ख़ुदा
ख़ुदा (फ़ारसी: خدا) बहुत सी भाषाओं में पाया जाने वाला 'ईश्वर' के लिए एक शब्द है। इसका अर्थ कभी-कभी 'मालिक' और 'मार्गदर्शक' भी निकाला जाता है। ये शब्द फारसी या पश्तून भाषा का है। ये मुख्य तौर पर ईस्लाम ओर पारसी धर्म में भगवान के लिये उपयोग होता है।[१]
सही उच्चारण
'ख़ुदा' में 'ख़' के उच्चारण पर ध्यान दीजिये क्योंकि यह 'ख' से काफ़ी भिन्न है। अगर इसे 'ख' की ध्वनी से उच्चारित किया जाए तो यह 'खुदा' सुनाई देता है जिस से 'खोदने' की क्रिया के साथ असमंजस पैदा हो सकता है।
शब्दोत्पत्ति और संस्कृत से सजातीय सम्बन्ध
ख़ुदा को उर्दू, फ़ारसी और पश्तो में خدا लिखा जाता है। यह मूल रूप से प्राचीन अवस्ताई नामक पूर्वी इरानी भाषा के 'ख़्वाध' या 'ख़्वाधाता' (xva-dhata-) शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'मालिक' या 'अपनी परिभाषा स्वयं करने वाला' है। क्योंकि संस्कृत और फ़ारसी दोनों हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की बहन भाषाएँ हैं इसलिए इसका एक सजातीय शब्द 'स्वाध' संस्कृत में भी मौजूद है।[२] इसका एक अन्य रूप एक और संस्कृत शब्द 'हुता' में भी मिलता है, जो 'आहुति' के रूप में वर्तमान हिंदी भाषा में भी मिलता है।[३]
भारतीय संस्कृति में प्रयोग
ख़ुदा शब्द का भारतीय उपमहाद्वीप की लोक-संस्कृति में विस्तृत प्रयोग होता रहा है:
- आम बोलचाल में - "ख़ुदा गवाह है" और "ख़ुदा के लिए" जैसे मुहावरे आम भाषा में प्रयोग होते हैं।
- विस्मय बोधक वाक्यों में - "ख़ुदा ना-ख़ास्ता" ("भगवान ऐसा न चाहे") जैसे वाक्यों का प्रथापूर्वक प्रयोग होता है जब कोई ऐसी बात कही जाए जो बोलने वाले को कहते हुए हिचक हो, जैसे की "ख़ुदा ना-ख़ास्ता अगर गाड़ी की टक्कर हो जाती"।
- गानों में - हिंदी फिल्मों के गानों में इस शब्द का प्रयोग आम है।
- अभिनन्दन में - "ख़ुदा हाफ़िज़" ("ख़ुदा हिफाज़त करने वाला है" या "भगवान रक्षक है") जैसे वाक्यों का प्रयोग बहुत समुदायों में आम है।
मूल तौर पर उत्तर भारत में इसे किसी धर्म से सम्बंधित नहीं समझा जाता था और हर समुदाय के लोग इस शब्द का खुला प्रयोग करते थे (जबकि 'अल्लाह' शब्द मुस्लिम समुदाय से सम्बंधित है) रहा है। पाकिस्तान में ज़िया-उल-हक़ की कट्टरवादी नीतियों के लाघू होने के बाद वहाँ इस धर्म-असम्बंधित शब्द का प्रयोग कम कर के 'अल्लाह' शब्द का प्रयोग ज़्यादा करने पर ज़ोर दिया गया। इसी कारणवश पाकिस्तान में अब 'ख़ुदा हाफ़िज़' की जगह अक्सर 'अल्लाह हाफ़िज़' बोला जाता है। भारत, अफ़्ग़ानिस्तान और ईरान में अभी भी 'ख़ुदा हाफ़िज़' ही प्रचलित है, जिसका किसी धर्म से कोई गहरा सम्बन्ध नहीं।[४]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ धर्म ई ईस्लाम ओर पारसी धर्म में ख़ुदा
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web