आर्यसत्य
आर्यसत्य की संकल्पना बौद्ध दर्शन के मूल सिद्धांत है। इसे संस्कृत में 'चत्वारि आर्यसत्यानि' और पालि में 'चत्तरि अरियसच्चानि' कहते हैं[१]
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आर्यसत्य चार हैं-
- (1) दुःख : संसार में दुःख है,
- (2) समुदय : दुःख के कारण हैं,
- (3) निरोध : दुःख के निवारण हैं,
- (4) मार्ग : निवारण के लिये अष्टांगिक मार्ग हैं।
प्राणी जन्म भर विभिन्न दु:खों की शृंखला में पड़ा रहता है, यह दु:ख आर्यसत्य है। संसार के विषयों के प्रति जो तृष्णा है वही समुदय आर्यसत्य है। जो प्राणी तृष्णा के साथ मरता है, वह उसकी प्रेरणा से फिर भी जन्म ग्रहण करता है। इसलिए तृष्णा की समुदय आर्यसत्य कहते हैं। तृष्णा का अशेष प्रहाण कर देना निरोध आर्यसत्य है। तृष्णा के न रहने से न तो संसार की वस्तुओं के कारण कोई दु:ख होता है और न मरणोंपरांत उसका पुनर्जन्म होता है। बुझ गए प्रदीप की तरह उसका निर्वाण हो जाता है। और, इस निरोध की प्राप्ति का मार्ग आर्यसत्य - आष्टांगिक मार्ग है। इसके आठ अंग हैं-सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वचन, सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीविका, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि। इस आर्यमार्ग को सिद्ध कर वह मुक्त हो जाता है।
बाहरी कड़ियाँ
- गौतम बुद्ध का अद्भुत् जीवन
- The Buddhist: The Four Noble Truths by Nalaka Priyantha.
- Buddhism: The Four Noble Truths by Geshe Kelsang Gyatso.
- At Access to Insight:
- The Four Noble Truths: A Study Guide (by Thanissaro Bhikkhu)
- Wings to Awakening Section 3.H.i: The Four Noble Truths (translated by Thanissaro Bhikkhu)
- Talks given by Ajahn Sumedho:
- At Amaravati Monastery's web: The Four Noble Truths
- PDF version at Buddhanet.net: The Four Noble Truths eBook
- From the Ten Lecture Series, Lecture on the Four Noble Truths by Bhikkhu Bodhi: The Four Noble Truths
- A View on the Four Noble Truths
- The Light of Asia (Book Eight), a poem in iambic pentameter by Sir Edwin Arnold.
- Buddhism - the Four Noble Truths
- The Feeling Buddha: An alternate interpretation of the Four Noble Truths.
- Sixteen Aspects of the Four Noble Truths
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।