जम्मू-बारामूला रेलमार्ग
जम्मू-बारामूला रेलमार्ग | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
मार्ग पर स्थित प्रमुख स्थलों को |
जम्मू-बारामूला रेलमार्ग भारत में निर्मित की जा रही एक रेलमार्ग है जो कि देश के बाकी के हिस्से को जम्मू एवं कश्मीर राज्य के साथ मिलाएगी। रेलवे जम्मू से शुरू होता है और, जब पूरी की, 345 किलोमीटर (214 मील) कश्मीर घाटी के पश्चिमोत्तर किनारे पर बारामूला के शहर के लिए यात्रा करेंगे। परियोजना की अनुमानित लागत के बारे में 60 अरब भारतीय रुपये (अमेरिका 1.3 अरब डॉलर) है।
प्रगति
जम्मू-बारामूला रेलमार्ग के आरंभ हो जाने से जम्मू तवी रेलवे स्टेशन का महत्त्व दोहरा हो गया है। कश्मीर घाटी को जाने वाली सभी रेलगाड़ियां इस स्टेशन से होकर ही जाती हैं। जम्मू-बारामूला रेलमार्ग परियोजन का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसका ट्रैक उधमपुर तक पहुंच चुका है। जम्मू तवी की कई गाड़ियां उधमपुर तक विस्तृत की जा चुकी है और आगे कटरा तक विस्तार की जायेगी। जुलाई 2014 में उधमपुर-कटरा रेलमार्ग के कार्य पूरे हो जाने से जम्मू रेलमार्ग कटरा तक विस्तृत हो गई। जालंधर- पठानकोट रेलमार्ग का दोहरीकरण हो चुका है और का विद्युतिकरण कार्य २०१३ तक पूरा होना नियोजित है। एक नई पीर-पंजाल रेल सुरंग (जिसे बनिहाल काज़ीगुंडसुरंग भी कहते हैं) तैयार हो चुकी है और प्रचालन में भी दी जा चुकी है। इसके द्वारा बनिहाल की बिचलेरी घाटी को कश्मीर घाटी के काज़ीगुंड क्षेत्र से जोड़ गया है। सुरंग की खुदाई का कार्य २०११ तक पूरा हो चुका था और इसमें रेलमार्ग स्थापन अगले वर्ष पूरा हो गया। उसी वर्ष अर्थात २०१२ के अंत तक परीक्षण रेल भी आरंभ हो गयी थी एवं जून २०१३ के अंत तक यहाँ यात्री गाड़ियाँ भी चलने लगीं।[१][२]
इस रेल कड़ी के साथ पीर-पंजाल रेल सुरंग का उद्घाटन २३ जून २०१३ को हुआ था। इस कड़ी के द्वारा बनिहाल और काज़ीगुंड के बीच की दूरी १७ कि.मी कम हो गई है। यह सुरंग भारत में सबसे लंबी[२] और एशिया की तीसरी लंबी रेलवे सुरंग है। इस सुरंग का निर्माण समुद्र सतह से ५७७० फ़ीट (१७६० मी.) की औसत ऊंचाई पर और वर्तमान सड़क मार्ग की सुरंग से १४४० फ़ीट (४४० मी.) नीचे हुआ है। इसका निर्माण हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इरकॉन के उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के एक भाग के लिये किया है। इस रेल कड़ी के तैयार हो जाने से यातायात में काफ़ी सुविधा हो गयी है, विशेषकर सर्दियों के मौसम में जब भीषण ठंड और हिमपात के कारण जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग की सुरंग कई बार बंद करनी पड़ जाती है। २०१८ तक इस परियोजना की उधमपुर-बनिहाल कड़ी भी पूरी हो जायेगी और पूरा जम्मू-श्रीनगर मार्ग रेल-मार्ग द्वारा सुलभ हो जायेगा। तब तक लोगों को बनिहाल तक सड़क द्वारा जाना पड़ता है और वहां से श्रीनगर की रेल मिलती है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ अ आ http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=22854 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। जम्मू-कश्मीर में बनिहाल-काजीगुंड रेल मार्ग को राष्ट्र को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री का संदेश