केन्द्रीय सतर्कता आयोग

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केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी)[१], {{{body}}}
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पदस्थ
सुरेश एन पटेल (सतर्कता आयुक्त अध्यक्ष)
Central Vigilance Commission
संक्षेपाक्षरCVC
अधिस्थानसतर्कता भवन, A-ब्लॉक, GPO कम्प्लेक्स, INA, नई दिल्ली-110 023
उद्घाटक धारकएन. एस. राउ
गठनFebruary 11, 1964; साँचा:time ago (1964-त्रुटि: अमान्य समय।-11)
वेबसाइटcvc.nic.in

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भारत का केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission (CVC)) भारत सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों से सम्बन्धित भ्रष्टाचार नियंत्रण की सर्वोच्च संस्था है। इसकी स्थापना सन् १९६४ में की गयी थी। इस आयोग के गठन की सिफारिश संथानम समिति (1962-64) द्वारा की गयी थी जिसे भ्रष्टाचार रोकने से सम्बन्धित सुझाव देने के लिए गठित किया गया था। केन्द्रीय सतर्कता आयोग सांविधिक दर्जा (statutory status) प्राप्त एक बहुसदस्यीय संस्था है।

केन्द्रीय सतर्कता आयोग किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियन्त्रण से मुक्त है तथा केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है। यह केन्द्रीय सरकारी संगठनो मे विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने मे सलाह देता है।

केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक संसद के दोनो सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पारित किया गया जिसे राष्ट्रपति ने 11 सितम्बर 2003 को स्वीकृति दी। इसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त जो कि अध्यक्ष होता है तथा दो अन्य सतर्कता आयुक्त (सदस्य जो दो से अधिक नही हो सकते) होते हैं।

अप्रैल 2004 के जनहित प्रकटीकरण तथा मुखबिर की सुरक्षा पर भारत सरकार के संकल्प द्वारा भारत सरकार ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग को भ्रष्टाचार के किसी भी आरोप को प्रकट करने अथवा कार्यालय का दुरपयोग करने सम्बन्धित लिखित शिकायतें प्राप्त करने तथा उचित कार्यवाही की सिफारिश करने वाली एक नामित एजेंसी के रूप में प्राधिकृत किया।

आयोग की संरचना

आयोग में एक अध्यक्ष व दो सतर्कता आयुक्त होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है। इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता व केन्द्रीय गृहमंत्री होते हैं। इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो), तक होता है। अवकाश प्राप्ति के बाद आयोग के ये पदाधिकारी केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं।

पदच्युति की प्रक्रिया अथवा दशा

भारत के राष्ट्रपति निम्नांकित दशाओं में आयोग के अध्यक्ष अथवा उसके सदस्यों को पद से विमुक्त कर सकते हैं-

  • यदि वह दिवालिया घोषित हो गया हो।
  • यदि वह नैतिक चरित्रहीनता के आधार पर किसी अपराध में केन्द्र सरकार की दृष्टि में दोषी पाया गया हो।
  • अपने कार्यक्षेत्र से बाहर कोई लाभ का पद धारण करता हो।
  • मानसिक अथवा शारीरिक कारणों से कार्य करने में राष्ट्रपति की दृष्टि में असमर्थ हो।
  • कोई अन्य आर्थिक व लाभ का पद ग्रहण करता हो जो आयोग के अनुसार अनुचित है।
  • राष्ट्रपति द्वारा आयोग के मुख्य आयुक्त व अन्य आयुक्तों को उनके दुराचरण व अक्षमता के आधार पर पद से हटाया जा सकता है।
  • यदि वह केन्द्रीय सरकार के किसी अनुबंध अथवा कार्य में सहभाग करता हो।
  • ऐसे किसी भी अनुबंध अथवा कार्य से प्राप्त लाभ में भाग लेता हो अथवा जिसके उपरांत प्रकट होने वाले लाभ व सुविधाएँ किसी निजी कंपनियों के सदस्यों के समान ही प्राप्त करता हो।

