, पाशुपतास्त्र की प्राप्ति, अर्जुन का इन्द्रलोक में जाना, नल-दमयन्ती-आख्यान, नाना तीर्थों की महिमा और युधिष्ठिर की तीर्थयात्रा, सौगन्धिक कमल-आहरण, जटासुर-वध, यक्षों से युद्ध, पाण्डवों की अर्जुन विषयक चिन्ता, निवातकवचों के साथ अर्जुन का युद्ध और निवातकवचसंहार, अजगररूपधारी नहुष द्वारा भीम को पकड़ना, युधिष्टिर से वार्तालाप के कारण नहुष की सर्पयोनि से मुक्ति, पाण्डवों का काम्यकवन में निवास और मार्कण्डेय ॠषि से संवाद, द्रौपदी का सत्यभामा से संवाद, घोषयात्रा के बहाने दुर्योधन आदि का द्वैतवन में जाना, गन्धर्वों द्वारा कौरवों से युद्ध करके उन्हें पराजित कर बन्दी बनाना, पाण्डवों द्वारा गन्धर्वों को हटाकर दुर्योधनादि को छुड़ाना, दुर्योधन की ग्लानी, जयद्रथ द्वारा द्रौपदी का हरण, भीम द्वारा जयद्रथ को बन्दी बनाना और युधिष्ठिर द्वारा छुड़ा देना, रामोपाख्यान, पतिव्रता की महिमा, सावित्री सत्यवान की कथा, दुर्वासा की कुन्ती द्वारा सेवा और उनसे वर प्राप्ति, इन्द्र द्वारा कर्ण से कवच-कुण्डल लेना, यक्ष-युधिष्ठिर-संवाद और अन्त में अज्ञातवास के लिए परामर्श का वर्णन है।

Krishna meets with King Yudisthira; Geruda Arrives to Transport Krishna and His Companions, the Ladies Kunti and Subhadra," watercolor and gold on a page from a dispersed Persian "Razmnama (Book of Wars)" manuscript, dated 1616-1617.

बाहरी कडियाँ

साँचा:navbox