अग्नि-6

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अग्नि-6
Agni-VI
प्रकार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल(ICBM)
उत्पत्ति का मूल स्थान साँचा:flag/core
उत्पादन इतिहास
डिज़ाइनर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ)
निर्माता भारत डायनामिक्स लिमिटेड
निर्दिष्टीकरण
वजन 55,000[१] - 70,000 किलोग्राम[२][३]
लंबाई 20[२][३] - 40.00 मीटर[१]
व्यास 2 मीटर[२]

वारहेड नाभिकीय
वारहेड वजन 3 टन[४]

इंजन चार चरण ठोस ईंधन
परिचालन सीमा साँचा:convert[४][१][१][२][५][६]
मार्गदर्शन प्रणाली रिंग लेजर जाइरोस्कोप - जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली,वैकल्पिक रूप से संवर्धित जीपीएस/आईआरएनएसएस
प्रक्षेपण मंच 8 x 8 (ट्रांसपोर्टर निर्माता लांचर), रेल मोबाइल लांचर (कनस्तर मिसाइल पैकेज) (भूमि-आधारित संस्करण)[४]
आई एन एस अरिहंत (पनडुब्बी आधारित संस्करण)
परिवहन सड़क या रेल मोबाइल (भूमि-आधारित संस्करण)
पनडुब्बी (समुद्र आधारित संस्करण)

साँचा:main

अग्नि-6 (Agni-VI) एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है। जिसे भारतीय सशस्त्र बलों के इस्तेमाल के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित की जा रही है।[२][७]

विवरण

अग्नि 6 एक चार-चरण वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है। इसक डिजाइन चरण के पूरा होने के बाद अब यह हार्डवेयर के विकास के चरण में है। अग्नि-6 में कई स्वतंत्र रूप से लक्षित किए जाने वाले पुनः प्रवेश वाहन और साथ ही मैन्युवेरेबल पुनः प्रवेश वाहन (एमएआरवी) की भी संभावना है।[८] और ये मैन्युवेरेबल रणनीतिक हथियार अग्नि 6 को विस्तारित सीमा देंगे जो वर्तमान में गुप्त है।[४] यह अपने पूर्ववर्ती अग्नि ५ से लम्बी होगी और 2017 तक इस मिसाइल की उड़ान की उम्मीद है।[४] भारत सरकार ने अभी तक परियोजना को मंजूरी नहीं दी है। हालांकि डीआरडीओ ने सभी गणना पूरी कर ली है और इंजीनियरिंग का काम शुरू कर दिया है।[४][१]

यह अग्नि मिसाइलों में नवीनतम और सबसे उन्नत संस्करण होगा। सूत्रों के मुताबिक, अग्नि 6 मिसाइल में 10 एमआईआरवी हथियार ले जाने की क्षमता हो सकती है।[२][५] और 8,000 किमी से लेकर 12,000 किमी की हो सकती है।[१] हालांकि डीआरडीओ ने मिसाइल की सीमा की पुष्टि करने से इनकार कर दिया है।[४] डीआरडीओ के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने यह कहते हुए उद्धृत किया कि नई पीढ़ी अग्नि-6 मिसाइल बेहद सहज और आसानी से परिवहन योग्य होगी और आसानी से तैनात की जा सकेगी। इसमें पनडुब्बी और भूमि आधारित लांचरों से लांच होने की क्षमता होगी।[४][९]

इतिहास

विकास के बारे में अस्पष्टता

2009 तक, यह बताया गया था कि भारत सरकार 10,000 किमी या इससे अधिक सीमा वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के विकास पर विचार नहीं कर रही है। एक लंबी दूरी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के लिए एक कार्यक्रम की अटकले 2011 में फिर शुरु हो गई। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का नाम पहले से ही "सूर्या" और नाम कोड अग्नि-6 है।[१०]साँचा:failed verification

अन्य रिपोर्टों से बताया दिया गया कि नई दिल्ली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक की आवश्यकता के लिए गंभीर नहीं है। भारत सरकार से अनुमति के बाद ही डीआरडीओ भारत के अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल को विकसित करने के लिए एक परियोजना शुरु कर सकता है। चूंकि भारत 27 जून 2016 तक मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का हस्ताक्षरकर्ता नहीं था।[१] तो भारतीय मिसाइल कार्यक्रम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता के विकास के लिए किसी भी संधि प्रतिबद्धता द्वारा सीमित नहीं था। कुछ मीडिया रिपोर्टों ने कभी-कभी बताया था कि भारत एमटीसीआर के लिए एक गैर-हस्ताक्षरकर्ता होने के कारण 5000 किलोमीटर की सीमा से परे मिसाइलों के विकास पर एक स्वैच्छिक अधिस्थगन है। (भारत जून 2016 तक एमटीसीआर का सदस्य है)[११][१२] मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) 5,000 किमी से परे मिसाइलों के विकास से भारत को नहीं रोकता। एमटीसीआर एक अलग राज्य के लिए मिसाइल प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को रोकता है जिससे मिसाइल प्रौद्योगिकी प्रसार ना बढ़े। यह संधि प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण या घटक के संबंध में एमटीसीआर हस्ताक्षरकर्ताओं और गैर-एमटीसीआर हस्ताक्षरकर्ताओं के बीच अंतर नहीं करता है। मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था संधि का हस्ताक्षरकर्ता देश किसी दुसरे देश को मिसाइल प्रौद्योगिकी नहीं दे सकता है। हालांकि, एक कानूनी तर्क है कि किसी मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था संधि का हस्ताक्षरकर्ता देश दुसरे हस्ताक्षरकर्ता देश को मिसाइल प्रौद्योगिकी स्थानांतरित करने से इसे प्रसार नहीं माना जाता है।

