प्रायिकता
किसी घटना के होने की सम्भावना को प्रायिकता या संभाव्यता कहते हैं। सांख्यिकी, गणित, विज्ञान, दर्शनशास्त्र आदि क्षेत्रों में इसका बहुतायत से प्रयोग होता है।
परिचय
साधारणत: संभाव्यता का संबंध उस घटना से है जिसके न होने की अपेक्षा घटित होने को अधिक आशा है। इस अर्थ में यह शक्य (possible) से भिन्न है। घटना शक्य तब होती है जब उसके घटने में विरोध नहीं होता। 'र्वध्य माता' का होना न तो शक्य है और न संभाव्य ही। 'स्वर्ण पर्वत' संभाव्य नहीं है, परंतु शक्य है।
वैज्ञानिक अर्थ में संभाव्यता का संबंध उस घटना से है जो न तो निश्चित है और न असंभव। यदि निश्चित ज्ञान का प्रतीक 'एक' (1) माना जाए और निश्चित ज्ञान के अभाव का 'शून्य' (0), तब संभाव्यता का स्थान इन्हीं '0' और '1' के मध्य निर्धारित किया जा सकता है।
संभाव्यता के आधार होते हैं। ज़ेवन्स ने संभाव्यता के आधार को आत्मगत माना है। उन्होंने विश्वास को (जो आत्मगत है) संभाव्यता का आधार माना है। यह मत दोषयुक्त बताया गया है, क्योंकि संभाव्यता का संबंध परिमाण से है और विश्वास को मात्रा में व्यक्त करना संभव नहीं है। विश्वास को संभाव्यता का आधार मानना इसलिए भी उचित नहीं जँचता क्योंकि संभाव्यता की गणना होती है और यह गणना विश्वास के साथ संभव नहीं है। वह इसलिए कि जिस वस्तु में विश्वास होता है उसका कभी तो अनुभव नहीं होता और कभी कभी एक अनुभव पर ही दो व्यक्तियों का विश्वास भिन्न भिन्न हो जाता है।
संभाव्यता का संबंध आगमन से है। आगमन निरीक्षण और परीक्षण पर आधारित है। अत: संभाव्यता को पूर्ण रूप से आत्मगत कहना उचित नहीं, क्योंकि निरीक्षण और परीक्षण विषयगत है।
इन्हीं उपर्युक्त त्रुटियों के कारण कुछ विचारकों ने संभाव्यता को विषयगत प्रमाणित किया है। संभाव्यता अनुभव पर निर्भर करती है। अनुभव विषयगत है। अनुभव के आधार पर ही घटना के होने या न होने में हमारा विश्वास होता है। यह विश्वास आत्मगत है। अत: निष्कर्ष यह निकलता है कि संभाव्यता का आधार अनुभव (विषयगत) और विश्वास (आत्मगत) दोनों ही हैं।
संभाव्यता की गणना गणित द्वारा होती है। घटनाएँ विभिन्न प्रकार की होती हैं। अत: उनकी संभाव्यता की गणना की भी रीति भिन्न भिन्न हैं।
सरल घटना की संभावना निकालने के लिए घटना घटित होने की संभावना की संख्या में घटना के होने की संभावना को संपूर्ण संख्या से भाग देते हैं। ताश की 52 पत्तियों में इस बार खींचने से काला पान का बादशाह निकले, इसकी संभावना जानने के लिए नियम है :
- घटने वाली घटना की संख्या / घटनाओं की कुल संख्या = १/५२
अत: काला पान का बादशाह निकलने की संभावना १/५२ है।
साथ साथ नहीं घटनेवाली दो घटनाओं में एक घटना घटने की संभावना की गणना के लिए उनकी अलग अलग संभावना को जोड़ देना पड़ता है। ताश की 52 पत्तियों में गुलाम और बादशाह (जो साथ साथ नहीं हो सकते) किसी एक के निकलने की संभावना है :
- १/५२ + १/५२ = १/२६
इसी प्रकार दो स्वतंत्र घटनाओं के साथ साथ होने की संभावना उनकी अलग अलग संभावनाओं को आपस में गुणा करके निकालते हैं। इंद्रधनुष (जो तीन दिनों में एक बार दृश्य होता है) तथा वर्षा (जो सात दिनों में एक बार होती है), इन दोनों स्वतंत्र घटनाओं के साथ साथ घटित होने की संभावना होगी :
- १/३ x १/७ = १/२१
यही नियम अधीन घटनाओं (जैसे-अफवाह) के साथ भी लागू है।
