गाज़ीपुर ज़िला

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गाज़ीपुर ज़िला
Ghazipur district
मानचित्र जिसमें गाज़ीपुर ज़िला Ghazipur district हाइलाइटेड है
सूचना
राजधानी : गाज़ीपुर
क्षेत्रफल : 3,377 किमी²
जनसंख्या(2011):
 • घनत्व :
36,22,727
 1,100/किमी²
उपविभागों के नाम: तहसील
उपविभागों की संख्या: 6
मुख्य भाषा(एँ): हिन्दी


दिलदार नगर रेल स्टेशन

गाज़ीपुर ज़िला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय गाज़ीपुर है। ज़िला वाराणासी मण्डल का भाग है।[१][२] सन् 2011 में ज़िले का साक्षरता दर 74.27% था।[३]

तहसील

ज़िले में सात तहसील क्षेत्र है - गाजीपुर, मोहम्दाबाद, कासिमाबाद, सैदपुर, जमानियाँ, जखि्नियाँ, सेवराई[४]

विवरण

जिले की पूर्वी सीमा बिहार से लगी हुई है। यहाँ का एक गांव गहमर पूरे देश का सबसे बड़ा गांव है। गाजीपुर का प्राचीन नाम 'गाधिपुरी' था जिसे बदल कर गाजीपुर रखा गया। प्राचीन समय में इसे पवित्र स्थान के रूप में 'छोटी काशी' ( लहुरी काशी ) जाना जाता था और अभी भी कुछ लोग इसे इसी नाम से जानते हैं। गाजीपुर में अफीम फैक्ट्री है। यहाँ के मारकंडे महादेव जी के मंदिर की भी काफी मान्यताएँ हैं जो कि सैदपुर में है। गंगा नदी इस जिले से होकर बहती है। गाजीपुर में लार्ड कार्नवालिस का मकबरा है। सैदपुर तहसील से उत्तर पूर्व की ओर स्थित भीतरी गाँव में स्कन्दगुप्त-कालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं।

कृषि एवं उद्योग

गंगा किनारे होने के कारण यहाँ की मिट्टी बहुत उपजाऊ है। कृषि इस जिले का प्रमुख व्यवसाय है। गेहूं, धान आलू प्याज और गन्ना यहाँ की मुख्य फसलें हैं।

प्रसिद्ध स्थल

कामाख्या धाम

यह शहर से 40 किलोमीटर दूर, गहमर पुलिस स्टेशन के तहत एक हिन्दू देवी, माँ कामाख्या का मंदिर है। यह मंदिर गदाईपुर गांव में स्थित है। संरक्षण और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए वहाँ एक पुलिस बूथ स्थापित किया गया है। यह अच्छी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। रामनवमी के समय यहाँ बहुत भीड़ रहती है।

महाहर धाम

यह शहर से 30 किलोमीटर दूर कासिमाबाद क्षेत्र में स्थित शहर का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है। माना जाता है कि महाशिवरात्री के दिन काशी विश्वनाथ यहाँ पधारते हैं और निकट स्थित कुंड में स्नान करते हैं। पचौरी करहिया और हथौरी के पास रेलवे लाइन और कमाख्या धाम माता मंदिर और वहाँ माँ दुर्गा मन्दिर है द्वारा निकट स्थित है।

यह भी माना जाता है कि भगवान श्री राम के पिता, दशरथ ने इसी स्थान पर श्रवण कुमार को वाण मारा था।

धामुपुर

यह गाजीपुर शहर से 37 किमी दूर एक छोटा सा गाँव है जो परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का जन्म स्थान भी है। वीर अब्दुल हमीद, भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सेना में एक सैनिक थे जिन्होंने पाकिस्तान की कई टैंकों को नष्ट किया था तथा देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

