राव तुला राम
साँचा:infoboxसाँचा:main other राव तुलाराम सिंह (09 दिसम्बर 1825 -23 सितम्बर 1863) 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे।[१] उन्हे हरियाणा राज्य में " राज नायक" माना जाता है।[२] विद्रोह काल मे, हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाके से सम्पूर्ण बिटिश हुकूमत को अस्थायी रूप से उखाड़ फेंकने तथा दिल्ली के ऐतिहासिक शहर में विद्रोही सैनिको की, सैन्य बल, धन व युद्ध सामाग्री से सहता प्रदान करने का श्रेय राव तुलाराम को जाता है।
अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराने के उद्देश्य से एक युद्ध लड़ने के लिए मदद लेने के लिए उन्होंने भारत छोड़ा तथा ईरान और अफगानिस्तान के शासकों से मुलाकात की, रूस के ज़ार के साथ सम्पर्क स्थापित करने की उनकी योजनाएँ थीं। इसी मध्य 37 वर्ष की आयु में 23 सितंबर 1863 को काबुल में पेचिश से उनकी मृत्यु हो गई।[३]
प्रारम्भिक जीवन
इनका जन्म हरियाणा राज्य के रेवाड़ी शहर में एक यदुवंशी (अहीर)[४][५] परिवार में 09 दिसम्बर 1825 को हुआ।[६] इनके पिता का नाम राव पूरन सिंह [७] तथा माता जी का नाम ज्ञान कुँवर था। इनके दादा का नाम राव तेज सिंह था।[७]
1857 की क्रांति
1857 की क्रांति में राव तुलाराम ने खुद को स्वतंत्र घोषित करते हुये राजा की उपाधि धारण कर ली थी।[८] उन्होने नसीबपुर- नारनौल के मैदान में अंग्रेजों से युद्ध किया जिसमें उनके पाँच हजार से अधिक क्रन्तिकारी सैनिक मारे गए थे।[९] उन्होने दिल्ली के क्रांतिकारियों को भी सहयोग दिया व 16 नवम्बर 1857 को,स्वयं ब्रिटिश सेना से नसीबपुर- नारनौल में युद्ध किया, और ब्रिटिश सेना को कड़ी टक्कर दी तथा ब्रिटिश सेना के कमांडर जेरार्ड और कप्तान वालेस को मौत के घाट उतर दिया ,परंतु अंत में उनके सभी क्रन्तिकारी साथी मारे गए राव तुलाराम को घायल अवस्था में युद्ध क्षेत्र से हटना पड़ा ,वह पराजित हुये पर हिम्मत नहीं हारी । आगे की लड़ाई की रणनीति तय करने हेतु वह तात्या टोपे से मिलने गए, परंतु 1862 में तात्या टोपे के बंदी बना लिए जाने के कारण सैनिक सहायता मांगने ईरान व अफगानिस्तान चले गए जहाँ अल्पायु में उनकी मृत्यु हो गयी।[८] 1857 की क्रांति में भागीदारी के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने 1859 मे, राव तुलाराम की रियासत को जब्त कर लिया था। परंतु उनकी दोनों पत्नियों का संपत्ति पर अधिकार कायम रखा गया था। 1877 में उनकी उपाधि उनके पुत्र 'राव युधिष्ठिर सिंह' को अहिरवाल का मुखिया पदस्थ करके लौटा दी गयी।[१०]
विरासत
23 सितम्बर 2001, को भारत सरकार ने महाराजा राव तुलाराम की स्मृति में डाक टिकेट जारी किया।[११] उनके सम्मान में बने, जफरपुर कलाँ का "राव तुलाराम मेमोरियल चिकित्सालय,[१२] महाराजा राव तुलाराम मार्ग पर स्थित 'रक्षा अध्ययन व विश्लेषण संस्थान' व महाराजा राव तुलाराम पोलिटेक्निक, वजीरपुर चिराग दिल्ली प्रमुख है।[१३][१४]
राव तुलाराम चिकित्सालय
राव तुलाराम चिकित्सालय दिल्ली में DHANSA रोड के रावता मोड के निकट जफरपुर पुलिस स्टेशन के पास स्थित है।[१५]
इन्हे भी देखे
बाहरी कड़ियाँ
- डॉ. रवीन्द्र सिंह यादव & विजयपाल , 1857 की क्रांति के पुरोधा: राव राजा तुलाराम, 2013, पुनीत प्रकाशन, जयपुर, ISBN: 978-81-88559-54-1
- क्रांतिदूत -राव राजा तुलाराम ,१९९९, इंजी० अनिल यादव , सरिता पब्लिशिंग हाउस
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ साँचा:cite book
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- ↑ Sankhdher, B.M (2006-01-01). "Historical Studies on Modern India". ISBN 9788176297639.
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(help) - ↑ अ आ साँचा:cite book
- ↑ अ आ Social movements and social transformation: a study of two backward classes movements in India स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। By M. S. A. Rao, मनोहर प्रका॰, 1987 पृष्ठ-125
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