कालनेमि
कालनेमि रामायण में एक मायावी राक्षस है। कालनेमि का उल्लेख सनातन धर्म से संबंधित रामायण काव्य में आता है जब लंका युद्ध के समय (रावण) द्वारा छोड़े गए अमोघशक्ति से लक्ष्मण मूर्छित हो गये तो सुषेन वैद्य ने इसका उपचार संजीवनी बूटी बताया जो कि हिमालय पर्वत पर उपलब्ध था। हनुमान ने तुरंत हिमालय के लिये प्रस्थान किया। रावण ने हनुमान को रोकने हेतु मायावी कालनेमि राक्षस को आज्ञा दी। कालनेमि ने माया की रचना की तथा हनुमान को मार्ग में रोक लिया। हनुमान को मायावी कालनेमि का कुटिल उद्देश्य ज्ञात हुआ तो उन्होने उसका वध कर दिया।
हनुमान जी ने कालनेमि दानव का वध जिस जगह पर किया आज वह स्थान सुल्तानपुर जिले के कादीपुर तहसील में विजेथुवा महावीरन नाम से सुविख्यात है एवं इस स्थान पर "भगवान हनुमान" को समर्पित एक सुप्रसिद्ध पौराणिक मंदिर भी स्थापित है। यही कालनेमि दानव द्वापर युग मे कंस के रूप में जन्मा। जिसका वध द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने किया था।