भारतीय वायु चीफ की लंबी सीमा के आईसीबीएम का संकेत

जून 2011 में, पहली बार भारतीय वायुसेना प्रमुख मार्शल प्रदीप वसंत नाइक ने तत्काल पड़ोस से परे भारत की परमाणु क्षमता को बढ़ाने के पक्ष में तर्क दिया। नाईक, जो चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का भी प्रमुख थे। उन्होंने कहा कि "भारत को 10,000 किमी या उससे अधिक की सीमाओं के लिए एक आईसीबीएम कार्यक्रम शुरु करना चाहिए। क्षेत्रीय संदर्भ से बाहर तोड़ना महत्वपूर्ण है क्योंकि देश के प्रभाव का क्षेत्र बढ़ता है। किसी भी देश पर हमारे पास कोई क्षेत्रीय डिजाइन नहीं है। लेकिन भारत को अपने क्षेत्र अपना प्रभाव क्षमता की आवश्यकता है।"[१३]

व्यवहार्यता के बारे में संदेह

अक्टूबर 2011 में, द पायनियर द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट ने आईसीबीएम के लिए "साधक प्रौद्योगिकी" (मार्गदर्शन तकनीक) को स्वतंत्र रूप से विकसित करने की डीआरडीओ की क्षमता पर संदेह व्यक्त किया, साधक प्रौद्योगिकी से ही मिसाइल को 10,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पहुचा सकते हैं।[१४] इसी रिपोर्ट ने भारत को "साधक प्रौद्योगिकी" में सहायत प्रदान करने की रूस की इच्छा पर जोर दिया। इस रिपोर्ट की प्रामाणिकता कम से कम एक विदेशी अखबार द्वारा विवादित है, जिसमें काउंटर-दावे किए गये कि रूस की भागीदारी संभवतः नहीं है, क्योंकि यदि रूसी भागीदारी के बारे में रिपोर्ट सच है, तो रूस ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था का उल्लंघन किया है। जो रूस इतनी आसानी से नहीं कर सकता है। वह मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था का एक सदस्य देश है।[१५] संदेह के जवाब में, एक शीर्ष डीआरडीओ वैज्ञानिक ने कहा कि भारत में आईसीबीएम विकसित करने के लिए आवश्यक सभी उपकरण और तकनीक हैं।[१][१३]

कार्यक्रम की पुष्टि

20 जून 2011 को, भारतीय रक्षा समाचार ने10,000 किमी आईसीबीएम के बारे में भारत गंभीर नामक एक लेख प्रकाशित किया जिसमें कहा गया है कि भारत अपनी रणनीतिक मिसाइलों की पहुंच को बढ़ाने के लिए गंभीरता से विचार कर रहा है और रक्षा मंत्रालय रक्षा महासंघ के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है कि इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) 10,000 किलोमीटर दूर लक्ष्य को मारने में सक्षम होनी चाहिए। एक आईसीबीएम का निर्माण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर कर सकता है इसलिए प्रस्ताव का अंतिम निर्णय सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) द्वारा लिया जाएगा।[११]

अप्रैल 2012 में, अग्नि ५ के सफल प्रक्षेपण के बाद, सारस्वत ने खुलासा किया कि भारत के पास अग्नि कार्यक्रम को बन्द करने की कोई योजना नहीं है और अग्नि मिसाइल की श्रृंखला में और अधिक मिसाइलो का निर्माण हो सकता हैं।[१६]

हाल ही में विकास

मई 2012 में, रिपोर्टों ने अग्नि श्रृंखला में एक और आईसीबीएम अग्नि 6 मिसाइल के विकास की पुष्टि की। यह कथित था कि मिसाइल 2014 में विकसित की जाएगी और यह 8,000 किमी से लेकर 10,000 किलोमीटर तक से भी लंबी रेंज की को सकती है। अग्नि 6 अग्नि-५ की तुलना में आकर्षक होगी और कम से कम 10 परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम, एक ही समय में कई लक्ष्य को लक्षित करने में सक्षम होगी।[१][२] जनवरी 2013 में, डीआरडीओ के प्रमुख वी के सरस्ववत ने कहा कि अग्नि ५ के विकास के बाद, डीआरडीओ अग्नि 6 का विकास करेगी, जिसमें कई स्वतंत्र लक्ष्यीकरण योग्य पुन: प्रवेश वाहन (एमआईआरवी) क्षमता होगी।[३] उन्होंने कहा कि मिसाइल का डिजाइन पूरा हो चुका है और अब डीआरडीओ हार्डवेयर चरण पर कार्य कर रही है।[९][१७][१८] अग्नि 6, विकास के तहत नई बहु-लक्षित मिसाइल, 'बल गुणक' के रूप में कार्य करेगी, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रमुख वी.के. सरस्वती ने 9 फरवरी 2013 को कहा था।

अग्नि-6 पनडुब्बी लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल

मिसाइल का पनडुब्बी लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल संस्करण भारतीय नौसेना के अरिहंत वर्ग की पनडुब्बियों में उपयोग होगा। डीआरडीओ ने 2012 में खुलासा किया कि वह अग्नि-6 मिसाइल के एक अन्य संस्करण को विकसित करने की प्रक्रिया में भी है। यह 6,000 किलोमीटर की अधिकतम सीमा और तीन टन के पेलोड ले जाने वाली एक पनडुब्बी-लॉन्च ठोस ईंधन मिसाइल होगी।[१][९][१९]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