गोवा का इतिहास

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>अनुनाद सिंह द्वारा परिवर्तित १३:३७, ११ फ़रवरी २०२२ का अवतरण (→‎भारतीय अधिकरण)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
दक्षिण गोवा के उसगलिमल गाँव की चट्टानों पर बनाये गये चित्र ऊपरी पैलियोलिथिक या मेसोलिथिक काल से संबंधित हैं।

गोवा के लंबे इतिहास की जड़ें प्रागैतिहासिक काल तक जातीं हैं। ]]

ताम्बळी सुरला महादेव मंदिर जिसका निर्माण १२वीं शताब्दी में हुआ था। यह उन गिने-चुने मंदिरों में से है जिन्हें आततायी नष्ट नहीं कर पाये।

गोवा के प्राचीन इतिहास का आरम्भ तीसरी सदी इसा पूर्व से शुरु होती है जब यहाँ मौर्य वंश के शासन की स्थापना हुई थी। बाद में पहली सदी के आरम्भ में इस पर कोल्हापुर के सातवाहन वंश के शासकों का अधिकार स्थापित हुआ और फिर बादामी के चालुक्य शासकों ने इसपर 580 इसवी से 750 इसवी पर राज किया।

विजयनगर

इसके बाद के सालों में इस पर कई अलग अलग शासकों ने अधिकार किया। 1312 इसवी में गोवा पहली बार दिल्ली सल्तनत के अधीन हुआ लेकिन उन्हें विजयनगर के शासक हरिहर प्रथम द्वारा वहाँ से खदेड़ दिया गया। अगले सौ सालों तक विजयनगर के शासकों ने यहाँ शासन किया और 1469 में गुलबर्ग के बहामी सुल्तान द्वारा फिर से दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बनाया गया। बहामी शासकों के पतन के बाद बीजापुर के आदिल शाह का यहाँ कब्जा हुआ जिसने गोअ-वेल्हा हो अपनी दूसरी राजधानी बनाई।

पुर्तगाली आगमन

एक ब्रीच-भरण घूर्णमान बन्दूक (breech-loading swivel gun) जो सम्भवतः १६वीं शताब्दी में गोवा में बनी थी और वहाँ से जापान भेजी गयी थी जहाँ इसका उपयोग ओडा नोबुनागा (Oda Nobunaga) में किया गया था।

1498 में वास्को डी गामा यहाँ आनेवाला पहला युरोपीय यात्री बना जो समुद्र के रास्ते यहाँ आया था। उसके इस सफल अभियान ने युरोप की अन्य शक्तियों को भारत पहुँचने के लिये दूसरे समुद्री रास्तों की तलाश के लिये प्रेरित किया क्योंकि तुर्कों द्वारा पारंपरिक स्थल मार्गों को बंद कर दिया गया था। 1510 में पुर्तगाली नौसेना द्वारा तत्कालीन स्थानीय मुगल राजा को पराजित कर पुर्तगालियों ने यहाँ के कुछ क्षेत्रों पर अपना अधिकार स्थापित किया गया। यहाँ वे अपना एक आधार बनाना चाहते थे जहाँ से वे मसालों का व्यापार कर सकें। सोलहवीं सदी के मध्य तक पुर्तगालियों ने आज के गोवा क्षेत्र में पूरी तरह अपनी स्थिती सुदृढ कर ली थी।

आर्थिक इतिहास

सत्रहवीं शताब्दी से सन १९५८ तक गोवा की मुद्रा रुपया थी। सन १८७१ के बाद गोवा में प्रयोग होने वाले सिक्के कलकत्ता में बनाये गए। यह सिक्के वज़न और चांदी के माप में ब्रिटिश इंडिया के सिक्कों जैसे ही थे। इससे गोवा और बाकी भारत में व्यापार में सरलता हुई। १९५८ में पुर्तगाल सरकार ने गोवा की मुद्रा रूपये से बदल के एस्कुडो कर दी, १ पुराना रुपया ६ एस्कुडो के बराबर था। [१]

भारतीय अधिकरण

सन १९५५ में कुछ निहत्थे गोवावासी सत्याग्रहियों ने पुर्तगाली औपनिवेशिक सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किया। इनमें से कम से कम २२ को पुर्तगालियों ने गोली से मार दिया था।

19 दिसंबर, 1961 को भारतीय सेना ने यहाँ आक्रमण कर इस क्षेत्र को मुक्त करवाया और गोवा भारत में शामिल हुआ। गोवा तथा इसके उपक्षेत्र दमन एवं दीव को भारत में संविधान के एक संघीय क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया। लेकिन 30 मई 1987 को गोवा 56 वां संविधान संशोधन के तहत इसे अलग राज्य का दर्जा दिया गया तथा गोवा भारत का 25 वाँ राज्य बना।

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें