द्वैतवन
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द्वैतवन
- महाभारत में वर्णित वन जहाँ पांडवों ने वनवास काल का एक अंश व्यतीत किया था। यह वन सरस्वती नदी के तट पर स्थित था
- भोगवती नदी सरस्वती ही का एक नाम है।
- भारवी के किरातार्जुनीयम् में भी द्वैतवन का उल्लेख है[१]।
- महाभारत सभा पर्व में द्वैतवन नाम के सरोवर का भी वर्णन है[२]।
- कुछ विद्वानों के अनुसार ज़िला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित देवबंद ही महाभारत कालीन द्वैतवन है। संभव है प्राचीन काल में सरस्वती नदी का मार्ग देवबंद के पास से ही रहा हो।
- शतपथ ब्राह्मण[३] में द्वैतवन नामक राजा को मत्स्य-नरेश कहा गया है। इस ब्राह्मण ग्रंथ की गाथा के अनुसार इसने 12 अश्वों से अश्वमेध यज्ञ किया था जिससे द्वैतवन नामक सरोवर का यह नाम हुआ था। इस यज्ञ को सरस्वती तट पर संपन्न हुआ बताया गया है। इस उल्लेख के आधार पर द्वैतवन सरोवर की स्थिति मत्स्य अलवर, जयपुर, भरतपुर के क्षेत्र में माननी पड़ेगी। द्वैतवन नामक वन भी सरोवर के निकट ही स्थित होगा।
- मीमांसा के रचयिता जैमिनी का जन्मस्थान द्वैतवन ही बताया जाता है।