वेतन, भत्ते व सेवा शर्तें

केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के वेतन, भत्ते व अन्य सेवा शर्तें संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समान ही होती हैं और सतर्कता आयुक्त की संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों के समान होती है, लेकिन कार्यकाल के दौरान इनकी सेवाओं में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

केन्द्रीय सतर्कता आयोग के अधिकार एवं कार्य

केन्द्रीय सतर्कता आयोग के सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के अंतर्गत इस आयोग के अधिकार एवं कार्य निम्नलिखित हैं-[२]

  • दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) को अधीक्षण के लिए निदेश देना जहां तक इनका संबंध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अन्तर्गत अपराधों के अन्वेषण से है- अनुभाग 8 (1) (ख);
  • केन्द्रीय सरकार द्वारा भेजे गए किसी संदर्भ पर जांच करना अथवा जांच या अन्वेषण करवाना- अनुभाग 8 (1) (ग);
  • केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 की धारा 8 की उपधारा 2 में विनिर्दिष्ट पदाधिकारियों के ऐसे प्रवर्ग से संबंधित किसी पदधारी के विरुद्ध प्राप्त किसी शिकायत में जांच करना या जांच अथवा अन्वेषण कराना- अनुभाग 8 (1) (घ);
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अधीन अभिकथितरूप से किए गए अपराधों में अथवा दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत किसी अपराध में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन द्वारा किए गए अन्वेषणों की प्रगति का पुनर्विलोकन करना - अनुभाग 8 (1) (ङ);
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अधीन अभियोजनकी मंजूरी के लिए सक्षम प्राधिकारियों के पास लंबित आवेदनों की प्रगति का पुनर्विलोकन करना - अनुभाग 8 (1) (च);
  • केन्द्रीय सरकार तथा इसके संगठनों को ऐसे मामलों पर सलाह देनाजो इनके द्वारा आयोग को भेजे जाएंगे - अनुभाग 8 (1) (छ);
  • विभिन्न केन्द्रीय सरकारी मंत्रालयों, विभागों तथा केन्द्रीय सरकार के संगठनों के सतर्कता प्रशासन पर अधीक्षण रखना - अनुभाग 8 (1) (ज);
  • किसी भी जांच का संचालन करते समय आयोग को सिविल न्यायालय के सभी अधिकार प्राप्त होंगे - अनुभाग 11;
  • संघ के कार्यां से संबंधित लोक सेवाओं तथा पदों पर नियुक्त व्यक्तियों से संबंधित अथवा अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों से संबंधितसतर्कता अथवा अनुशासनिक मामलों का नियंत्रण करने वाले कोई भी नियम अथवा विनियम बनाने से पहले आयोग से किए जाने वाले अनिवार्य परामर्श पर केन्द्र सरकार को उत्तर देना - अनुभाग 19;
  • केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त उस समिति के अध्यक्ष हैं तथा दोनों सतर्कता आयुक्त सदस्य हैं जिसकी सिफारिशों पर केन्द्रीय सरकार, प्रवर्तन निदेशक की नियुक्ति करती है- अनुभाग 25;
  • प्रवर्तन निदेशक की नियुक्ति से संबंधित समिति को यह अधिकार भी है कि वह प्रवर्तन निदेशालय में उप निदेशक तथा इससे ऊपर के स्तर के पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति के लिए, प्रवर्तन निदेशक से परामर्श करने के पश्चात् अपनी सिफारिशें दें- अनुभाग 25;
  • केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त उस समिति के अध्यक्ष हैं तथा दोनों सतर्कता आयुक्त सदस्य हैं जिसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) में पुलिस अधीक्षक तथा इससे ऊपर के स्तर के पदों, निदेशक को छोड़कर, पर अधिकारियों की नियुक्ति तथा इन अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तारण अथवा लघुकरण करने के लिए, निदेशक (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) से परामर्श करने के पश्चात् अपनी सिफारिशें देने का अधिकार प्राप्त है- अनुभाग 26 तथा दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम, 1946 का अनुभाग 4 (ग).


सन्दर्भ

  1. साँचा:cite news
  2. केन्द्रीय सतर्कता आयोग का जालघर स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। (हिन्दी)

इन्हें भी देखें

References