गोपाल गोडसे
गोपाल गोडसे (साँचा:lang-mr, १९१९ - २००५) हिन्दू महासभा के एक क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें गान्धी-हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली थी। ये प्रमुख अभियुक्त नाथूराम गोडसे के अनुज थे। अपने अंतिम दिनों तक उन्हें महात्मा गाँधी के प्रति अपने रवैये पर कभी कोई अफ़सोस नहीं था, वे महात्मा गाँधी को हिंदुस्तान के बटवारे का दोषी व पक्षपाती मानते रहे ! कट्टर देशभक्त हिन्दू की छवि लेकर वे अंत तक कार्यरत रहे, वृद्धावस्था के समय भी वे भारतीय पुरातत्व एवं इतिहास के अध्यन में व्यस्त थे ! न्यायालय में जब गान्धी-हत्या का अभियोग चला तो मदनलाल पाहवा ने उसमें स्वीकार किया कि जो भी लोग इस षड्यन्त्र में शामिल थे पूर्व योजनानुसार उसे केवल बम फोडकर सभा में गडबडी फैलाने का काम करना था, शेष कार्य अन्य लोगों के जिम्मे था। जब उसे छोटूराम ने जाने से रोका तो उसने जैसे भी उससे बन पाया अपना काम कर दिया। उस दिन की योजना भले ही असफल हो गयी हो परन्तु इस बात की जानकारी तो सरकार को हो ही गयी थी कि गान्धी की हत्या कभी भी कोई कर सकता है। आखिर २० जनवरी १९४८ की पाहवा द्वारा गान्धीजी की प्रार्थना-सभा में बम-विस्फोट के ठीक १० दिन बाद उसी प्रार्थना सभा में उसी समूह के एक सदस्य नथूराम गोडसे ने गान्धी के सीने में ३ गोलियाँ उतार कर उन्हें सदा सदा के लिये समाप्त कर दिया।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- Manohar Malgaonkar, The Men Who Killed Gandhi, Madras, Macmillan India (1978) ISBN 0-333-18228-6
- गोपाल गोडसे गान्धी वध क्यों? सूर्यभारती प्रकाशन, नई सडक, दिल्ली ११०००६ भारत
- पहले भी हुआ था बापू को मारने का प्रयास