भीतरी गाँव

भीतरी एक ग्राम है जो सैदपुर से उत्तर-पूर्व की ओर लगभग पाँच मील की दूरी पर स्थित है। ग्राम से बाहर चुनार के लाल पत्थर से निर्मित एक स्तंभ खड़ा है जिसपर गुप्त शासकों की यशस्वी परंपरा के गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त का अभिलेख उत्कीर्ण है। यद्यपि लेख ऋतुघृष्ट है, पत्थर यत्र तत्र टूट गया है तथा बाईं ओर ऊपर से नीचे तक एक दरार सी है तथापि संपूर्ण लेख मूल स्तंभ पर पूर्णतया स्पष्ट है तथा उसका ऐतिहासिक स्वरूप सुरक्षित-सा है। लेख की भाषा संस्कृत है। छठीं पंक्ति के मध्य तक गद्य में है, शेष पद्य में। लेख पर कोई तिथि अकित नहीं है। इसका उद्देश्य शार्ग्ङिन विष्णु की प्रतिमा की स्थापना का अभिलेखन तथा उस ग्राम को, जिसमें स्तंभ खड़ा है, विष्णु को समर्पित करना है। लेख में इस ग्राम के नाम का उल्लेख नहीं है।

भीतरी का स्तंभलेख ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उसमें गुप्त सम्राज्य पर पुष्पमित्रों तथा हूणों के बर्बर आक्रमण का संकेत है। लेख के अनुसार पुष्पमित्रों ने अपना कोष और अपनी सेना बहुत बढ़ा ली थी और सम्राट कुमारगुप्त की मरणासन्नावस्था में उन्होंने गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया। युवराज स्कंदगुप्त ने सेना का सफल नेतृत्व किया। उसने युद्धक्षेत्र में पृथ्वीतल पर शयन किया। पुष्पमित्रों को परास्त कर पिता कुमारगुप्त की मृत्यु के अनंतर स्कंदगुप्त ने अपनी विजय का संदेश साश्रुनेता माता को उसी प्रकार सुनाया जिस प्रकार कृष्ण ने शत्रुओं के मारकर देवकी को सुनाया था।

हूणों की जिस बर्बरता ने रोमन साम्राज्य को चूर चूर कर दिया था वह एक बार यशस्वी स्कंदगुप्त की चोट से थम गई। स्कंदगुप्त की भुजाओं के हूणों के साथ समर में टकरा जाने से भयंकर आवर्त बन गया, धरा काँप गई। स्कंदगुप्त ने उन्हें पराजित किया। परंतु अनवरत हूण आक्रमणों से गुप्त साम्राज्य के जोड़ जोड़ हिल उठे और अन्त में साम्राज्य की विशाल अट्टालिका अपनी ही विशालता के खंडहरों में खो गई।

लटिया ज़मानियां

यह जिला मुख्यालय से लगभग ३० किलोमीटर दूर जमानियां तहसील के पास स्थित है। यहां गुप्तकाल का सम्राट अशोक स्तम्भ और शिला लेख स्थित है यहां हर साल 2 फरवरी को सम्राट अशोक स्तम्भ के पास लाखों की संख्या में लोग लटीया महोत्सव के रूप में मनाते हैं। यहां प्रत्येक वर्ष देश विदेश से लाखों दार्शनिक आते है। यहां प्रत्येक वर्ष बड़े बड़े विद्वान मुख्य अतिथि के रूप में आते है और सम्राट अशोक के विचारों को विभिन्न माध्यमों से सबके सामने प्रदर्शित करते है।

प्रसिद्ध महाविद्यालय

  • ग़ाज़ीपुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय ग़ाज़ीपुर
  • स्वामी सहजानन्द स्नातकोत्तर महाविद्यालय ग़ाज़ीपुर
  • डी ए वी इंटर कॉलेज ग़ाज़ीपुर
  • आदर्श संस्कृत महाविद्यालय वाजिदपुर ग़ाज़ीपुर
  • एस एन एस के इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपेथिक फार्मेसी भावराहा पांडेयपुर राधे गाज़ीपुर
  • मलिकपुरा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मलिकपुरा ग़ाज़ीपुर
  • हिन्दू स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जमानिया
  • काशीनाथ इंस्टीट्युट ऑफ पॉलिटेक्निक नरायनपुर ककरही सैदपुर गाजीपुर

इन्हें भी देखें

बाहरी जोड़

सन्दर्भ

  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
  3. साँचा:cite web
  4. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।