एकत्रित किए हुए प्रमाण की सत्यता की संभावना को जानने के लिए 1 (एक) में से उसकी असंभावनाओं के गुणनफल को घटा देते हैं। अन्यान्य गवाहों द्वारा बताई गई घटना के (जो एकत्रित किए हुए प्रमाण हैं) सत्य होने की संभावना इस प्रकार निकाली जा सकती है : एक गवाही में सत्य होने की संभावना जब ५/६ है तो उसमें सत्य होने की असंभावना (१ - ५/६ = १/६) होगी। फिर दूसरी गवाही में सत्य होने की संभावना जब २/३ है तो उसमें असंभावना (१ - २/३ = १/३) होगी
इन दोनों की अलग असंभावनाओं के गुणनफल को 1 (एक) में से घटाने पर उत्तर होगा -
- १ - १/३ x १/६ = १ - १/१८ = १७/१८
इस प्रकार गवाहों द्वारा बताई हुई घटना के सत्य होने की संभावना 17/18 होगी।
इस प्रकार संभाव्यता की मात्रा संख्या के आधार पर ही निकाली जाती है। अत: संख्या की गणना पूर्ण रूप से नहीं होने पर संभाव्यता की मात्रा निश्चित नहीं की जा सकती। संभाव्यता की गणना के उपरांत जिस निष्कर्ष की प्राप्ति होती है वह औसत के लिए ही सत्य होता है। दूसरे शब्दों में यह कहें कि संभाव्यता औसत (Average) के लिए सत्य होती है।
गणितीय विवेचन
घटना | प्रायिकता |
---|---|
A | <math>P(A)\in[0,1]\,</math> |
not A | <math>P(A')=1-P(A)\,</math> |
A or B | <math>\begin{align}
P(A\cup B) & = P(A)+P(B)-P(A\cap B) \\ & = P(A)+P(B) \qquad\mbox{if A and B are mutually exclusive}\\ \end{align}</math> |
A and B | <math>\begin{align}
P(A\cap B) & = P(A|B)P(B) = P(B|A)P(A)\\ & = P(A)P(B) \qquad\mbox{if A and B are independent}\\ \end{align}</math> |
A given B | <math>P(A \mid B) = \frac{P(A \cap B)}{P(B)}\,</math> |
इन्हें भी देखें
- सांयोजिकी
- प्रायिकता सिद्धांत
- खेल सिद्धान्त (Game theory)
- सूचना सिद्धान्त (Information theory)
- सांख्यिकी (Statistics)
- बेय का सिद्धांत (Bayes' theorem)
प्रायिकता पर सुभाषित
- Damon Runyon, "It may be that the race is not always to the swift, nor the battle to the strong - but that is the way to bet."
- Pierre-Simon Laplace "It is remarkable that a science which began with the consideration of games of chance should have become the most important object of human knowledge." Théorie Analytique des Probabilités, 1812.
- Richard von Mises "The unlimited extension of the validity of the exact sciences was a characteristic feature of the exaggerated rationalism of the eighteenth century" (in reference to Laplace). Probability, Statistics, and Truth, p 9. Dover edition, 1981 (republication of second English edition, 1957).
बाहरी कड़ियाँ
- Probability in Ancient India (चन्द्रकान्त राजू)
- A history of probability and statistics and their applications before 1750 (Google book ; By Anders Hald)
- Edwin Thompson Jaynes. Probability Theory: The Logic of Science. Preprint: Washington University, (1996). — HTML index with links to PostScript files and PDF
- Dictionary of the History of Ideas: Certainty in Seventeenth-Century Thought
- Dictionary of the History of Ideas: Certainty since the Seventeenth Century
- Figures from the History of Probability and Statistics (Univ. of Southampton)
- Probability and Statistics on the Earliest Uses Pages (Univ. of Southampton)
- Earliest Uses of Symbols in Probability and Statistics on Earliest Uses of Various Mathematical Symbols
- A tutorial on probability and Bayes’ theorem devised for first-year Oxford University students
- pdf file of An Anthology of Chance Operations (1963) at UbuWeb