छिन्नमस्तकावतार

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छिन्नमस्तक भगवान शिव के दस अवतारों में से छठे हैं। भगवान छिन्नमस्तक ही भगवान शंकर के एकमात्र ऐसे रूप हैं जो बहुत प्रचण्ड , भन्यकार और शीशहीन हैं। इनकी शक्ति अथवा पत्नी देवी पार्वती की अवतार देवी छिन्नमस्तिका हैं। भगवान छिन्नमस्तक के एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे हाथ में स्वयं का कटा सिर है। ऐसा बताया जाता है कि जब देवी पार्वती और उनकी सेना ने असुरों को संहारा तो देवी पार्वती की सेना की रक्त की प्यास नहीं बुझी थी जिस कारण देवी पार्वती ने अपना शीश खड्ग से काट लिया था। भगवान शिव ने ये दृश्य देखते ही अपना शीश भी त्रिशूल द्वारा काट लिया और इसी कारण भगवान शंकर के ये अवतार छिन्नमस्तक के नाम से प्रसिद्ध हुए। देवी छिन्नमस्तिका के मंदिर कुछ ही दूरी पर भगवान छिन्नमस्तक की प्रतिमा है जिसकी बड़े विधि विधान से पूजा होती है। तांत्रिकों और अघोरियों के लिए भगवान शिव के छिन्नमस्तक और माता पार्वती के छिन्नमस्तिका रूप की पूजा अनिवार्य बताई गई है।