मदन लाल खुराना
मदन लाल खुराना | |
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२००५ में एक रैली को सम्बोधित करते हुये मदनलाल खुराना | |
पद बहाल 14 जनवरी 2004 – 1 नवम्बर 2004 | |
पूर्वा धिकारी | कैलाशपति मिश्र (अतिरिक्त कार्यभार) |
उत्तरा धिकारी | टी॰वी॰ राजेश्वर (अतिरिक्त कार्यभार) |
तीसरे दिल्ली के मुख्यमंत्री
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पद बहाल 2 दिसम्बर 1993 – 26 फ़रवरी 1996 | |
पूर्वा धिकारी | राष्ट्रपति शासन* |
उत्तरा धिकारी | साहिब सिंह वर्मा |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
निवास | नई दिल्ली |
शैक्षिक सम्बद्धता | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
धर्म | हिन्दू धर्म |
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मदन लाल खुराना (15 अक्टूबर 1936-27 अक्टूबर 2018) एक भारतीय राजनेता थे जो १९९३ से १९९६ के मध्य दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे। वो २००४ में राजस्थान के राज्यपाल भी रहे[१]। वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भारतीय जनता पार्टी के सदस्य रहे। मदनलाल खुराना उन नेताओं में शामिल थे जो भाजपा की स्थापना से पहले से ही संघ परिवार से जुड़े हुए थे। वे 1965 से 1967 तक जनसंघ के महासचिव रहे और दिल्ली में जनसंघ के चर्चित चेहरों में रहे।
उन्नीस सौ नब्बे के दशक में मदनलाल खुराना भाजपा की दिल्ली इकाई का चेहरा थे। कार्यकर्ताओं के बीच उन्हें 'दिल्ली का शेर' कहा जाता था।
प्रारम्भिक जीवन
खुराना का जन्म १५ अक्टूबर १९३६ को ब्रितानी भारत के ल्याल्लपुर (वर्तमान फैसलाबाद) में हुआ। उनके पिता का नाम एसडी खुराना और माँ का नाम लक्ष्मी देवी था।[२] भारत के विभाजन के समय उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा और नई दिल्ली के कीर्ति नगर के शरणार्थी शिविर में रहे।[३]
उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ी मल कॉलेज से प्राप्त की।[४] इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भी शिक्षा ग्रहण की। इलाहाबाद में ही उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत हुई और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री भी चुने गए। 1960 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव बने। सक्रिय राजनीति में आने से पहले उन्होंने पीजीडीएवी कॉलेज में अध्यापन किया। वहीं पर प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा, केदारनाथ साहनी जैसे नेताओं के साथ मिलकर दिल्ली में जनसंघ को स्थापित किया। वह 1965 से 67 तक जनसंघ के महमंत्री रहे।
1984 में जब भारतीय जनता पार्टी की बुरी तरह से हार हुई तब राजधानी दिल्ली में फिर से पार्टी को खड़ा करने में खुराना का बड़ा योगदान था। केन्द्र में जब पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी तो मदन लाल खुराना केंद्रीय मंत्री बने। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभाई।
वर्ष 2005 में लालकृष्ण आडवाणी की आलोचना के कारण उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया, लेकिन 12 सितंबर 2005 में ही उन्हें फिर से पार्टी में वापस ले लिया गया। मदनलाल खुराना 1977 से 1980 तक दिल्ली के कार्यकारी पार्षद रहे। उसके बाद दो बार महानगर पार्षद बने। दिल्ली को जब राज्य का दर्जा मिला तो वह 1993 में पहले मुख्यमंत्री चुने गए। इस पद पर वह 1996 तक रहे।
2013 में उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ जिस कारण वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। पिछले लगभग दो वर्षों (सन २०१६ से) से वह गंभीर रूप से बीमार थे। २७ अक्टूबर २०१८ को उनका निधन हो गया।
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
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